Sunday 29 September 2013

FILM REVIEW : वॉर्निंग

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एक अच्छी कोशिश दर्शकों के लिए कुछ नया बनाने की, लेकिन परिणाम में असफल। जी हां, अगर आप इस हफ्ते रिलीज हुई फिल्म वॉर्निंग देखने जा रहे हैं तो उसका लब्बो-लुआब यही निकलेगा। फिल्म का निर्माण थ्रिलर श्रेणी में हुआ है। आपको इसके पोस्टर से भी कुछ ऐसा ही एहसास होगा । लेकिन थ्रिलर फिल्म का टारगेट करके फिल्म देखने जा रहे हैं तो सिनेमाहॉल में मायूसी हाथ लग सकती है। यूं तो इस फिल्म की महत्ता भारतीय सिने जगत के लिए अहमियत रखती है। दरअसल फिल्म बॉलीवुड के लिए इस मायने में खास है क्योंकि यह भारत की पहली अंडर वॉटर थ्री डी फिल्म है।

फिल्म की शुरूआत पांच दोस्तों के स्कूल पूरा करने के बाद की पार्टी से होती है। जिसमें सभी आपसी रजामंदी से पांच साल बाद मिलने की बात तय करते हैं। सभी इन पांच सालों में अपने अलग-अलग करियर को चुन लेते हैं। और जब पांच साल बाद वो सभी एक वॉटर एडवेंचर टूर के लिए फिजी में मिलते हैं तभी से शुरू होती है फिल्म की असली कहानी। पांचों दोस्तों में से एक तरन (संतोष बारमोला) ने सबको अपने साथ एक याट पर चलने के लिए राजी कर लिया। इस टूर में साबरी (मंजरी फड़नीस) अपने पति और छोटी बच्ची के साथ याट पर सवार होती है तो वहीं तरन अपनी विदेशी गर्लफ्रेंड के साथ। तरन और साबरी स्कूल टाइम में एक-दूसरे को चाहते थे लेकिन किन्हीं कारणों से साबरी ने शादी कर ली। जिसको लेकर तरन खुश नहीं दिखता। याट को बीच समुद्र में रोककर सभी एक-एककर पानी में स्विमिंग के लिए उतरते हैं लेकिन अनचाहे ही तरन नीचे उतरते हुए याट की सीढ़ी वाली बटन पर हाथ रख देता है जिससे कि पानी से याट पर जाने के रास्ते बंद हो जाते हैं।

जब उन सबको एहसास होता है कि वो अचानक ही एक कभी न खत्म होने वाली मुसीबत में फंस गए हैं तो उन सबमें आपस में ही झगड़ा शुरू हो जाता है। इन्हीं सब के बीच पानी में एक हलचल से सब हिल जाते हैं। तरन की गर्लफ्रेंड (सुजाना) को लगता है कि उसे कुछ छूकर पानी के अंदर गया है। तरन पानी के अंदर जाकर देखता है तो पता चलता है कि एक शॉर्क मछली है जो उन लोगों के इर्द-गिर्द मंडरा रही है। लेकिन वो पानी से बाहर आकर किसी को इस बात की जानकारी नहीं देता कि यहां शॉर्क मछली है। साबरी और दीपक (जितिन गुलाटी)  की छोटी बच्ची याट पर ही है जिसके रोने कि आवाज उन लोगों को परेशान कर देती है और किसी अनहोनी कि आशंका सबके चेहरों पर साफ झलकती है। याट पर चढ़ने में बार-बार मिल रही असफलता उन सबके बीच में छोटी-छोटी बात पर लड़ाई की वजह बनती है। इसी बीच सुजाना कि अचानक ही पानी में मौत हो जाती है। इसी सबके बीच एक आशा कि किरण बन कर आयी दूसरी याट भी उन सबको पार करके निकल जाती है। और इस संघर्ष में ग्रुप के सबसे कॉमेडी मैन को भी हिम्मत हार कर जान गंवानी पड़ी।

तरन की कोशिश से साबरी और उसका पति याट पर चढ़ने में कामयाब हो जाते हैं लेकिन तरन को शॉर्क अपना शिकार बना लेती है। फिल्म में लगभग सभी किरदार नए हैं और इन सभी का चयन ऑडिशन के जरिए किया गया है। लेकिन सिर्फ मंजरी फड़नीस हैं जिनकी एक्टिंग इस थ्रिलिंग मूवी के हिसाब से थोड़ी ठीक-ठाक लगती है। लेकिन हाल ही में आयी सुपरहिट फिल्म ग्रैंड मस्ती कि सफलता के बाद इस फिल्म से उनकी उम्मीद हवा हो सकती है। बाकी के सभी युवा कलाकारों कि एक्टिंग फिल्म से पहले अपनी तैयारी में कमी साफ झलकती है। डायरेक्टर गुरमीत सिंह अभी ऐसी कहानी पर फिल्म बनाने में कमजोर नजर आते हैं जिसमें टेक्नोलॉजी कि महत्ता बाकी चीजों के मुकाबले ज्यादा हो। शार्क मछली का आना और कलाकारों का घबराना कहीं से भी थ्रिलर मूवी का अहसास नहीं कराता न ही घनघोर बारिश में फंसे याट और उसके लोगों का डरना। वहीं जो बात फिल्म से निकलने के बाद लोगों को एक बार सोचने के लिए बाध्य करेगी वह यह कि याट पर चढ़ने में असफल होने तैर कर समुद्र पार करने के लिए गए सुमित सूरी और मधुरिमा तुली का क्या हुआ?

वास्तव और रा.वन जैसी फिल्मों के निर्माता अनुभव सिन्हा का इस फिल्म का आइडिया कहीं से भी सफल होता नहीं लग रहा। जिसकी सबसे बड़ी कमजोरी है थ्रिलर फिल्म के फिल्मांकन से थ्रिलिंग का अहसास। संगीत के नाम पर जेम्स और अदिति पॉल ने बेबसी गाने को शाहिद के साथ बहुत ही बेहतरीन अंदाज में गाया है। जो फिल्म की थीम को बहुत ही स्पस्ट रूप से दर्शकों के सामने रखने में कारगर है। मीका और सोनू निगम के गाए गाने और उनके बोल भी आपके कानों को सुकून पहुंचाएंगे। तो इस वीकेंड अगर आप कुछ नहीं कर रहे हैं और फिल्म बनाने कि एक अच्छी कोशिश देखने कि इच्छा हिलोरें मार रही हो तो ‘वार्निंग’ फिल्म बेशक देखने जा सकते हैं।

सितारे: संतोष बरमोला, सुजाना रॉड्रिग्स, मंजरी फड़नीस, वरुण शर्मा, जितिन गुलाटी, सुमित सूरी, मधुरिमा तुली,
निर्देशक: गुरमीत सिंह, निर्माता: अनुभव सिन्हा, पराग सांघवी, कहानी/लेखक: गुरमीत सिंह, तेजपाल सिंह रावत

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