Thursday 18 July 2013

'मिशन 2014' के लिए BJP ने कसी कमर, चुनाव की तैयारियों के लिए बनाई 12 समितियां


राजनाथ सिंह, आडवाणी और नरेंद्र मोदी
राजनाथ सिंह, आडवाणी और मोदी
बीजेपी पर चुनावी रंग चढ चुका है. लेकिन दिल्ली
की तरफ तेजी से कदम बढ़ाते मोदी पर थोड़ा ब्रेक भी लगा है. ऐसे में मोदी की प्रचार समिति पर सहमति तो बनी नहीं लेकिन ये साफ हो गया कि अब करीब एक दर्जन समितियां बनेंगी जो चुनाव प्रचार से जुड़े सारे पहलुओं को देंखेंगी. संसदीय बोर्ड की बैठक तो हुई लेकिन ये भी साफ हो गया कि मोदी को अब सबको साथ लेकर चलना होगा. करीब एक दर्जन समितियों का ऐलान होगा जिसकी औपचारिक घोषणा शुक्रवार को होगी. इस संसदीय बोर्ड में बैठने की जगह तो बदल गयी है लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि युग बदल गया है.
आडवाणी की कोई सुन नहीं रहा और दिल्ली की चौकड़ी मजबूर है मोदी के सामने नतमस्तक होने में. लेकिन सच्चाई तो ये भी है कि संघ ने मोदी को साफ कर दिया था कि सबको साथ लेकर चलना है ताकि लड़ाई बीजेपी बनाम कांग्रेस रहे न कि मोदी बनाम कांग्रेस. जाहिर है इसी माथापच्ची के बीच संसदीय बोर्ड की बैठक में दो घंटे माथापच्ची के बाद ये तय हुआ कि प्रचार समिति के तहत...
- करीब एक दर्जन उपसमितियां बनें जिसमें चुनावी घोषणापत्र, प्रचार और चुनाव संचालन जेसी समितियां बनें.
- पार्टी के महासचिवों और वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेवारी दी जाएगी.
- बीजेपी को लगता है कि कांग्रेस मोदी पर हल्ला बोले या फिर नजरअंदाज करे, फायदा मोदी को ही होगा.
- आडवाणी, सुषमा, राजनाथ किसी समिति के सदस्य नहीं होंगे.

बैठक करीब दो घंटे चली. अब कोर ग्रुप समाप्त कर दिया गया है तो संसदीय बोर्ड ही कोर ग्रुप का काम करने लगा है. इसलिए बैठकें भी अब लगातार होती रहेंगी. बैठक में चुनावी ऐजेंडा के साथ-साथ संसद सत्र के ऐजेंडा पर भी माथापच्ची हुई. संसद में उत्तारखंड, खस्ताहाल अर्थव्यवस्था के साथ-साथ भ्रष्टाचार पर भी सरकार को निशाने पर लेने पर सहमति बनी.
बताया जाता है कि गुरुवार को इन समितियों के प्रभारियों की घोषणा इसलिए नहीं की गई क्योंकि मोदी और राजनाथ सिंह उसे अंतिम रूप देने से पहले संबंधित व्यक्तियों के अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी विचार विमर्श करना चाहते हैं.
बोर्ड की पिछली बैठक ने वरिष्ठ नेताओं के विचारों को ध्यान में रखते हुए मोदी और राजनाथ सिंह को ये समितियां गठित करने का अधिकार दिया था. बताया जाता है कि पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी ने दिल्ली की चुनाव अभियान संबंधी समिति का प्रभार संभालने से इनकार कर दिया है. दिल्ली चुनावों में बीजेपी के खराब प्रदर्शन की आंशका के चलते शायद उन्होंने इससे इनकार किया है.
इसके अलावा पूर्व पार्टी अध्यक्ष होने के नाते वह इसे अपने लिए छोटी भूमिका मान रहे हैं. खबरों के अनुसार वह राजस्थान विधानसभा चुनाव का प्रभारी बनाए जाने के इच्छुक हैं. बोर्ड की बैठक में 5 अगस्त से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र के दौरान पार्टी द्वारा उठाए जाने वाले विषयों पर भी चर्चा हुई. सरकार की ओर से पेश होने वाले विधेयकों पर बीजेपी की ओर से अपनाई जाने वाली रणनीति पर विचार विमर्श हुआ.
पार्टी के सूत्रों ने कहा कि खाद्य सुरक्षा विधेयक का बीजेपी समर्थन करेगी लेकिन कुछ संशाधनों पर जोर देगी. बोर्ड ने हालांकि बीमा क्षेत्र में एफडीआई को 26 से 49 प्रतिशत किए जाने के सरकार के हाल के फैसले का विरोध करने का निर्णय किया है.
मानसून सत्र में पार्टी उत्तराखंड में बारिश से तबाही में सरकार के बचाव और राहत कार्यो में बरती गई कथित ढिलाई, देश की सुरक्षा स्थिति, आईबी और सीबीआई के बीच मतभेद और भ्रष्टाचार आदि के मुद्दों को भी उठाएगी.

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