Thursday 18 July 2013

क्या आई कार्ड दिखाकर तेजाब खरीदने से रुक जाएंगे हमले?


नई दिल्ली। तेजाब के हमलों पर सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है उससे अब भी कई सवाल अधूरे रहे गए हैं। इस फैसले से लड़कियों पर तेजाब के हमले कितने रुक पाएंगे ये भविष्य
ही बता पाएगा। लेकिन कई ऐसे सवाल हैं जिनका अब भी जवाब मिलना बाकी है।
दुकानदार का क्या अपराध होगा?
पहला सवाल ये कि क्या सिर्फ आई कार्ड दिखाकर यानि पूछकर तेजाब की बोतल दे देने से तेजाबी हमले रुक जाएंगे? आखिर तेजाब की खुले बाजार में बिक्री को बैन किए बिना ऐसे हमलों को पूरी तरह कैसे रोका जा सकेगा? किसी भी हमले की सूरत में तहकीकात के दौरान ये पता लगाया जाएगा कि हमलावर ने तेजाब कहां से खरीदा है। अगर ये पता चल भी जाए कि कहां से खरीदा तो उस सूरत में भी उस दुकानदार का क्या अपराध होगा जिसने उस हमलावर का आईडी कार्ड देखकर उसे तेजाब दिया था? ऐसे में उस दुकानदार के खिलाफ किस आधार पर कार्रवाई की जाएगी जबकि वो कानूनी रूप से तेजाब बेच रहा है।
कैसे दुकानदार तक पहुंचेगी पुलिस?
सवाल ये भी है कि अगर हमलावर का पता ही नहीं चलेगा तो आखिर पुलिस तेजाब बेचने वाले दुकानदार तक कैसे पहुंचेगी? मिसाल के तौर पर मुंबई में बांद्रा स्टेशन पर हुआ हमला, तेजाब की बोतल उड़ेल दी गई एक नौजवान लड़की पर, लेकिन हमलावर का आजतक पता नहीं है। वो केस ही नही सुलझ सका है।
क्या पूरे देश की दुकानें छानेगी पुलिस?
क्या ये जरूरी है कि हमलावर अपने शहर से ही तेजाब खरीदे और उसे इस्तेमाल करे। वो इसका इस्तेमाल दूसरे शहर में भी तो कर सकता है। तब क्या पुलिस पूरे देश की दुकानों को छानेगी? और अगर हमलावर का पता चल भी जाता है, तब भी खुले बाजार में यूं ही तेजाब नाम का ये जहर बिकता रहेगा? क्या लड़कियों को उससे डर कर ही रहना होगा?
पूरा परिवार हो गया बर्बाद
ऐसे ही कई और सवालों का जवाब इस फैसले से भी नहीं मिल पाया है। कई पीड़ित लड़कियों का दर्द है कि उनका पूरा परिवार ही ऐसे हमलों से बर्बाद हो गया। क्योंकि सारे पैसे ऑपरेशन में ही लग गए। इनका कहना है कि 3 लाख रुपये से क्या होगा। हमें सरकारी नौकरी मिलनी चाहिए। किसी की जिंदगी सिर्फ 10 – 20 रुपये में कोई कैसे बर्बाद कर सकता है। सरकार को हमारे पुनर्वास पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।
ऐसी ही एक तेबाज हमले से पीड़ित लक्ष्मी का कहना है कि सात साल के बाद जो फैसला आया है, उससे मैं खुश हूं। लेकिन मुआवजा से संतुष्टि नहीं। सरकारी नौकरी की मांग को लेकर कोई सुनवाई नहीं की गई।

No comments:

Post a Comment