Friday 18 April 2014

'मौन नहीं हैं मनमोहन, 10 साल में दिए 1000 भाषण'

ManMohan
नई दिल्ली
अपने 'मौन' के लिए आलोचना के निशाने पर रहने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पिछले 10 साल में 1000 से अधिक भाषण दिए हैं। प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज पचौरी ने यह दावा किया
है। पचौरी ने यह दावा किया कि पिछले 10 साल में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में देश ने अन्य लोकतंत्रों से कहीं बेहतर प्रगति की है और जीडीपी तीन गुना बढ़ी है।

पंकज पचौरी इस आरोपों का जवाब दे रहे थे कि प्रधानमंत्री ने जनता से उतना संवाद नहीं किया जितना उन्हें करना चाहिए। पचौरी ने मनमोहन की न बोलने वाली छवि के लिए मीडिया को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि पीएम बोलते नहीं हैं लेकिन मीडिया के तरीकों के कारण ही वह जनता तक नहीं पहुंचे। इसके अलावा पचौरी ने यूपीए कार्यकाल की उपलब्धियां भी गिनाईं। पचौरी के इस बयान को हाल में आई दो किताबों से पीएम की इमेज के नुकसान की भरपाई की कोशिश माना जा रहा है।

पचौरी नई दिल्ली में मीडिया के लोगों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के भाषणों को टीवी चैनलों के मुकाबले अखबारों ने ज्यादा जगह दी है। पचौरी ने यह भी कहा कि पिछले पांच सालों में प्रधानमंत्री के पास संसद में बोलने के कोई खास मौके नहीं आए। यह पूछे जाने पर कि पीएम कांग्रेस की चुनावी कैंपेन से गायब क्यों हैं, पचौरी ने कहा कि पीएम ने चार रैलियों को संबोधित किया है। चुनाव प्रचार से जुड़े फैसले पार्टी लेती है।

पचौरी ने कहा, 'पिछले 10 साल में भारत ने जिस तरह प्रगति की है वैसी कभी किसी अन्य लोकतंत्र में नहीं हुई।' उन्होंने कहा कि इस सरकार ने गरीबी उन्मूलन के लिए जो कुछ किया किसी अन्य सरकार ने नहीं किया और सड़क व रोजगार क्षेत्र में जो प्रगति हुई वैसी किसी अन्य देश में नहीं हुई। जीडीपी की वृद्धि दर के बारे में पचौरी ने कहा, 'जीडीपी तीन गुना बढ़ी है। न्यूनतम वेतन भी तीन गुना बढ़ा है। यह दर्शाता है कि सरकार लगातार काम करती रही।' पचौरी ने शिकायत की कि इन उपलब्धियों को मीडिया में जगह नहीं मिली, क्योंकि मीडिया की प्राथमिकताएं अलग हैं।


पीएमओ में अपने अनुभवों पर कोई किताब लिखने के सवाल पर पचौरी ने कहा कि उन्हें किताब लिखने के लिए ऑफर तो आए हैं लेकिन अभी उनकी ऐसी कोई योजना नहीं है।

आपको याद होगा कि हाल में ही आई पीएम के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू की किताब में कहा गया है, मनमोहन सिंह शक्तिहीन प्रधानमंत्री थे और उनके पास फैसले लेने के वास्तविक अधिकार नहीं थे। इसके अलावा पूर्व कोल सचिव पी. सी. पारेख की किताब में भी ऐसे आरोप लगाए हैं।

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