Friday 24 January 2014

'अपात्रों' को बांट दी मुआवजे की 'रेवड़ी'

raofamilysirsa
शामली
। मुजफ्फरनगर व शामली के राहत शिविरों में ठंड से बच्चों की मौत और दंगा पीड़ितों की बदहाली को लेकर फजीहत झेल रही सपा सरकार के लिए मुआवजे की बंदरबाट गले की फांस बन सकती है। दंगा पीड़ितों की पुनर्वास योजना में फर्जीवाड़े की बू ने सपा सरकार और उसके हाकिमों की नीति और नीयत को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
दंगा पीड़ितों को 'रेवड़ी' की तर्ज पर बांटे गए मुआवजे की चयन प्रक्रिया में फर्जीवाड़े की बानगी यह है कि शामली में एक ही मकान नंबर पर आठ लोगों को मुआवजा दे दिया गया, साथ ही सालों से बाहर रह रहे लोगों को भी मुआवजे का हकदार प्रशासन ने माना है। इस 'बेतरतीब' निजाम के चलते दंगे के असल पीड़ित दर-ब-दर भटक रहे हैं, जबकि मुआवजे की रकम से अपात्रों की दुनिया 'रंगीन' हो गई है। दंगा पीड़ितों की बदहाली पर पर्दा डालने के लिए हुकूमत और हुक्मरान सारे हथकंडे अपना रहे हैं। यही वजह है कि मुआवजे की शक्ल में करोड़ों रुपये बांटने के बाद भी पीड़ितों की लंबी जमात खड़ी है। पुनर्वास योजना के तहत आंख बंद कर मुआवजा राशि की बंदरबाट इसकी खास वजह है।
शामली के गांव लांक, लिसाढ़ व बहावड़ी के विस्थापितों के पुनर्वास को मुआवजे के पांच लाख रुपये बैंक अकाउंट के जरिए दिए थे। इसके आगाज से ही सवाल खड़े हो गए। जवाब तलाशने के बजाय प्रशासन के आंख-कान बंद रहे। दैनिक जागरण ने पहल की तो फर्जीवाड़े की परतें उधड़ती चलीं गईं। पड़ताल में सामने आया कि गांव लांक में बनी वोटर आइडी, राशन कार्ड व अन्य पुराने दस्तावेजों के आधार पर 12 लोगों ने मुआवजा ले लिया, जबकि ये परिवार लंबे समय से शामली, गाजियाबाद व मुजफ्फरनगर में रह रहे हैं। इतना ही नहीं, शामली के वार्ड-14 के मकान संख्या-853 में रह रहे शाकिर, परवेज, फिरोज, अमीर, जहीर, इमरान, नफीस व अनीस ने पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा ले लिया। सवाल यह है कि एक ही मकान पर आठ लोगों को मुआवजा किस आधार पर दिया गया। इसके अलावा गाजियाबाद के लोनी में रह रहे दो भाइयों साजिद व कामिल को भी मुआवजा दिया गया।
सूची की जांच के बाद दिया गया मुआवजा
शामली के जिलाधिकारी पीके सिंह का दावा है कि सूची की जांच के बाद ही लोगों को मुआवजा दिया गया है। फिर भी अगर अपात्रों ने मुआवजा ले लिया तो उनसे रिकवरी कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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