Thursday 30 January 2014

बाजार को डॉलर का डर, अभी बाजार में क्या करें!

अमेरिकी सेंट्रल बैंक ने क्यूई3 में कटौती हर महीने 1,000 करोड़ डॉलर और बढ़ा दी। इसके बाद डॉलर की मजबूती ने दुनियाभर के बाजारों को जोर का झटका दिया। नतीजा ये हुआ सेंसेक्स 300 अंकों से ज्यादा लुढ़क गया। हालांकि बाद में थोड़ी रिकवरी भी आई। दरअसल फेड के इस फैसले से बाजार डर गए क्योंकि उन्हें लग रहा है इससे एफआईआई निवेश कम होने लगेगा। यही वजह है कि दुनियाभर की करेंसी में भी तेज गिरावट हुई।

वित्तमंत्री कह रहे हैं कि क्यूई कटौती से निपटने के लिए भारत काफी हद तक तैयार है। लेकिन क्या बाजार तैयार है इस मुश्किल वक्त के लिए या फिर और झटके लगने बाकी हैं। ऐसे में क्या करें इस बाजार में क्या अब बाजार में किसी सेफ निवेश की गुंजाइश है।

बाजार की इस घबराहट भरी चाल में ब्लू ओशन कैपिटल एडवाइजर्स के फाउंडर और सीईओ निपुण मेहता का कहना है कि निवेशकों को आईटी और फार्मा शेयरों पर दांव लगाना चाहिए। मौजूदा स्तरों पर एचसीएल टेक, इंफोसिस और सन फार्मा में 1 साल के लिहाज से खरीदारी करने की सलाह है।

वहीं डेस्टिमनी सिक्योरिटीज के प्रेसिडेंट सुदीप बंद्योपाध्याय का कहना है कि मौजूदा स्तरों पर इप्का लैब में 6 महीने के लिए 950 रुपये के लक्ष्य के साथ दांव लगाना चाहिए। इसके अलावा 6 महीने के लिहाज से मारुति सुजुकी में 1700 रुपये के लक्ष्य के साथ निवेश करने की सलाह है।

फिलिप कैपिटल के विनीत भटनागर का कहना है कि क्यूई3 में कटौती का सामना करने के लिहाज से भारतीय बाजार दूसरे इमर्जिंग मार्केट के मुकाबले बेहतर स्थिति में है लेकिन अगर इमर्जिंग देशों में ईटीएफ बिकवाली बढ़ती है तो भारतीय बाजार में भी भारी गिरावट से इनकार नहीं किया जा सकता है।

दरअसल क्यूई3 में कमी से रुपये में और कमजोरी की आशंका है। रुपये में कमजोरी से एक्सपोर्ट, आईटी और फार्मा कंपनियों को फायदा होगा। लेकिन इमर्जिंग देशों से लिक्विडिटी बाहर जाने का भी खतरा है। दरअसल क्यूई के ऐलान के बाद भारत में 8,600 करोड़ डॉलर का निवेश हुआ है। इस साल 28 जनवरी तक एफआईआई निवेशकों ने 359.4 करोड़ रुपये का निवेश किया है।

वहीं रुपये की चाल पर नजर डालें तो 15 जुलाई 2013 को डॉलर के मुकाबले रुपया 59.82 के स्तर पर था, जो अब 62.41 के स्तर तक टूट चुका है। क्यूई3 में कटौती की आशंका के चलते ही पिछले 2 हफ्ते से रुपया टूटना शुरू हुआ था। 14 जनवरी 2014 को डॉलर के मुकाबले रुपया 61.49 के स्तर पर था, जो 30 जनवरी को 62.90 तक लुढ़का।

हम आपको बता दें कि फेडरल रिजर्व ने बॉन्ड खरीद योजना या क्यूई3 में 10 अरब डॉलर की और कटौती कर दी है। नई कटौती फरवरी से लागू होगी। यानि क्यूई3 अब 7500 करोड़ डॉलर से घटकर 6500 करोड़ डॉलर प्रति महीने हो गया है।

फेड के मुताबिक दिसंबर से इकोनॉमी में सुधार देखने को मिला है। ऐसे में आगे भी फेड बॉन्ड खरीदारी में कटौती कर सकता है। जानकारों के मुताबिक फेड रिजर्व ने उम्मीद के मुताबिक कदम उठाया है। फेड अब हर महीने करीब 10 अरब डॉलर घटाएगा। इस साल अक्टूबर-नवंबर तक बॉन्ड खरीद योजना खत्म हो सकती है।

हम आपको बता दें कि पिछले कुछ दिनों में इमर्जिंग देशों की करेंसी और मनी मार्केट में काफी हलचल देखने को मिली है। मंगलवार को भारत के रेपो रेट बढ़ाने के बाद कई इमर्जिंग देशों ने ब्याज दरें बढ़ा दी हैं जिसका असर करेंसी बाजार पर दिखा था।

मंगलवार को तुर्की ने लीरा को बचाने के लिए ब्याज दर बढ़ाई। तुर्की ने ब्याज दर 7.75 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी की। तुर्की के पीछे-पीछे दक्षिण अफ्रीका ने भी रेपो रेट बढ़ाया। दक्षिण अफ्रीका ने रैंड को बचाने के लिए रेपो रेट 0.5 फीसदी बढ़ाया। ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बावजूद करेंसी बाजार टूटे। हालात ये थे कि दक्षिण अफ्रीका रैंड 5 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया था। लीरा भी नए निचले स्तर पर पहुंचा था।

करेंसी और शेयर बाजार में भारी बिकवाली को थामने के लिए वित्त मंत्रालय भी सामने आया। वित्त मंत्री पी चिदंबरम की तरफ से जारी हुए बयान में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति मजबूत है और किसी को घबराने की जरूरत नहीं है।

दरअसल कल अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बॉन्ड खरीद योजना में 1000 करोड़ डॉलर की कमी की है जिसके कारण दुनिया के बाजारों में मंदी है। वित्त मंत्रालय के मुताबिक फेड का कदम उम्मीद के मुताबिक है और बॉन्ड खरीद में कमी के बावजूद भारत में मोटी नकदी आती रहेगी। भारत का फॉरेक्स रिजर्व 295 अरब डॉलर है और देश में नकदी की कोई कमी नहीं है।

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