Monday 22 July 2013

...और बिहार बीजेपी में दिखने लगा 'नमो' का साइड इफेक्ट

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राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से जनता दल (यूनाइटेड) के बाहर हो जाने के बाद बिहार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जद (यू) किसी न किसी मामले को लेकर आमने-सामने होते रहे हैं। भाजपा जहां जद (यू) पर हमले का कोई मौका नहीं चूक रही है, वहीं जद (यू) भी भाजपा की पोल खोलने की जुगत में है।
भाजपा के दरभंगा जिले के हायाघाट के विधायक अमरनाथ गामी के पार्टी नेतृत्व के खिलाफ मुखर होने के कारण बिहार भाजपा आलाकमान ने भले उन्हें निलंबित कर दिया हो, परंतु इस मामले को लेकर भी राज्य में भाजपा और जद (यू) आमने-सामने आ गए हैं। वैसे जद (यू) के केन्द्रीय अध्यक्ष शरद यादव इसे पार्टी का आंतरिक मामला बता रहे हैं। भाजपा सूत्रों का मानना है कि पार्टी में यह स्थिति गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का 'साइड इफेक्ट' है। भाजपा के एक नेता ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि मोदी के नाम पर राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी पहले से ज्यादा आक्रामक नहीं थे, परंतु जैसे ही सत्ता गई वे नरेंद्र मोदी के नाम को लेकर आक्रामक हो गए हैं। ऐसे में उनसे लोग तो नाराज होंगे ही। इसी नाराजगी के कारण गामी का स्वर मुखर हो गया। गामी ने मोदी पर पार्टी को 'हाइजैक' करने का आरोप लगा दिया है। उन्होंने कहा कि मोदी जो चाहते हैं वही होता है। जद (यू) में जाने के सवाल पर गामी कहते हैं कि वह कहीं नहीं जा रहे। पार्टी में रहकर राजतंत्र को पार्टी से बाहर निकालेंगे। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने जैसे सवाल पर वह कहते हैं कि छोटा मुंह बड़ी बात मत करवाइए। हालांकि भाजपा में इस बगावत का ठीकरा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर फोड़ा जा रहा है। सूत्रों के अनुसार पार्टी में गामी का साथ देने को लेकर कई विधायक तैयार बैठे हैं। इसमें जाले के विजय कुमार मिश्र, मोहिउद्दीन नगर से राणा गंगेश्वर सिंह, कुशेश्वरस्थान से शशिभूषण हजारी, गायघाट से वीणा देवी, चिरैया से अवनीश कुमार सिंह जैसे विधायकों के नाम शामिल हैं। गामी को पार्टी में अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से निलंबित कर दिया गया है। भाजपा के प्रवक्ता और वरिष्ठ नेता विनोद नारायण झा कहते हैं कि पार्टी के खिलाफ गतिविधि करने वालों के खिलाफ कार्रवाई हुई है। वैसे भाजपा के विधायक राणा गंगेश्वर सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पक्ष में बयान देकर पार्टी में बगावत को और हवा दी है। उन्होंने नीतीश को अगले प्रधानमंत्री के लिए योग्य उम्मीदवार बताते हुए गामी के निलंबन को ही दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। इस बीच भाजपा बिहार इकाई के अध्यक्ष मंगल पांडेय कहते हैं कि यह सब कुछ मुख्यमंत्री का किया धरा है। वह कहते हैं कि जद (यू) के एक दर्जन विधायक भी उनसे संपर्क में हैं, सभी मंत्रिमंडल विस्तार का इंतजार कर रहे हैं।  मंत्रिमंडल विस्तार के बाद जद (यू) में टूट होगी। इधर, जद (यू) के नेता और प्रवक्ता शिवानंद तिवारी कहते हैं कि बिहार में भाजपा पहले से ही कुछ नहीं है। जद (यू) के नाम पर भाजपा चल रही थी। वह कहते हैं कि विधानसभा में विश्वास मत के दौरान ही भाजपा के आठ विधायक नहीं थे। उन्होंने दावा किया कि भाजपा के कई विधायकों में नेतृत्व को लेकर असंतोष है। यह असंतोष तो कभी न कभी फूटेगा ही। वैसे आगे-आगे देखिए क्या होता है। वैसे भाजपा सूत्रों के अनुसार पार्टी में नाराज विधायकों को मनाने का प्रयास जारी है। राज्य में भाजपा के 91 विधायक हैं, ऐसे में टूट की संभावना से इंकार किया जा रहा है। वरिष्ठ नेता सी़ पी़ ठाकुर भी कहते हैं कि पार्टी में असंतोष तो है परंतु पार्टी इसे देख लेगी।

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