Friday 17 January 2014

रंग निखारने वाली क्रीम में हो सकता है पारा

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देश में लोकप्रिय हो चुके एवं सुंदरता बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने वाले अनेक सौंदर्य प्रसाधनों में स्वास्थ्य के लिए खतरनाक पारा और क्रोमियम पाए गए हैं। एक ताजा अध्ययन में यह खुलासा हुआ है।
यहां तक कि इनमें से कई सौंदर्य प्रसाधनों के विज्ञापन कई जानी मानी फिल्मी हस्तियां करती हैं। त्वचा का रंग निखारने का दावा करने वाली अधिकांश क्रीमों में इस्तेमाल होने वाले पारा को अत्यधिक जहरीला माना जाता है, जबकि लिपस्टिक में पाए गए क्रोमियम के कारण तो कैंसर भी हो सकता है। विज्ञान एवं पर्यावरण प्रदूषण निगरानी प्रयोगशाला केंद्र द्वारा किए गए एक ताजा अध्ययन में 44 फीसदी रंग निखारने का दावा करने वाली क्रीमों में पारा पाया गया। इसके अलावा 50 फीसदी लिपस्टिकों में क्रोमियम तथा 43 फीसदी लिपस्टिकों में निकिल पाया गया। सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने एक वक्तव्य में कहा, ''सौंदर्य प्रसाधन उत्पादों में पारा पाए जाने की उम्मीद नहीं की जाती। इन उत्पादों में पारे का पाया जाना पूरी तरह अवैध और कानून के विपरीत है।'' सुनीता नारायण ने आगे कहा कि चूंकि 56 फीसदी सौंदर्य प्रसाधन के उत्पादों में पारा नहीं पाया गया, अत: इससे जुड़ी उद्योग अपनी इस कारस्तानी को छिपा ले जाएगा। उन्होंने कहा, ''जब अनेक कंपनियां कानून का पालन कर रही हैं तो अन्य कंपनियों को ऐसा करने से कौन रोक रहा है।'' अध्ययन में 73 सौंदर्य प्रसाधनों में चार विभिन्न श्रेणी के भारी पदार्थो का परीक्षण किया गया। इसमें त्वचा का रंग निखारने का दावा करने वाली 32 तरह की क्रीमों, जिसमें महिलाओं के लिए 26 और पुरुषों के लिए छह क्रीम शामिल हैं, का परीक्षण किया गया। इसके अलावा 30 तरह की लिपस्टिकों, होंठ पर लगाए जाने वाले आठ तरह की क्रीमों एवं उम्र घटाने का दावा करने वाली तीन क्रीमों में सीसा, कैड़मियम और क्रोमियम की उपस्थिति का परीक्षण किया गया। जिन सौंदर्य प्रसाधन उत्पादों का परीक्षण किया गया उनमें स्वदेशी, वैश्विक कंपनियों के उत्पादों के साथ-साथ आयुर्वेदिक उत्पाद भी शामिल थे।

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