Saturday 26 April 2014

अरविंद केजरीवाल

टीम अन्ना का चाणक्य जो अराजक चंद्रगुप्त बन गया आधुनिक भारतीय राजनीति में जेपी के आंदोलन के बाद महान भारतीय मध्यय वर्ग के भीतर राजनीतिक हलचल मचाने का श्रेय अगर किसी को दिया जा सकता है तो वह हैं अरविंद केजरीवाल। अरविंद को परांपरागत राजनेता या सामाजिक कार्यकर्ता की परिभाषा के खांचे में रखकर देखा-समझा नहीं जा सकता है।

दरअसल अरविंद मूलत: विद्रोही व्यक्त्वि के स्वामी है। उनके शब्दों में वह अराजक है और हर मानव द्रोही परांपरा के खिलाफ हैं। केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त 1968 को हरियाणा राज्य के हिसार जिले के सिवानी गांव में हुआ था। हिसार के बड़ा मोहल्ला के बाशिंदे बताते हैं कि उनका जन्म जन्‍माष्‍टमी को हुआ था इसीलिए उनके दादा-दादी उन्हें ‘कन्हैया’कहकर पुकारते थे। इनकी माता का नाम गीता और पिता का नाम गोविंद है।

वे अपने तीन भाई बहनों में सबसे बड़े हैं। अरविंद का बचपन सोनीपत, मथुरा,गाजियाबाद और हिसार में बीता है। केजरीवाल ने आईआईटी खड़गपुर से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री ली और टाटा स्टील में काम करने के बाद वे 1992 में भारतीय राजस्व सेवा में शामिल हुए। 2006 में जब वे आयकर विभाग में संयुक्त आयुक्त थे तब उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दी। 2000 में उन्होंने नौकरी से विश्राम लेकर वे मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चैरिटी, रामकृष्ण मिशन और नेहरू युवा केन्द्र से जुड़े । अरविंद का सुनीता से प्रेम विवाह हुआ है। सुनीता खुद भी एक आईआरएस अधिकारी हैं । दम्पति के दो बच्चे हैं। बेटी का नाम हर्षिता और बेटा का नाम पुलकित है।

अरविंद पिछले कई वर्षों से विपासना का अभ्यास कर रहे हैं। केजरीवाल ने 'स्वराज' नामक एक पुस्तक भी लिखी है। यह किताब उनकी और उनके आंदोलन का वैचारिक खाका पेश करती है। अरविंद का राजनीतिक सफर अरविंद छात्र जीवन से ही सामाजिक विषयों पर तीखी नजर रखते थे। महात्मा गांधी से वह खासे प्रभावित लगते हैं। जन आंदोलनों में शिरकत करने के दौरान वह गांधीवादी,समाजवादी और सामाजिक जनवादी व्यक्त्विों के संपर्क में आए। अरुणा राय,अन्ना हजारे, मेधा पाटकर, बाबा अड़ाव जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं का उनपर प्रभाव रहा है। 2006 में अरविंद ने परिवर्तन नामक गैर सरकारी संगठन की नींव रखी। परिवर्तन का मुख्य लक्ष्य था सूचना के अधिकार , सार्वजनिक वितरण प्रणाली आदि सवालों को लेकर जनचेतना फैलाना और नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष करना। इसी संघर्ष का प्रतिफल था कि अरविंद को सूचना के अधिकार को जमीनी स्तर पर प्रभावी तौर लागू करवाने के लिए रमन मैगसेसे पुरस्कार से नवाजा गया।

2011-12 के इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन, अरविंद के सामाजिक-राजनीतिक जीवन का अहम पड़ाव है।इस आंदोलन में वह और अन्ना हजारे देशभर के शहरी मध्य वर्ग के नायक बनकर उभरे। माना जाता है कि इस भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के चाणक्य अरविंद थे। वैसे टीम अन्ना व अरविंद को इस भूमिका में पहुंचाने में मीडिया और केंद्र सरकार के असंवेदनशील रुख को भी श्रेय दिया जा सकता है।

मंत्रियों के अलोकतांत्रिक आचरण ने आग में घी का काम किया। 2012 के मध्य में यह आंदोलन भी आंतरिक मतभेदों का शिकार हो गया। दरअसल आंदोलनकर्ताओं के एक धड़े,जिसकी अगुवाई अरविंद,मनीष सिसोदिया और प्रशांत भूषण कर रहे थे, का मानना था कि राजनीति में पारदर्शिता और जनभागीदारी सुनिश्चित करनी है तो राजनीति में सीधे भागीदारी करनी होगी। इसके लिए नई राजनीतिक पार्टी बनानी होगी। अन्‍ना और किरन बेदी की अगुवाई वाला दूसरा धड़ा सक्रिय राजनीति में उतरने के खिलाफ था। इनका मानना था कि हमे एक दबाव समूह के तौर पर काम करना चाहिए। इसके बाद केजरीवाल राजनीति में सक्रिय हो गए और उन्होंने 2 अक्टूबर, 2012 को एक राजनीतिक पार्टी का गठन किया और 24 नवंबर, 2012 को इसे आम आदमी पार्टी का नाम दिया। यह पार्टी दिल्ली विधानसभा चुनावों में दूसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी और समीकरण कुछ ऐसे बने कि कांग्रेस के बिना शर्त समर्थन से अरविंद दिल्ली के सातवें और सबसे युवा मुख्यमंत्री बने।

दिल्ली में हालांकि अरविंद की सरकार केवल 49 दिन ही चली क्योंकि जन लोकपाल विधेयक को पास कराने की प्रक्रिया को लेकर कांग्रेस और बीजेपी ने अरविंद की सरकार को समर्थन नहीं दिया। फलस्वकरुप अरविंद ने सरकार से इस्तीफा दे दिया।

इसके बाद अरविंद और अनकी पार्टी ने लोकसभा चुनावों में हिस्‍सा लेने का निणर्य किया। फिलहाल उनकी पार्टी 350 से ज्‍यादा सीटों पर चुनाव लड़ रही है। वह बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्‍मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ बनारस से चुनाव लड़ने का एलान कर चुके हैं।

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