Thursday 18 July 2013

उच्च कोलेस्ट्रॉल से बचाए उज्जायी प्राणायाम

Image Loadingआज के शहरी जीवन में काफी संख्या में लोग उच्च कोलेस्ट्रॉल की समस्या से परेशान हैं। इस कारण कई बीमारियां शरीर को परेशान करने लगती हैं। हलासन व उज्जायी प्राणायाम जैसी यौगिक क्रियाओं के अभ्यास से इस समस्या से मुक्ति पाई जा सकती है।
कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर में पाया जाने वाला एक प्रकार का फैट है, जो हमारे रक्त में लिपोप्रोटीन के साथ संचार करता है। आवश्यकता से अधिक कोलेस्ट्रॉल धमनियों में जमा होकर दिल के दौरे, स्ट्रोक, लकवा तथा किडनी आदि से संबंधित रोगों का कारण बनता है। दुनिया में होने वाली अधिकतर मौतें और विकलांगता का कारण भी यही है। क्या है इसका कारण
अप्राकृतिक तथा अनियमित जीवनशैली इस रोग का प्रमुख कारण है। अधिक कैलोरीयुक्त भोजन, फास्ट तथा जंक फूड, आरामतलब जीवनशैली तथा व्यायाम की कमी इस समस्या का प्रमुख कारण है। योग एवं ध्यान के अभ्यास से इसको जड़ से दूर किया जा सकता है। आसन
प्रतिदिन क्षमतानुसार सूर्य नमस्कार के चक्रों का अभ्यास कोलेस्ट्रॉल की समस्या को जड़ से दूर करने के लिए पर्याप्त है। प्रारम्भ में दो चक्रों से अभ्यास शुरू कर धीरे-धीरे इसे बढ़ाते हुए कम से कम दस चक्रों तक ले जाएं। इसके साथ हलासान, ताड़ासन, त्रिकोणासन, वीरासन, जानुशिरासन, उष्ट्रासन, कुक्कूटासन, धनुरासन, भुजंगासन  का भी क्षमतानुसार नियमित अभ्यास करना चाहिए। हलासन की अभ्यास विधि
पीठ के बल जमीन पर सीधा लेट जाएं। दोनों हाथों को शरीर के बगल में जमीन पर रखें। गहरी श्वास-प्रश्वास लेकर दोनों पैरों को जमीन से सीधा ऊपर उठाएं। इसके बाद नितम्ब तथा कमर को भी जमीन से ऊपर उठाते हुए पैर के पंजों को सिर के पीछे जमीन तक ले जाएं। इस अंतिम स्थिति में आरामदायक समय तक (प्रारम्भ में 10 सेकेंड) रुकें। यह समय धीरे-धीरे बढम कर 3 से 4 मिनट तक ले जाएं। इसके बाद वापस पूर्व स्थिति में जाएं। उच्च रक्तचाप तथा हृदय रोगी इसका अभ्यास न करें। प्राणायाम
सरल कपालभाति के साथ नाड़ी शोधन तथा उज्जायी प्राणायाम के नियमित अभ्यास से उच्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर को सामान्य करने में मदद मिलती है। उज्जायी की अभ्यास विधि
पद्मासन, सिद्धासन, सुखासन या कुर्सी पर रीढ़, गला व सिर को सीधा कर बैठ जाएं। आंखों को ढीला बंद कर मन को एकाग्र करते हुए दस गहरी श्वास-प्रश्वास लें। अब गले को थोड़ा संकुचित करते हुए एक गहरी श्वास नासिका द्वारा से ‘स’ की आवाज निकालते हुए लें। इसके बाद नासिका द्वारा से ही एक गहरी तथा धीमी श्वास ‘ह’ की आवाज निकालते हुए बाहर निकालें। प्रारम्भ में इसकी 18 आवृत्ति तक तथा धीरे-धीरे बढम कर 48 आवृत्तियों तक अभ्यास करें। कैसा हो आपका आहार
सादा संतुलित आहार लें। आहार में साबुत अनाज को प्राथमिकता दें। चावल, चोकर मिश्रित आटे की रोटी, दाल (छिलके वाली), अंकुरित अनाज, मौसमी फल, सब्जियां आदि पर्याप्त मात्रा में लें। तली-भुनी तथा मसाला युक्त चीजों के इस्तेमाल से बचें।

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