Sunday 21 July 2013

रमन सिंह और चार मंत्रियों पर घूस लेने का आरोप

Indira Priyadarshini Mahila Nagrik Sahkari Bank scamरायपुर। राजधानी के इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक में करीब छह साल पहले हुए गबन के मामले में राज्य के मुख्यमंत्री व चार कैबिनेट मंत्री पर करोड़ों रुपये लेने का आरोप कांग्रेस ने लगाया है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यक्रम समन्वयक भूपेश बघेल ने यह आरोप लगाते हुए शनिवार को बैंक के तत्कालीन मैनेजर के नार्को टेस्ट की सीडी मीडिया को जारी की।
सीडी में मैनेजर ने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, तत्कालीन वित्त मंत्री अमर अग्रवाल, लोक निर्माण मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, आवास एवं पर्यावरण मंत्री राजेश मूणत और सहकारिता मंत्री रामविचार नेताम को एक-एक करोड़ रुपये बांटने का दावा किया है। इस खुलासे के बाद बघेल ने मुख्यमंत्री सहित पूरे मंत्री परिषद को नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देने की मांग की है। दूसरी ओर सरकार के प्रवक्ता बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि इस सीडी को न्यायालय में सबूत के तौर पर पेश ही नहीं किया गया है, क्योंकि जांच के दौरान बयानों में विरोधाभास मिला था।
पढ़ें: कांग्रेस से मिली सीडी के संपादित अंश
कांग्रेस नेता ने पत्रवार्ता में बताया कि बैंक के मैनेजर उमेश सिन्हा की सीडी देखने पर साफ है कि उसने बैंक के चेयरमैन रीता तिवारी के आदेश पर मुख्यमंत्री सहित चार कैबिनेट मंत्रियों को एक-एक करोड़ रुपये बांटे हैं। यही नहीं, दिवंगत डीजीपी ओपी राठौर को भी एक करोड़ रुपये दिए गए थे। मैनेजर ने खुद एक रुपया भी नहीं लिया। मामला खुलने के बाद चेयरमैन रीता तिवारी विदेश चली गई। कांग्रेस नेता का कहना है कि यह सीडी दिवंगत नेता दिनेश पटेल 15 जून को जारी करने वाले थे। झीरम घाटी नक्सली हमले से दो दिन पहले 23 मई को कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी को उन्होंने एक एसएमएस भेजा था कि वे 15 जून को बड़ा खुलासा करेंगे, जिससे मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ जाएगा। लेकिन उससे पहले नक्सली हमले में उनकी मौत हो गई।
2007 में दर्ज हुई रिपोर्ट
मामले की रिपोर्ट सिटी कोतवाली थाने में 9 जनवरी 2007 को दर्ज कराई गई। धारा 409,420,467, 468, 201 एवं 120 बी के तहत जुर्म पंजीबद्ध किया गया। लेकिन अभी तक गबन की राशि बरामद नहीं हो पाई है, जिसके कारण खातेदारों के जमा रुपये वापस करने की विवशता बैंक के सामने है। डिपाजिट इंश्योरेंस एण्ड क्रेडिट गारंटी कारपोरेशन मुबंई से 13 करोड़ रुपये प्राप्त कर एक लाख की सीमा तक के छोटे खातेदारों को रकम वापस की जा रही है। किंतु डीआईसीजीसी से प्राप्त रकम उसे वापस करना भी एक अनिवार्य शर्त है तथा खातेदारों की शेष राशि भी वापस करना है, जो अभियुक्तों से वसूली हुए बिना संभव नहीं है। इस मामले में सीबीआई जांच की मांग भी की गई थी।
2003 से 2006 तक हुआ गबन
बघेल बताया कि गबन वर्ष 2003 से 01.08.2006 तक हुआ। इस दौरान बैंक के 25716 खातेदारों की जमा राशि 54 करोड़ 38 लाख 45 हजार 333.27 रुपये का गबन किया गया फलस्वरूप 02.08.2006 को बैंक का बैंकिंग कारोबार बंद हो गया और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंक का बैंकिंग लाइसेंस निरस्त कर दिया। यह गबन बैंक के निदेशक मंडल एवं कर्मचारियों ने षड्यंत्र रचकर किया। इसके तहत फाल्स एफडीआर, डीडी और पे-आर्डर जारी किए गए और अलग-अलग बैंकों में जमा राशि निकाली गई, जिसे बैंक की लेखा पुस्तकों में दर्ज नहीं किया गया। इस दौरान फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लोन भी बांटे गए।
सीडी को दिनेश के एसएमएस से जोड़ना ठीक नही: बृजमोहन
इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले से संबंधित नार्को टेस्ट की सीडी को झीरम घाटी में शहीद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से जोड़ना दुर्भाग्यजनक है। यह बातें राच्य सरकार के प्रवक्ता बृजमोहन अग्रवाल ने कही। उन्होंने कहा कि झीरम घाटी में इतनी बड़ी घटना हुई, उसमें शहीद लोगों को श्रद्धांजलि देने के बजाय सीडी को दिवंगत नेता नंदकुमार पटेल के बेटे दिनेश पटेल के एसएमएस से जोड़ना उचित नहीं है। अग्रवाल ने कहा कि दरअसल यह कांग्रेस की अंतर्कलह का परिणाम है, जो बरसों पुरानी सीडी को सनसनीखेज खुलासे की तरह पेश किया गया। नार्को टेस्ट के नाम पर पेश की गई सीडी फर्जी है, यह बात कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जानते हैं। यही वजह है कि उनकी पत्रवार्ता में कोई बड़ा लीडर नहीं था। सीडी 2007 में बनी है।
सीडी में सच्चाई है तो कांग्रेस ने पिछले चुनाव में इसे मुद्दा क्यों नहीं बनाया? यह केवल सस्ती लोकप्रियता बटोरने के लिए किया गया कपोल कल्पित षड्यंत्र है। मीडिया से चर्चा के दौरान अग्रवाल ने सीबीआई जांच की मांग को खारिज करते हुए उसे पिंजरे में बंद तोता कहा। अग्रवाल ने कहा कि हमारी पुलिस ने पूरे मामले की जांच तत्परता से की। दोषी लोगों को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया। अब आगे का काम अदालत का है, इसलिए इसमें सीबीआई जांच की जरूरत ही नहीं है। सीबीआई पिंजरे में बंद तोता है। यह सर्वोच्च न्याय संस्था सुप्रीम कोर्ट कह चुकी है।
कांग्रेस मुद्दाविहीन पार्टी
अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस मुद्दाविहीन पार्टी है। उनके पास कोई मुद्दा नहीं था इसीलिए तीन दिनों तक विधानसभा में भी शोर-शराबा करते रहे। किसी मुद्दे पर तर्क या बहस नहीं की। अब पुरानी और फर्जी सीडी जारी कर केवल माहौल बनाना चाहते हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा भी कोई सीडी जारी करेगी? अग्रवाल ने कहा कि सीडी जारी करना कांग्रेसियों की संस्कृति है, ये वहीं लोग करते हैं।
मीडिया के सामने आने से बच रहे उमेश सिन्हा
इस मामले में उमेश सिन्हा से बातचीत करने की कोशिश की गई तो उनका मोबाइल बंद मिला। घर पहुंचे मीडिया कर्मियों से भी उन्होंने मिलने और बात करने से इनकार कर दिया। सिन्हा के वकील एसके फरहान ने यह कहते हुए कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया कि कांग्रेस द्वारा जारी इस सीडी का न्यायालयीन प्रक्रिया से कोई संबंध नहीं है।
उमेश के बयान में विरोधाभास
उमेश सिन्हा के नार्को टेस्ट की सीडी में ही कई विरोधाभास हैं। यहां तक कि उमेश सिन्हा ने जो बात एक बार कही, दूसरी बार उसी बात से पलट गया। उमेश सिन्हा और इस मामले में गिरफ्तार बैंक के डॉयरेक्टरों के बयानों में भी विरोधाभास थे। इसलिए पुलिस ने इसे साक्ष्य के रुपये में कोर्ट में प्रस्तुत नहीं किया। यह सीडी आरटीआई के तहत 2009 में उपलब्ध कराई जा चुकी है। -जीपी सिंह, आईजी, रायपुर रेंज

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