Thursday 18 July 2013

तालिबान कमांडर को याद आए गांधीजी

talibanइस्लामाबाद। तालिबान कमांडर अदनान राशिद ने लड़कियों की शिक्षा की वकालत करने वाली मलाला यूसुफजई को लिखे पत्र में महात्मा गांधी, प्रभु ईसा मसीह और भगवान बुद्ध का जिक्र किया है। उसे पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की हत्या के प्रयास में शामिल होने के आरोप में 2003 में मौत की सजा सुनाई गई थी। पिछले साल जेल से फरार हुए राशिद की पुलिस को तलाश है।
टूटी फूटी अंग्रेजी में 2000 शब्दों के पत्र में तालिबान कमांडर ने लिखा, 'मैंने तुम्हारे बारे में पहली बार बीबीसी उर्दू पर सुना था। उसी समय मैं तुम्हे पत्र लिखना चाहता था और यह सलाह देना चाहता था कि तुम तालिबान विरोधी गतिविधियों के खिलाफ लिखना बंद करो, लेकिन तुम्हारा पता नहीं मिल पाया। हम दोनों यूसुफजई जनजाति से हैं इसलिए मेरी भावनाएं तुमसे जुड़ी हैं। तालिबान का तुम पर हमला इस्लामिक तौर पर सही है या नहीं मैं इस बहस में पड़ना नहीं चाहता।
कभी वायुसेना के कर्मचारी रहे राशिद ने कहा कि तालिबान ने पढ़ाई की वजह से मलाला पर हमला नहीं किया। तालिबान और मुजाहिदीन लड़के और लड़कियों की शिक्षा के खिलाफ नहीं है। मैं तुम्हें बताना चाहता हूं कि भारतीय उपमहाद्वीप बहुत उच्च शिक्षित था और अंग्रेजों के आक्रमण से पहले लगभग हर नागरिक पढ़ लिख लेता था। स्थानीय लोग ब्रिटिश अधिकारियों को अरबी, हिंदी, उर्दू और फारसी सिखाते थे। यही नहीं मुस्लिम शासक शिक्षा पर खूब खर्च करते थे। गरीबी या धर्म को लेकर कोई झगड़ा नहीं होता था क्योंकि शिक्षा प्रणाली महान विचारों और महान पाठ्यक्रम पर आधारित होती थी। मैं तुम्हारा ध्यान सर टीबी मैकाले द्वारा भारतीय उपमहाद्वीप में किस प्रकार की शिक्षा प्रणाली की जरूरत है इस संबंध में दो फरवरी, 1835 को ब्रिटिश संसद को लिखे सुझाव की ओर आकर्षित कराना चाहता हूं। मैकाले ने लिखा था,'हमें ऐसा वर्ग तैयार करना है जो हमारे और हमारे द्वारा शासित करोड़ों लोगों के बीच दुभाषिए का काम कर सके, जो रक्त और रंग में तो भारतीय हो लेकिन पंसद, विचार, आदर्श और बुद्धि से अंग्रेज हो।'
राशिद ने कहा कि यही वह कथित शिक्षा प्रणाली है जिसके लिए तुम मरने को तैयार हो। आगे राशिद ने लिखा, 'जो दया भाव आपने पैगंबर मुहम्मद से सीखा काश उसे पाकिस्तानी सेना भी सीखती ताकि वे मुसलमानों का खून बहाना बंद कर देते।..जो दया भाव आपने यीशू से सीखा है वो अमेरिका और नाटो सेना को सीखना चाहिए। यही कामना मैं बुद्धा के अनुनायियों से करता हूं कि वे निर्दोष और निहत्थे मुसलमानों को बर्मा (अब म्यांमार) में मारना बंद करें। मैं चाहता हूं कि यही बात भारतीय सेना महात्मा गांधी से सीखे।

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