Thursday 18 July 2013

मिड-डे-मील: राष्ट्रव्यापी निगरानी समिति का गठन, बिहार-यूपी में प्रिंसिपल चखेंगे

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बिहार में 23 बच्चों की मौत पर केंद्र इस योजना की राष्ट्रव्यापी निगरानी के लिए एक समिति गठित करेगा। बिहार व यूपी में प्रिंसिपल, शिक्ष्‍ाक और रसोइये को पहले उसे चखने का निर्देश दिया गया है।
केन्द्र सरकार ने बिहार में मिड डे मील खाने से 23 बच्चों की मौत देखते हुए इस योजना की राष्ट्रव्यापी निगरानी के लिए एक नई समिति गठित करने का फैसला किया है। मानव संसाधन विकास मंत्री डॉक्टर पल्लम राजू ने यह घोषणा की। यह पूछे जाने पर कि सरकार बिहार में हुए इस दर्दनाक हादसे को देखते हुए मिड डे मील योजना की कड़ी निगरानी के लिए क्या कदम उठा रही है, राजू ने कहा कि हमने पूरे देश में इस योजना की कडी़ निगरानी के लिए एक नयी समिति गठित करने का फैसला किया है।

उन्होंने कहा कि मिड डे योजना देश में स्कूली शिक्षा को बढा़वा देने की एक अच्छी योजना है, लेकिन इस हादसे को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू नहीं होना चाहिए।
उन्होंने स्वीकार किया कि बिहार सरकार को पहले ही आगाह किया जा चुका था कि वहां के 12 जिलों में मिड डे मील योजना के तहत मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता अच्छी नहीं है तथा इसमें सारण जिले के स्कूलों में भोजन की गुणवत्ता सबसे अधिक खराब है।

गौरतलब है कि बुधवार को राजू ने बिहार सरकार को इस घटना के बारे में अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को देने का भी निर्देश दिया था। केन्द्रीय शिक्षा सचिव आर भट्टाचार्य ने बिहार के विशेष सचिव से भी इस बारे में बातचीत की थी और मंत्रालय ने अपने संयुक्त सचिव अमरजीत सिंह को स्थिति का जायजा लेने के लिए उस स्कूल में भेजा था। उधर बिहार शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों के प्रिंसिपल और मिड-डे मील के रसोइए को निर्देश दिया है कि छात्रों को भोजन परोसने से पहले उसे चखकर जांच की जाए। साथ ही स्टोर के पास किसी तरह का कीटनाशक ना रखें। इस संबंध में राज्य के सभी समाचार पत्रों में विज्ञापन दिए गए हैं, जिनमें कहा गया है कि सभी स्कूल इस निर्देश का कड़ाई से पालन करें, अन्यथा उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस बीच बिहार में मिड-डे मील से हुई बच्चों की मौत पर राजनीति तेज हो गई है। विपक्षी पार्टियों ने राज्य के शिक्षा मंत्री पी के शाही के बयान का विरोध किया है। बुधवार को पी के शाही ने साजिश की आशंका जताते हुए कहा था कि खाने में ऑर्गेनिक फॉस्फोरस नामक जहरीला कीटनाशक पाया गया है। शाही ने इस बात का भी खुलासा किया है कि स्कूल की प्रिंसिपल मीना कुमारी के पति का एक राजनीतिक पार्टी से गहरा संबंध हैं और उसकी नियुक्ति भी राजनीतिक दबाव में हुई थी। खाने का सारा सामान स्कूल की प्रिंसिपल मीना कुमारी के पति के दुकान से आया था। शाही के इस आरोप के बाद दो सियासी दलों जेडीयू और आरजेडी के बीच ऐसा घमासान शुरू हो गया है, जिसमें तमाम मर्यादाएं टूटने लगी है। आरजेडी ने पलटवार करते हुए नीतीश सरकार के मंत्रियों पर आरोप लगाया है कि नीतीश के कई मंत्री खुद मिड डे मील में सप्लाई करने का धंधा करते है। आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव ने आरोप लगाया कि मिड-डे मील स्कीम को लेकर सरकार और एनजीओ के बीच सांठगांठ है। आरजेडी के मुताबिक जेडीयू के कुछ नेता एनजीओ बनाकर कई जिलों में मिड-डे-मील का धंधा कर रहे हैं। आरजेडी के मुताबिक नीतीश कुमार खुद पर लगे आरोपों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए उनकी पार्टी पर अनर्गल आरोप लगा रहे हैं। उधर, बिहार में अनेक बच्चों की विषाक्‍त भोजन से हुई मौत से सबक लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने गुरुवार को सरकारी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन वितरण से पहले शिक्षक, प्रबंधक अथवा रसोइया को स्वयं खाना चखने का निर्देश दिया। इसके साथ ही सरकार ने मध्यान्ह भोजन में प्रयुक्‍त अनाज और पके हुए भोजन का अपने स्तर पर निरीक्षण करने का भी निर्णय लिया है। प्रदेश की बेसिक शिक्षा विभग की ओर से जारी निर्देशों में सभीअधिकारियों से प्राइमरी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता पर नजर रखने को कहा गया है।
 
पहले चरण में सघन जांच अभियान के लिये राजधानी लखनऊ सेसटे छह जिलों को चुना गया है। इन जिलों में समन्वयक ऐसे सभी प्राइमरी स्कूलों का निरीक्षण करेंगे जहां मध्यान्ह भोजन वितरित किया जाता है। निर्देशों के तहत प्रत्येक समन्वयक प्रतिमाह कम से कम चार स्कूलों का निरीक्षण करके सुनिश्चित करेगा कि बच्चों को ताजा, स्वच्छ और पौष्टिक भोजन दिया जा रहा है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि भोजन की गुणवत्ता पर कोई समझौता नहींकिया जायेगा।
 
देश के किसी भी राज्य में चलने वाली सबसे बडी़ योजना के तहत उत्तर प्रदेश में एक लाख सोलह हजार से अधिक प्राइमरी स्कूलों के 1.42 करोड से अधिक बच्चों तथा 53499 उच्च प्राइमरी स्कूलों में साठ लाख से अधिक छात्र पंजीकृत हैं।

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