Saturday 18 January 2014

सर्दी में भारी न पड़ें बीमारियां

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save our health in winter season
सर्दी के मौसम में जहां कई बीमारियां सिर उठाने लगती हैं, वहीं कुछ बीमारी पीडित लोगों में इनका खतरा काफी बढ़ जाता है। ऐसी बीमारियों में दिल का दौरा पड़ने की आशंका अधिक होना, जोड़ों में दर्द होना, साइनोसाइटिस और रक्तचाप की समस्या प्रमुख है। आप इनमें से किसी बीमारी से परेशान हैं तो आइए जानें कि इस मौसम में खुद को कैसे सुरक्षित रखें।
बढ़ जाता है बीपी का खतरा
हमारे शरीर में हृदय द्वारा पंप किया हुआ रक्त, धमनियों के माध्यम से शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचता है, ताकि वह सुचारु रूप से काम कर सके। एक बार रक्त प्रवाहित करने के बाद दोबारा रक्त प्रवाहित करने से पहले जब हृदय संकुचित होता है, उस समय रक्त वाहिकाओं पर पड़ने वाले दबाव को ‘डायस्टोलिक’ ब्लड प्रेशर कहते हैं और जब यह दबाव एक निश्चित सीमा को पार कर जाता है, तब उसे हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप यानी हाई बीपी कहते हैं। हमारी बिगड़ती जीवनशैली, खानपान और ऐसे कई ज्ञात और अज्ञात कारणों से भारत में हर पांच में से एक व्यक्ति उच्च रक्तचाप कि समस्या से पीडित है। सर्दी के कारण तापमान में आयी कमी से रक्त धमनियां सिकुड़ने लगती हैं और रक्त गाढ़ा हो जाता है। इस कारण शरीर में रक्त संचार सहज गति से नहीं हो पता और हृदय को शरीर मे रक्त पहुंचाने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। दूसरा सर्दियों मे कोहरे के कारण प्रदूषित कण कि मात्रा बढ़ जाती है। इस कारण भी रक्तचाप बढ़ जाता है। ऐसे में जरा-सी दौड़-भाग करने से ही सांस फूलने लगता है, सिरदर्द और सिर में भारीपन महसूस होता है, चक्कर आने की भी शिकायत हो सकती है और जी घबराने लगता है। इसका असर रोगों में बढ़ोतरी करता है। इससे मधुमेह के साथ-साथ हृदय एवं ब्रेन स्ट्रोक, आई हैमरेज, गुर्दे खराब होने, अपंगता और मृत्यु तक के रूप में देखने को मिल सकता है। मूलचंद मेडिसिटी के सलाहकार (इंटरनल मेडिसिन) डॉं. ए. के. बाली बताते हैं कि उच्च रक्तचाप के मरीजों को कुछ बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। भोजन में नमक का इस्तेमाल कम-से-कम करें। जहां तक संभव हो तली-भुनी चीजों, डब्बाबंद खाद्य पदार्थों, अल्कोहल, सिगरेट इत्यादि से  दूर रहें। अपना वजन संतुलित रखने की कोशिश करें। नियमित रूप से 20 मिनट का शारीरिक व्यायाम करें। अगर बाहर ज्यादा ठंड हो तो सुबह के बजाय शाम में सैर करने के लिए जाएं। अधिक मात्रा मे कैल्शियम और पोटैशियम युक्त भोजन लें। मानसिक तनाव को दूर रखें और इससे बचने के लिए योग, ध्यान, प्राणायाम को अपनाएं। साइनोसाइटिस का खतरा
साइनोसाइटिस गिरते मौसम की आम बीमारी है, जो कॉमन कोल्ड के लगातार बने रहने के कारण हो जाती है। अगर आपको सिर, दांतों या गाल में लगातार दर्द होने लगे, सांस लेने में कठिनाई होने लगे या फिर सर्दी-खांसी के साथ बुखार आने लगे तो समझ जाएं कि आप साइनोसाइटिस के शिकार हो गए हैं। यह साइनस का सूजन है। साइनस हड्डियों के बीच खाली स्थान है, जहां हवा भरी होती है। ललाट, नाक की हड्डियों, गाल और आंखों के पीछे स्थित होता है यह साइनस। साइनस में जब संक्रमण हो जाता है तो उसमें सूजन आ जाती है। साइनस की इसी सूजन को साइनोसाइटिस कहा जाता है। सामान्य रूप से यह बीमारी जानलेवा नहीं होती, लेकिन इसके भयानक दर्द से आपका जीवन अस्त-व्यस्त हो सकता है। अगर आपने सही ढंग से इसका इलाज नहीं कराया और दूसरे स्तर का संक्रमण हो गया, जो धीरे-धीरे फैलकर आपके फेफड़े तक पहुंच गया तो काफी खतरनाक साबित हो सकता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शन डिजीजेज (एनआईएआईडी) का आकलन है कि अपने यहां हर आठवां व्यक्ति इसका शिकार है। धूम्रपान करने वाले लोगों को साइनोसाइटिस होने की आशंका अधिक रहती है। धूम्रपान करने वाले लोगों के आसपास रहने से भी इसका खतरा उतना ही बना रहता है। सामान्य लोगों में साइनोसाइटिस होने का सबसे बड़ा कारण संक्रमण ही है। साइनस में होने वाले संक्रमण के साथ-साथ दांतों में होने वाले संक्रमण भी साइनोसाइटिस के कारण हैं। श्रवण नली के असामान्य होने के कारण भी साइनोसाइटिस होने का खतरा बढम् जाता है। इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम कॉमन कोल्ड को नजरअंदाज न करें। यही कॉमन कोल्ड आगे चलकर साइनोसाइटिस को जन्म देता है। कॉमन कोल्ड होने पर ठंडी चीजों से परहेज करें और गर्म चीजों का अधिक से अधिक इस्तेमाल करें। जरूरत होने पर डॉक्टर से परामर्श लेने में न हिचकें। अगर आप इसके शिकार हो चुके हैं तो घर में भी कुछ उपाय अपना सकते हैं। भीगा हुआ गर्म कपड़ा दिन में कई बार चेहरे पर ढकें। अधिक मात्रा में गर्म तरल पदार्थ का सेवन करें, ताकि अंदर कफ पतला हो सके। रोजाना तीन-चार बार भांप लें। साइनस को साफ करने के लिए नेति वर्तन का इस्तेमाल भी लाभकारी रहेगा। नाक को साफ करने वाले स्प्रे का इस्तेमाल सावधानीपूर्वक करना चाहिए। जाड़े में जोड़ों के दर्द से बचकर रहें
पारस हॉस्पिटल के आथरेपेडिक सर्जन डॉं. टी. श्रृंगारी बताते हैं कि इस बीमारी में कमर, गर्दन, कंधों, हाथ पैर के जोड़ों व उनकी उंगलियों तथा शरीर के अन्य हिस्सों के जोड़ों में दर्द होता है और यह दर्द सर्दी के मौसम में और भी ज्यादा बढ़ जाती है। इससे बचाव के लिए जितना हो सके, सर्दी से खुद को बचा कर रखें। प्रभावित हिस्सें को गर्म कपड़े में लपेटकर रखें। गर्म चीजों का सेवन अधिक करें। लहसुन, प्याज, सालमन मछली, गुड़, बादाम, काजु जैसी चीजों का अधिक सेवन करें। खाने में कैल्शियम और प्रोटीन युक्त चीजों को प्रमुखता से शामिल करें। नियमित रूप से टहलें। दिल का दौरा
सर्दियों में लोगों को दिल का दौरा पड़ने का खतरा ज्यादा रहता है। बायीं धमनी से निकलने वाली रक्त धमनियां गिरते तापमान के साथ सिकुड़ने लगती हैं, जिस कारण दिल को रक्त प्रवाहित करने के लिए अधिक प्रयास करना पड़ता है। इससे दिल पर अधिक दबाव पड़ने लगता है और यही दिल का दौरा पड़ने का कारण बनता है। ऐसी स्थिति में उन लोगों के लिए खतरा और बढ़ जाता है, जिन्हें अपने दिल की स्थिति के बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं होती। मैक्स हॉस्पिटल में एसोसिएट निदेशक और कार्डिएक डॉं वनिता अरोड़ा बताती हैं कि कार्डिएक वैस्क्यूलर रोगों से पीडित व्यक्तियों को इस मौसम में विशेष और उचित सावधानियां बरतनी चाहिए। क्या-क्या बरतें सावधानियां
ज्यादा और मेहनत वाला काम करने से बचें। लगातार काम करने के बजाय बीच-बीच में आराम करते रहें, ताकि आपके दिल पर अत्यधिक दबाव न पड़े। इसके लिए अपने व्यायाम के तौर-तरीकों में भी बदलाव लाते रहें। अत्यधिक ठंड के दिनों में सुबह की सैर से बचें। आप इसके बदले शाम की थोड़ी-बहुत धूप में टहल सकते हैं। सर्दियों के दौरान लोगों को अपनी सामान्य खुराक से ज्यादा खाने से भी परहेज करना चाहिए, लेकिन ध्यान रहे कि एक बार में ही अत्यधिक मात्रा में भोजन कर लेने से भी आपके दिल पर अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है। सर्दी के दौरान कभी यह सोचकर अत्यधिक शराब का सेवन न करें कि इससे आपके शरीर की गर्मी बनी रहेगी। अल्कोहल के अत्यधिक सेवन से एट्रियल फाइब्रिलेशन हो सकता है, जो दिल की अनियमित धड़कनों की एक सामान्य समस्या है। डॉक्टर की सलाह पर दवा भी रख सकते हैं और सांस उखड़ने या सांस लेने में तकलीफ या सीने में दर्द महसूस करने पर आप इनका सेवन कर सकते हैं।  नियमित जांच कराते रहें। इससे आपको किसी भी बड़ी स्वास्थ्य परेशानी की पूर्व आहत मिल जाएगी। सच ही कहा गया है इलाज से बेहतर रोकथाम।

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