Thursday 18 July 2013

तैनात होंगे 50,000 सैनिक, स्ट्राइक कोर को हरी झंडी

वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सेना की युद्धक क्षमता को प्रोत्साहन देते हुए सरकार ने एक कोर के गठन को हरी झंडी दे दी है, जिसमें 65,000 करोड़ रुपये के खर्च से चीन की सीमा पर 50,000 अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती शामिल है।
भारत ने कई साल के ढुलमुल रुख के बाद आखिरकार माउंटेन स्ट्राइक कोर के गठन के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी। सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट की समिति ने माउंटेन स्ट्राइक गठित करने के प्रस्ताव पर अपनी सैद्धांतिक सहमति दे दी। इससे पहले सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह और वायु सेना प्रमुख एनएके ब्राउन की मौजूदगी में प्रधानमंत्री ने सीसीएस में स्ट्राइक कोर के गठन के तमाम पहलुओं पर गहन मंत्रणा की। वित्त मंत्री और रक्षा मंत्रालय के बीच कई साल से लटके इस प्रस्ताव के वित्तीय पहलुओं पर तो काफी सहमति बन चुकी थी, लेकिन इसके कूटनीतिक और भूराजनीतिक परिणामों पर विशेष रूप से गौर किया गया। पिछले एक डेढ़ दशक में जब भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान और राजनीतिक नेतृत्व मंथर गति से सीमावर्ती ढांचे का सुधार कर रहा था तो इस दौरान चीन ने अपने सरहदी इलाके में 58,000 किलोमीटर की सड़कों का जाल बिछा लिया और विशाल रेल लिंक एवं पांच पूरी तरह से सक्रिय हमलावर हवाई बेस बनाए भी कायम कर लिए। सूत्रों के अनुसार चीन ने भारतीय सीमा के आस-पास पीपुल्स लिबेरशन आर्मी की दर्जन भर से अधिक रक्षा रेजीमेंट के तीन लाख सैनिक तैनात किए हुए हैं और प्रत्येक में पंद्रह हजार सैनिकों वाली 30 से अधिक चीनी डिवीजनें बेहद कम समय में वह सीमा पर ला सकता है। पर्वतीय युद्ध के लिए पहली हमलावर कोर बनाने के प्रस्ताव को सरकार ने ऐसे समय मंजूरी दी है जब चीन सीमा रक्षा सहयोग समझौते (बीडीसीए) को अंतिम रूप देने पर जोर दे रहा है जिसमें सैन्य सूत्रों के अनुसार परस्पर एवं समान सुरक्षा के सिद्धांत पर खास प्राथमिकता दी गई है। इस सिद्धांत के तहत दो पड़ोसी देश अपनी सरहद पर शांति बनाए रखने और सीमा सहयोग के लिए सीमावर्ती क्षेत्र में एक समान सैन्य तैनाती पर राजी होते हैं। दूसरी ओर, भारत की स्ट्राइक कोर का गठन अगले सात साल में होगा और तब तक चीन अपना और भी सैन्य विस्तार कर चुका होगा। सीसीएस ने जिस प्रस्ताव को मंजूरी दी उसके तहत सेना करीब 45 हजार नए सैनिकों की भर्ती करेगी। आजादी के पैंसठ साल में भारतीय सेना ने इतनी बड़ी संख्या में अपने सैनिक बल में वृद्धि नहीं की है। प्रस्ताव के अनुसार स्ट्राइक कोर का मुख्यालय पश्चिम बंगाल के पानागढ़ में होगा और चीनी हमले की स्थिति में यह पूरे तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में दुश्मन के इलाके में घुसकर पर्वतीय युद्ध छेड़ने में सक्षम होगी। इसकी दो इन्फेंट्री डिवीजन असम में मिसामारी और लेखापानी से अपने संचालन चला रही हैं। नई स्ट्राइक कोर की यूनिटें लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक के इलाके में फैली होंगी। चीनी सेना की अकूत ताकत से संतुलन साधने के लिए भारतीय वायुसेना ने हवाई ताकत पर खास जोर दिया है। चीन के खिलाफ 1962 की जंग में भारतीय वायुसेना ने हिस्सा नहीं लिया था और वायुसेना प्रमुख मान चुके हैं कि अगर उस समय हवाई ताकत इस्तेमाल की गई होती तो जंग का नतीजा कुछ और होता। हवाई ताकत के लिए वायुसेना ने तेजपुर और छाबुआ में सुखोई विमानों की तैनाती कर दी है जबकि हाशीमारा, जोरहाट, बागडोगरा और मोहनबाडी के एयरबेस को उन्नत बनाया जा रहा है। खास-खासः
- 65 हजार करोड़ की लागत से माउंटेन स्ट्राइक कोर गठित करने के प्रस्ताव पर सहमति।
- स्ट्राइक कोर का गठन अगले सात साल में होगा।
- प्रस्ताव के तहत सेना करीब 45 हजार नए सैनिकों की भर्ती।
- आजादी के बाद से सैनिक बल में सबसे बड़ी वृद्धि।
- स्ट्राइक कोर का मुख्यालय पश्चिम बंगाल के पानागढ़ में।
- स्ट्राइक कोर की यूनिटें लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक फैली होंगी।
- पर्वतीय युद्ध छेड़ने में सक्षम।

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