Thursday 18 July 2013

स्वस्थ जीवन का आधार कैल्शियम

Image Loading हमारा शरीर बचपन में अधिकतम 60 प्रतिशत कैल्शियम अवशोषित करता है और युवावस्था में 15 से 20 प्रतिशत, क्योंकि हड्डियों के निर्माण में कैल्शियम की सर्वाधिक भूमिका होती है। अगर शरीर में इसकी कमी आ जाए तो हड्डियों से संबंधित अनेक परेशानियां शुरू हो जाती हैं। खानपान पर थोड़ा ध्यान देकर आप अपने शरीर में कैल्शियम के स्तर को संतुलित रख सकते हैं, बता रही हैं शमीम खान
कैल्शियम हमारे शरीर का आधार तत्व है। खासकर हड्डियों और दांतों में कैल्शियम ही होता है, लेकिन शरीर के हर सेल को काम करने के लिए कैल्शियम की आवश्यकता होती है। जब कैल्शियम का सेवन कम किया जाता है या शरीर इसका कम मात्रा में अवशोषण करता है, तब रक्त, मांसपेशियों और अंतरकोशिकीय द्रवों में इसकी निश्चित मात्रा को बनाए रखने के लिए शरीर हड्डियों में संग्रहित कैल्शियम का उपयोग करता है, जिससे हड्डियां काफी कमजोर हो जाती हैं। हालांकि शरीर में उपस्थित कुल कैल्शियम में से एक प्रतिशत से कम की ही इन आवश्यक मेटाबोलिक क्रियाओं के लिए जरूरत होती है। क्यों आवश्यक है
मांसपेशियों की कार्यप्रणाली के लिए कैल्शियम की आवश्यकता होती है। तंत्रिकाओं को भी मस्तिष्क और शरीर के विभिन्न भागों के बीच संदेश पहुंचाने के लिए कैल्शियम की जरूरत पड़ती है। इसके अतिरिक्त यह शरीर में रक्त के संचरण के लिए भी आवश्यक है। यह हार्मोन्स और एंजाइम्स के स्रवण में भी सहायता करता है, जो शरीर की लगभग सभी गतिविधियों को प्रभावित करते हैं। हड्डियों की मजबूती के लिए भी कैल्शियम और विटामिन डी की आवश्यकता होती है। कैल्शियम से भरपूर भोजन
दूध और दुग्ध उत्पाद कैल्शियम से भरपूर होते हैं। इसके अलावा ब्रोकली, पत्तागोभी, पालक समेत सभी हरी पत्तेदार सब्जियां, केले, ब्रेड, पास्ता, सोया मिल्क, टोफु, बादाम, नॉनवेज और कई अनाज भी कैल्शियम के अच्छे स्रेत हैं। कम वसायुक्त डेयरी प्रोडक्ट में वसायुक्त डेयरी प्रोडक्ट की तुलना में अधिक कैल्शियम होता है। गहरी हरी पत्तेदार सब्जियां कैल्शियम का एक अच्छा स्त्रोत हैं। 100 ग्राम हरी पत्तेदार सब्जियों  में 100 से लेकर 190 मि.ग्रा. कैल्शियम होता है। बादाम भी कैल्शियम का एक अच्छा स्रेत है। 100 ग्राम बादाम में करीब 266 मि.ग्रा. कैल्शियम होता है। कमी के प्रभाव
कैल्शियम के अपर्याप्त मात्रा में सेवन से कम समय में कोई लक्षण नजर नहीं आता, क्योंकि हड्डियों में मौजूद कैल्शियम से शरीर में इसका स्तर बना रहता है, लेकिन लंबे समय में कैल्शियम के कम मात्रा में सेवन से स्वास्थ्य पर घातक प्रभाव दिखाई देने लगते हैं। इससे बोन मास कम हो जाता है, जिसे ऑस्टोपेनिया कहते हैं। इससे ऑस्टियोपोरोसिस और हड्डी फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। जब शरीर में कैल्शियम की अत्यधिक कमी हो जाती है तो उंगलियां सुन्न होने की समस्या या उनमें झुनझुनी आना, दौरे पड़ना और हृदय की धड़कनें असामान्य होने के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। समय पर इलाज न हो तो यह मृत्यु का कारण बन सकता है। ऐसे में चाहिए अधिक कैल्शियम अगर ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या है।
हाई ब्लड प्रेशर के शिकार हैं।
हाई कोलेस्ट्रॉल ने आपको दबोचा हुआ है।
गर्भावस्था और स्तनपान कराने के दौरान। कई बीमारियों में फायदेमंद
पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम का सेवन हाई ब्लड प्रेशर में भी लाभ पहुंचाता है और कई तरह के कैंसर की आशंका को भी कम करता है। कुछ अध्ययनों में यह बात भी उभर कर आई है कि कैल्शियम पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द को कम करता है। कोशिकाओं के बीच संकेतों के आदान-प्रदान में भी कैल्शियम की अत्यधिक आवश्यकता होती है। अधिक से बचें
अगर कैल्शियम के सप्लिमेंट अधिक मात्रा में लिए जाएं तो गैस, पेट फूलना और कब्ज की समस्या हो जाती है। किडनी स्टोन में काफी मात्रा में कैल्शियम ऑक्जलेट पाया जाता है। कुछ अध्ययन यह कहते हैं कि भोजन में अधिक मात्रा में कैल्शियम के सेवन से किडनी स्टोन हो जाता है, लेकिन सच्चाई यह है कि कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थो का सेवन किडनी स्टोन का कारण नहीं बनता। इसके बजाए तरल पदार्थो का कम मात्रा में सेवन किडनी स्टोन के खतरे को बढ़ा देता है। जो लोग सप्लिमेंट के रूप में अधिक मात्रा में कैल्शियम लेते हैं, उनमें किडनी स्टोन होने की आशंका बढ़ जाती है। कैल्शियम का अधिक मात्रा में सेवन कब्ज का प्रमुख कारण होता है। यह शरीर की आयरन और जिंक को अवशोषित करने की क्षमता को भी प्रभावित करता है। मुश्किल भी पैदा कर सकता है
कैल्शियम और कार्डियोवस्क्युलर डिजीजेज के बीच क्या संबंध है, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। कुछ अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम का सेवन लोगों को हृदय रोगों और स्ट्रोक से बचाता है, लेकिन कुछ अध्ययनों में यह बात भी उभर कर आई है कि जो लोग अधिक मात्रा में कैल्शियम का सेवन करते हैं, विशेषकर सप्लिमेंट के रूप में, उनमें हृदय रोगों की आशंका बढ़ जाती है। सावधानी
कैल्शियम के सप्लिमेंट्स दुनिया के सबसे प्रचलित सप्लिमेंट्स में से एक हैं, लेकिन बिना सोचे-समझे इनका सेवन करने से इसके कई दुष्परिणाम भी होते हैं। इससे किडनी क्षतिग्रस्त हो सकती है, उल्टी व चक्कर आने की समस्या से परेशान हो सकते हैं। कई बार आप द्वारा ली जा रही अन्य दवाओं के साथ यह प्रतिक्रिया कर लेता है, जिससे आप स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं की गिरफ्त में आ सकते हैं। इसलिए इनका सेवन किसी विशेषज्ञ की सलाह से ही करें। अगर आप किडनी स्टोन की समस्या से पीडित हैं तो कैल्शियम के सप्लिमेंट्स का उपयोग कतई न करें। कुछ तथ्य
200 मि.ग्रा. दूध से हमारे शरीर को 275 से 300 मि.ग्रा. कैल्शियम मिलता है। दुग्ध उत्पादों में भी भरपूर मात्रा में कैल्शियम होता है।
महिलाओं में मेनोपॉज के प्रथम वर्ष में बोन मास 3 से 5 प्रतिशत तक कम हो जाता है। हालांकि बाद में प्रतिवर्ष यह 1 प्रतिशत से भी कम की दर से कम होता है।
शाकाहारियों में मांसाहारियों की तुलना में कैल्शियम का अवशोषण कम होता है, क्योंकि कई पादप उत्पादों में ऑक्जेलिक और फाइटिक एसिड होता है, जो कैल्शियम के अवशोषण को प्रभावित करता है।
तीस वर्ष की आयु में बोन मास सर्वाधिक होता है।
100 ग्राम बादाम में 266 मि.ग्रा. कैल्शियम होता है।
कैल्शियम हमारे शरीर में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला तत्व है।
शरीर की विभिन्न क्रियाओं में केवल 1 प्रतिशत ही कैल्शियम का उपयोग किया जाता है। बचा हुआ 99 प्रतिशत कैल्शियम दांतों और हड्डियों में संग्रहित होता है।
पनीर में कैल्शियम की मात्रा सर्वाधिक होती है। 100 ग्राम पनीर में करीब 1000 मि.ग्रा. कैल्शियम होता है।
हरी पत्तेदार सब्जियों में ब्रोकली, पालक व ऐसी गहरी हरे रंग की सब्जियों में काफी मात्रा में कैल्शियम होता है।
50 वर्ष के बाद कैल्शियम का अवशोषण अत्यधिक प्रभावित होता है। 
नवजात और बच्चों में कैल्शियम अवशोषण का प्रतिशत सर्वाधिक 60 प्रतिशत होता है।
भोजन में उपस्थित कुल कैल्शियम का करीब 30 प्रतिशत ही हमारा शरीर अवशोषित कर पाता है।
महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान कैल्शियम का अवशोषण काफी बढ़ जाता है।
नियमित रूप से प्रतिदिन एक या दो कप कॉफी पीने से 2 से 3 मि.ग्रा. कैल्शियम का अवशोषण कम होता है। कितनी मात्रा है जरूरी
आपको कितने कैल्शियम की आवश्यकता होती है, यह आपकी उम्र और लिंग पर भी निर्भर करता है। उम्र के साथ शरीर की कैल्शियम की आवश्यकता बदलती रहती है।
6 माह तक के बच्चे:  200 मि.ग्रा.
7-12 माह:  260 मि.ग्रा.
1-3 वर्ष: 700 मि.ग्रा.
4-8 वर्ष: 1,000 मि.ग्रा.
9-18 वर्ष: 1,300 मि.ग्रा.
19-50 वर्ष: 1,000 मि.ग्रा.
51-70 वर्ष (महिला): 1,200 मि.ग्रा.
51-70 वर्ष (पुरुष): 1000 मि.ग्रा.
गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं: 1300 मि.ग्रा.

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