Friday 24 January 2014

पश्चिम बंगाल गैंगरेप केस: सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान

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पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में पंचायती फरमान के बाद एक लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार के मामले में आज उच्चतम न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लेते हुए जिला जज से रिपोर्ट मांगी है।
उच्चतम न्यायालय ने जिला जज से कहा है कि वह घटनास्थल पर जाकर इस मामले की जांच करें और एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट दें।  उल्लेखनीय है कि वीरभूम जिले में यह घटना सोमवार को हुई थी। गांव की पंचायत ने दूसरी जाति के लड़के से प्रेम करने की सजा के तौर पर लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार करने का फरमान सुनाया था। उच्चतम न्यायालय में इस मामले में 31 जनवरी को सुनवाई होगी। पुलिस ने इस घटना को अंजाम देने वाले 13 वहशी दरिंदों को गिरफ्तार कर लिया है। उच्चतम न्यायालय ने 13 ग्रामीणों द्वारा एक आदिवासी लड़की से सामूहिक बलात्कार किए जाने की घटना पर राज्य सरकार को नोटिस भी जारी किया है। प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता में न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एम वाई इकबाल की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सुनवाई के लिए बैठते ही घटना को लेकर हैरानी जताई और मामले का संज्ञान लिया। बीस वर्षीय लड़की से सामूहिक बलात्कार की घटना लाभपुर गांव में आयोजित पंचायत में ग्राम प्रधान के कथित आदेश पर हुई। पंचायत ने दूसरी बिरादरी के लड़के से उसके प्रेम संबंधों के दंडस्वरूप यह कथित फरमान सुनाया।
   
सालिशी सभा (पंचायत) के बाद 21 जनवरी को लड़की से 13 लोगों ने बलात्कार किया। यह आदिवासी लड़की सुरी के एक अस्पताल में जिन्दगी और मौत से जूझ रही है। पीड़िता और उसके परिवार के सदस्यों ने पुलिस को दी अपनी तहरीर में कहा कि बर्बरता करने वालों में उसके पिता जितनी उम्र के भी लोग थे।
   
लड़की और उसके प्रेमी को पकड़ लिया गया। उन्हें एक पेड़ से बांधकर मारा-पीटा गया। इसके बाद उनसे 50 हजार रुपये का जुर्माना भरने को कहा गया। जुर्माना भरने में लड़की के असमर्थता जताने पर उससे सामूहिक बलात्कार किया गया।
   
मामले में ग्राम प्रधान (जिसे क्षेत्र में मोरोल के नाम से जाना जाता है) सहित सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। बलात्कार कथित तौर पर मोरोल के घर में हुआ। गिरफ्तारी के बाद सभी 13 आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा जा चुका है।

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