Monday 22 July 2013

1984 दंगा: CBI की याचिका पर सज्जन कुमार को नोटिस

Image Loadingदिल्ली हाईकोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में सज्जन कुमार को बरी करने के फैसले के खिलाफ सीबीआई की अपील पर कांग्रेस नेता को नोटिस जारी किया है। यह मामला एक भीड़ द्वारा पांच सिखों की हत्या से जुड़ा है।
    
न्यायमूर्ति जी एस सिस्तानी और न्यायमूर्ति जी पी मित्तल की पीठ ने जांच एजेंसी की याचिका पर जवाब सज्जन कुमार से जवाब तलब किया है। न्यायालय इस मामले में अब 27 अगस्त को आगे विचार करेगा।     
सीबीआई के अलावा, पीडिम्तों के परिवार के सदस्यों जगदीश और निरप्रीत कौर ने भी इस मामले में निचली अदालत के आदेश को चुनौती दे रखी है। इनकी याचिका पर भी यही पीठ 27 अगस्त को सुनवाई करेगी।
    
निचली अदालत ने 30 मई को इस 29 वर्ष पुराने मामले में सज्जन कुमार को बरी करते हुए कहा था कि वह संदेह का लाभ प्राप्त करने के हकदार है क्योंकि मुख्य गवाह जगदीश कौर ने 1985 में न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा आयोग के समक्ष अपने बयान में आरोपी के रूप में उनका नाम नहीं लिया था।
    
निचली अदालत ने कहा था कि  यह वास्तविकता है कि जब प्रत्यक्षदर्शी और शिकायतकर्ता जगदीश कौर ने 1985 में न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा आयोग के समक्ष अपना हलफनामा पेश किया था, तब उन्होंने सज्जन कुमार के नाम का उल्लेख नहीं किया था हालांकि अन्य आरोपियों के नाम लिये गए थे।
    
निचली अदालत ने हालांकि इस मामले में पांच अन्य लोगों को दोषी करार दिया और सिखों की हत्या करने वाली भीड़ का हिस्सा होने के जुर्म में कारावास की सजा सुनाई। इस मामले में पूर्व पार्षद बलवान खोक्कर, गिरधारी लाल और सेवानिवत नौसेना अधिकारी कैप्टन भागमल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जबकि शेष दो आरोपियों पूर्व विधायक महेन्द्र यादव और किशन खोक्कर को तीन वर्ष कारावास की सजा सुनाई गयी।
   
उच्च न्यायालय में अपनी अपील में जांच एजेंसी ने कहा है कि निचली अदालत ने सज्जन कुमार को बरी करके भूल की है, क्योंकि 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उन्होंने ही भीड़ को उकसाया जिसके कारण दंगा भड़का।
   
इस मामले में सज्जन कुमार और अन्य के खिलाफ 2005 में न्यायमूर्ति जी टी नानावती आयोग की सिफारिश पर 2005 में मामला दर्ज किया गया था। सीबीआई ने जनवरी 2010 में उनके और अन्य आरोपियों के खिलाफ दो आरोपपत्र दायर किये थे।

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