Monday 30 September 2013

ईरान में गोद ली हुई बेटी से शादी कर सकेंगे उनके पिता

सांकेतिक तस्वीर ईरान की संसद ने मानवता, स्त्री अधिकारों और बच्चों के अधिकारों के मुंह पर तमाचा
मारते हुए एक बिल पास किया है, जिसके मुताबिक कोई भी पुरुष अपनी गोद ली हुई बेटी से शादी कर सकता है.
इसके लिए बस एक ही कानूनी पेच है कि इस गोद ली हुई बेटी की उम्र 13 साल से कम नहीं होनी चाहिए. ईरान की संसद का दावा है कि इस क्रांतिकारी फैसले के बाद बच्चों के अधिकारों की रक्षा हो सकेगी.
संसद के इस फैसले के बाद मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने आशंका जताई है कि बच्चों का उत्पीड़न और बढ़ेगा क्योंकि परिवार के मुखिया पुरुष को कोर्ट में बस यह साबित करना होगा कि अपनी गोद ली हुई बेटी से वह उसकी ही भलाई के लिए शादी कर रहा है.
घिनौने कानूनों के तहत हो रहा ईरानी बच्चियों का शोषण
13 साल की उम्र की लड़की यह भी तय करने की स्थिति में नहीं होती कि वह जिंदगी में कौन सी राह पकड़ना चाहती है. बड़े होकर क्या बनना चाहती है. इस वक्त तक उसके शरीर का विकास भी ठीक से शुरू नहीं हो पाता है. मगर ईरान में यह वह उम्र है, जब उसकी कानूनी ढंग से शादी की जा सकती है. लड़कों के मामले में यह उम्र 15 साल है. इतना ही नहीं ईरान में 13 साल से कम उम्र की बच्ची की भी शादी की जा सकती है. इसके लिए उसके माता-पिता को बस एक जज के सामने याचिका दाखिल कर कारण बताते हुए अनुमति लेनी होती है.ईरान की एक न्यूज वेबसाइट की मानें तो साल 2010 में ही 10 से 14 साल की उम्र के 42 हजार बच्चों की शादी की गई.
ईरान का तर्क, हिजाब से मुक्ति दिलाने को लिया यह फैसला
बच्चों के अधिकारों की रक्षा के नाम पर पास किए गए इस बिल को अभी ईरान की गार्डियन काउंसिल से पारित होना है. इसके बाद यह कानून बन जाएगा. इस काउंसिल में मुस्लिम धर्मगुरु कानून के धार्मिक पहलू पर विचार करते हैं. इस बिल का विरोध करते हुए लंदन स्थित ग्रुप जस्टिस फॉर ईरान की कार्यकर्ता सादी सद्र ने कहा कि यह सीधे तौर पर बच्चों के यौन शोषण और रेप का मामला है. इंग्लैंड के अखबार द गार्जियन से बात करते हुए सादी ने कहा कि अभी तक का कोई भी कानून किसी पुरुष को अपनी गोद ली हुई बेटी से शादी की इजाजत नहीं देता था. नए बिल में इसकी गुंजाइश दी गई है.उन्होंने कहा कि ईरान की संस्कृति अपने ही बच्चों से शादी की इजाजत नहीं देती है.
उधर ईरान के अधिकारी यौन शोषण के पहलू की तरफ ध्यान भी नहीं दे रहे हैं. उनका मानना है कि इस बिल का मकसद गोद ली हुई बच्चियों को घर में हिजाब पहनने की बाध्यता से मुक्ति दिलाना है. दरअसल ईरान में यह कानून है कि गोद ली हुई बेटी को अपने पिता के सामने हिजाब पहनना होता है, जबकि गोद लिए हुए बेटे के सामने उसकी मां को हिजाब पहनना होता है, अगर बेटे की उम्र वयस्कों की श्रेणी वाली है.

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