Sunday 26 January 2014

आडवाणी ने कहा, लोकसभा चुनाव लड़ूंगा

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भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने रविवार को साफ कर दिया कि वह आगामी लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। इसके जरिए उन्होंने उन अटकलों पर विराम लगाने की कोशिश की जिसमें कहा जा रहा था कि वह राज्यसभा से संसद पहुंच सकते हैं।
आडवाणी ने अपने आवास पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद संवाददाताओं से कहा कि मैंने (राज्यसभा जाने के बारे में) कुछ भी नहीं कहा है और अगर कोई मुझे यह सुझाव देता है तो मैं इस बारे में सोचूंगा। लेकिन यह स्वाभाविक है, मेरा मानना है कि अगर मुझे इसपर विचार करना होता तो मैंने ऐसा पहले किया होता। यह पूछे जाने पर कि क्या वह लोकसभा चुनाव लड़ेंगे तो उन्होंने कहा कि यह मेरे दिमाग में है। ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि भाजपा आडवाणी को राज्यसभा भेजने पर विचार कर रही है ताकि पार्टी में प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी की दावेदारी को मजबूत बनाया जा सके। गुजरात के गांधीनगर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले आडवाणी ने मोदी को पहले चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाए जाने और फिर पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने का विरोध किया था लेकिन हाल में पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में उनकी प्रशंसा की थी।

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर मुखर्जी के भाषण पर आडवाणी ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि मुखर्जी ने राष्ट्र के नाम अपने संदेश में लोकलुभावन अराजकता के खिलाफ बोलना जरूरी समझा। भाजपा नेता ने हालांकि इसके आगे कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि मैं सिर्फ यह कहूंगा कि आज के अवसर पर मैं किसी पर भी टिप्पणी नहीं करूंगा भले ही यह महत्वपूर्ण हो। किसी हद तक राष्ट्रपति ने इसपर टिप्पणी करना जरूरी समझा। मुखर्जी की टिप्पणी को दिल्ली में आप सरकार पर निशाने के तौर पर देखा गया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए दबाव बनाने के लिए रेल भवन के बाहर धरना दिया था। बाद में जब उनकी मांग आंशिक रूप से मान ली गई थी तो उन्होंने इसे वापस ले लिया था। भाजपा नेता ने खंडित जनादेश के खिलाफ मुखर्जी की अपील से भी सहमति जताई और कहा कि उन्हें उम्मीद है कि चुनाव के बाद देश में ऐसी सरकार बनेगी जिसके पास पूर्ण बहुमत होगा। आडवाणी ने सुरक्षा को देश के लिए सबसे अहम चिंता का विषय बताते हुए इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं सुशासन के अहम आयाम हैं। पार्टी नेता अरुण जेटली ने एक बयान में इस बात पर जोर दिया कि भारत में राजनीति की गुणवत्ता में सुधार की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राजनीति की गिरती गुणवत्ता शासन के मुद्दे पर स्वयं झलकती है। अगर भारत खराब शासन की स्थिति में औसत नौ प्रतिशत विकास दर पर तरक्की कर सकता है तो सोचिए कि राजनीति और शासन की गुणवत्ता सुधरने पर विकास दर कितनी होगी।

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