Monday 22 July 2013

जानिए आखिर क्या है UPPSC त्रिस्तरीय आरक्षण विवाद

Image Loadingउत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग परीक्षाओं में त्रिस्तरीय आरक्षण विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साक्षात्कार पर रोक लगाते हुए निर्णय आज सुरक्षित कर लिया। न्यायमूर्ति एल. के. महापात्र और न्यायमूर्ति राकेश श्रीवास्तव की खंडपीठ ने दोनो पक्षों को सुनने के बाद आयोग की परीक्षाओं में होने वाले साक्षात्कार पर फिलहाल रोक लगाते हुए निर्णय सुरक्षित कर लिया।
       
न्यायालय ने कहा कि निर्णय 10 दिन बाद सुनाया जाएगा। निर्णय सुनाये जाने तक साक्षात्कार पर रोक रहेगी। आयोग की परीक्षाओं में इस वर्ष से त्रिस्तरीय आरक्षण व्यवस्था लागू की गई थी, जबकि पहले परिणाम आने के बाद आरक्षण लागू किया जाता था। नई व्यवस्था में प्रिलिमिनरी, मुख्य परीक्षा और उसके बाद साक्षात्कार में भी आरक्षण लागू किया जाना प्रस्तावित है।
       
त्रिस्तरीय आरक्षण व्यवस्था का विरोध कर रहे छात्रों का कहना है कि इससे आरक्षण करीब 70 प्रतिशत पहुंच रहा है, जबकि संविधान के मुताबिक आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। प्रस्तावित नई व्यवस्था से सामान्य वर्ग की अनारक्षित सीटों में से पिछडे वर्ग को भी सीटें मिल जाती। आयोग ने परीक्षाओं के साक्षात्कार की तिथि 26 जुलाई रखी थी।
आरक्षण के विरोध में मुख्य रुप से वरिष्ठ वकील केशरीनाथ त्रिपाठी और एम.बी.चन्द्रशेखर ने अपना पक्ष रखा, जबकि आयोग के वकील ने बहस के दौरान त्रिस्तरीय आरक्षण को जरूरी बताया। आरक्षण की नई व्यवस्था को लेकर यहां उग्र आन्दोलन हुआ। गत 15 जुलाई को कई वाहनों में आग लगा दी गयी थी और आरक्षण समर्थक व विरोधियों में जमकर पथराव हुआ था।
      
अदालत के निर्णय पर सभी की निगाहें लगी थीं। जिला प्रशासन ने किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सुरक्षा के व्यापक प्रबन्ध किये थे। स्कूल, कॉलेज बंदकर पूरे शहर में धारा 144 लगा दी गई। जिलाधिकारी राजशेखर के अनुसार उच्च न्यायालय जाने वाले मार्गों पर बैरीकेडिंग कर आने जाने वालों पर कडी निगाह रखी जा रही।
     
उन्होंने बताया कि नगर को सात जोन और 18 सेकटर में बांटकर सुरक्षा व्यवस्था तैनात की गयी है। प्रशासनिक तौर पर वीडियोग्राफर व फोटोग्राफर लगाये गये हैं, ताकि उपद्रवियों की शिनाख्त की जा सके। आरक्षण के विरोध में कल देर शाम नगर के प्रमुख मार्गों पर हजारों युवकों ने कैन्डिल मार्च किया।

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