Sunday 19 January 2014

आय अनुसार स्कूल, होटल पर कैसे तय होगा

दूसरी टैक्स प्रणाली लाओ
सरकार को घेरने के लिए हम तैयार
सर्वे बेकार, जोन भी ठीक नहीं
टैक्स 100 रुपए, सुविधा दस की
सरकार पर दबाव तो बनाया जाना चाहिए
टैक्स लेने के बाद क्या पेड़ काटने देंगे
पहले होनी चाहिए थी जन सुनवाई
बीच का रास्ता निकाला जाना चाहिए
कारोबारियों के पक्ष में नहीं प्रणाली
बिना विकास, मर्ज एरिया से कैसे लोगे टैक्स
यूनिट एरिया मेथडत्न लोगों ने नई टैक्स प्रणाली पर निकाली खामियां, सवालों का जवाब नहीं दे पाए अफसर, जनसुनवाई के आखिरी दिन पहुंचे कम लोग
जनता के सवालों के आगे, अधिकारी लाजवाब
पहले ही भारी भरकम टैक्स चुकाते हैं
दुकान और शोरूम में कैसे अंतर करेंगे
सुविधाओं के आधार पर टैक्स क्यों नहीं
मकान मालिक और किराएदार मेंं विवाद
पुराने भवनों से टैक्स लेना भी सही नहीं
खाली जमीन का टैक्स कैसे तय होगा

यूनिट एरिया मेथड के आधार पर लगने वाले टैक्स की शहरवासियों ने शनिवार को कई बड़ी खामियां उजागर की। तैयारी के साथ आए लोगों ने इस प्रणाली से जुड़े अहम सवाल अफसरों से पूछे लेकिन उनके पास इसका कोई जवाब नहीं था। लोगों के इन सवालों ने अफसरों को सोचने पर मजबूर कर दिया। जनसुनवाई के आखिरी दिन लोगों की संख्या तो कम थी लेकिन यहां आए लोगों ने खाली जमीन, प्रॉपर्टी में टैक्स के अंतर, पुराने मकानों पर लिए जाने वाले टैक्स संबंधी कई ऐसे सवाल पूछे जिसका कंसलटेंट एजेंसी के पास भी कोई तोड़ नहीं था। निगम प्रशासन इस मुद्दे पर 20 जनवरी तक लोगों के सुझाव लेगा।
लेकिन अभी तक जो सुझाव मिले हैं उससे लग रहा है कि अब प्रशासन को टैक्स लेने के लिए कोई नई प्रणाली खोजनी होगी। लेकिन यदि प्रशासन इसी को लागू करता है तो इसमें काफी संशोधन करने होंगे। दूसरे दिन लोगों ने सर्वे पर ही सवाल खड़े किए। इनका कहना था कि उनके घर कोई एजेंसी वाला सर्वे के लिए नहीं आया। ऐसे में किस सर्वे की बात की जा रही है। इसके अलावा अहमदाबाद की जो एजेंसी सर्वे कर रही है। वह भी दिल्ली जैसे शहरों को आधार मानकर सर्वे कर चुकी है। दिल्ली और शिमला की परिस्थितियां अलग है। सही प्रणाली चाहिए तो न सिर्फ सर्वे सही करना होगा बल्कि यहां की परिस्थितियों और सुविधाओं के अनुसार टैक्स तय करना होगा।
संजौली के विजय शर्मा ने कहा कि कंसलटेंट एजेंसी ने अहमदाबाद, दिल्ली से तुलना कर यह सर्वे किया है। यहां की स्थिति अलग है। निगम को या तो दोबारा सर्वे करना चाहिए या दूसरी टैक्स प्रणाली लानी चाहिए।
नागरिक सभा के किशोरी ढटवालिया ने कहा कि हम सरकार को घेरने के लिए तैयार है। यह पूरा सिस्टम ही सही नहीं है। जनता इसका विरोध करती है। सभा भी इसके खिलाफ आंदोलन जारी रखेगी।
न्यू शिमला के रोशनलाल डोगरा ने कहा कि सर्वे बेकार हुआ है। निगम को चाहिए कि सरकार से बात करें और इसमें आवश्यक संशोधन करवाए। जोन का आबंटन ठीक नहीं किया गया है।
कारोबारी जीडी खन्ना ने कहा कि नए टैक्स के तहत उनसे 100 रुपए तो लिए जाएंगे मगर सुविधा अभी दस रुपए की ही मल रही है। हम कोई पाकिस्तानी नहीं जो अपने घर का ही टैक्स भरना पड़े।
अधिवक्ता ओपी चौहान ने कहा कि निगम के तहत 28 गांव ऐसे हैं जहां कोई सुविधा नहीं दी जा रही। अब क्या इनसे भी टैक्स लेंगे। निगम पार्षद हमारे साथ आएं हम मिलकर सरकार पर दबाव बनाएंगे।
कुमारहाउस के दीपक सूद ने कहा कि निगम उस प्लॉट का टैक्स मुझसे लेगा जिस पर पेड़ है। क्या निगम मुझे उन पेड़ों को काटने की परमिशन देगा। पांच साल से तो परमिशन मिली नहीं।
किसान सभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि टैक्स का प्रपोजल बनाने से पहले जनसुनवाई होनी चाहिए थी। इसमें जो सुझाव आते उसके आधार पर इसे बनाया जाना चाहिए था।
नागरिक सभा उपाध्यक्ष बलवीर पराशर ने कहा कि नया टैक्स जनता पर बोझ डाल रहा है। निगम को ऐसा सिस्टम अपनाना चाहिए जिससे आम जनता की आय के हिसाब से टैक्स चुकाना पड़े।
रूल्दूभटा के पूर्व पार्षद संजीव ठाकुर ने कहा कि टैक्स का नया सिस्टम व्यापारी वर्ग के लिए सही नहीं है। कई व्यापारियों पर आय से ज्यादा टैक्स लग सकता है। इसमें संशोधन करना चाहिए।
चमयाणा के राजेंद्र चौहान ने पूछा कि मर्ज एरिया में निगम ने सुविधाएं तो दी नहीं है। फिर कैसे टैक्स तय कर दिया है। निगम को चाहिए कि पहले इनका विकास करें और फिर टैक्स लिया जाए।
यूनिट एरिया मेथड को लेकर शनिवार को बचत भवन में जनसुनवाई के दौरान मौजूद मेयर संजय चौहान, डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवर, कमिश्नर अमरजीत सिंह और अन्य।
होटलियर मोहिंदर सेठ ने कहा कि इस कर प्रणाली में होटल मालिक के लिए कोई छूट नहीं दी है जबकि होटलवाले पहले ही लग्जरी टैक्स, सर्विस टैक्स समेत कई तरह के टैक्स भरते हैं। इसका विरोध करेंगे।
मेथड के अनुसार शोरूम से दुकान की तुलना में ज्यादा टैक्स लिया जाएगा। लेकिन यह कैसे तय होगा कि मालरोड पर कौन से शॉप दुकान है और कौन सा शोरूम हैं। क्या इनका आधार इनके द्वारा चुकाया जाने वाला किराया होगा। या फिर इनकी प्रोडक्ट बेचकर होने वाली कमाई। इनसे टैक्स लेने के लिए क्या आधार होगा, यह अभी तय नहीं है।
इस मेथड से लिया जाने वाला टैक्स सुविधाओं के अनुसार भी सही नहीं। एक रिजॉर्ट में तो 20 से 40 लोग एक दिन में सीवरेज, पानी, बिजली आदि की सुविधा लेंगे। मगर एक स्कूल में हर दिन सैकड़ों बच्चे इस सुविधा का इस्तेमाल करेंगे। सुविधा तो स्कूल ज्यादा लेगा लेकिन टैक्स रिजॉर्ट वाला ज्यादा चुकाएगा। इस आधार पर टैक्स लेना तर्कसंगत नहीं है।
नए मेथड के अनुसार मकानमालिक को उस प्रॉपर्टी का भी टैक्स देना होगा जिसे उसने किराए पर दिया है। लेकिन शहर में कई ऐसे मकान हैं जहां सालों पहले से लोग किराए पर रह रहे हैं। कई मकानों का किराया तो महज 100 से 500 तक है। यदि अब इनके आकार के हिसाब से टैक्स तय होता है तो यह टैक्स इस प्रॉपर्टी से लिए जाने वाले किराए से ज्यादा होगा। इससे विवाद बढ़ेगा।
लोगों ने सालों पहले जो बड़े भवन बनाए, उसके आकार के अनुसार टैक्स लेना भी सही नहीं है। लोगों का कहना है कि हो सकता है कि जिस समय मकान बनाया उस समय मालिक अच्छी नौकरी मेंं हो। ऐसे में वह आकार के अनुसार टैक्स दे सकता था। लेकिन अब यदि वह रिटायर होकर पैंशन ले रहा है तो फिर वह कैसे पहले बनाए मकान का टैक्स भर पाएगा।
कई लोग जिनकी जमीन पर दर्जनों हरे पेड़ हैं। उन्हें इस जमीन का टैक्स भी देना होगा। लेकिन निगम न तो इन पेड़ों को काटने की अनुमति देगा और न ही इनमें किसी तरह के निर्माण की परमिशन मिलेगी। फिर इनसे आय मिले बिना ही कैसे टैक्स तय किया जाएगा। टैक्स लेने के बाद क्या प्रशासन फिर इस जमीन पर खड़े पेड़ काटने की परमिशन देगा या नहीं।
स्कूल और होटल से टैक्स लेने के फॉर्मूले पर सवाल उठे। पूछा गया कि एक होटल जहां साल में कभी कभार ही ऑक्यूपेंसी रहती है उससे तो फैक्टर वैल्यू 20 रुपए प्रति वर्गमीटर के हिसाब से टैक्स लेंगे। मगर दूसरी ओर एक प्राइवेट स्कूल है जो हर महीने छात्र से लाखों रुपए फीस लेता है, उसकी फैक्टर वैल्यू पांच रुपए प्रति वर्गमीटर तय है।
लोगों ने टैक्स में निकाली ये खामियां

No comments:

Post a Comment