Friday 17 January 2014

ऐसे बना पिग्गी बैंक...

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पिग्गी बैंक का नाम कैसे पड़ा, भला पिग और बैंक का क्या तालमेल है? चलो हम तुम्हें बताते हैं। दरअसल, 15वीं और 16वीं शताब्दी में जब लोगों के पास बैंकिग सुविधा नहीं थी तब वो बारिश के मौसम के लिए कुछ पैसे घर में छिपाकर रखते थे। बारिश के मौसम में फसल का काम नहीं होता था, जो उनकी रोजी-रोटी का एकमात्र साधन था। पिग्गी बैंक का नाम पिग शब्द से उत्पन्न हुआ, जिसका मतलब है सूअर (जानवर)। प्राचीनकाल में जब मनुष्य शिक्षित नहीं थे, तो सूअर ऐसा जानवर माना जाता था, जिसे वह पूरे साल हर बचा हुआ खाना खिलाते थे और आखिर में उसे मारकर उसका मांस खाते थे। आज भी पिग्गी बैंक पैसे बचाने के लिए इसी रूप में इस्तेमाल होता है। हर घर में छोटे-बड़े कई गुल्लकों में घर खर्च से बचे हुए पैसे उसमें इकट्ठा किये जाते है और आखिर में उसे तोड़कर उसमें बचाये हुए पैसे का इस्तेमाल किया जाता है। 19वीं शताब्दी में बचत के लिए चिकनी मिट्टी और प्लास्टिक के बने हुए कई प्रकार और आकार के गुल्लक बाजार में बिकने लगे, जिसने बहुत कम समय में लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। इसके सुन्दर और अनेक प्रकार के खिलौने के रूप में दिखने से इसने बच्चों का ध्यान भी आकर्षित किया। पिग्गी बैंक एक आसानी से बचत करने के तरीके के साथ बचे हुए पैसे के सदुपयोग में भी मददगार साबित हुआ। यही कारण है कि दुनिया भर के बच्चे इसे खूब पसंद करते

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