बद्रीनाथ में फंसे 150 लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के साथ ही
उत्तराखंड त्रासदी के 17 दिनों बाद फंसे सभी श्रद्धालुओं और पर्यटकों को
बचाने का काम पूरा हो गया है। मॉनसूनी बारिश के बाद बाढ़ एवं भूस्खलन के
कारण फंसे करीब 1.1 लाख लोगों को सेना, भारतीय वायुसेना, भारत-तिब्बत सीमा
पुलिस (आईटीबीपी) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) ने सभी
कठिनाईयों का सामना करते हुए उन्हें बाहर निकाला।
चमोली जिले के जिलाधिकारी एस
ए मुरूगेशन ने बताया कि बद्रीनाथ धाम
में फंसे शेष सभी श्रद्धालुओं को निकाल लिया गया है। अब वहां कुछ स्थानीय
एवं नेपाल मजदूर बचे हुए हैं जिन्हें धीरे-धीरे निकाल लिया जाएगा। टूटी
सड़कों को ठीक कर दिया गया है।
वायुसेना के एक अधिकारी ने दिल्ली में कहा कि भारतीय वायु सेना ने करीब एक
हफ्ते के लिए अपने दस और हेलीकाप्टर को वहां तैनात रखने का फैसला किया है
ताकि किसी भी अभियान के लिए उनका इस्तेमाल किया जा सके। बचाव कार्य में उस
समय बाधा आई थी जब 20 कर्मियों और चालक सदस्यों को ले जा रहा एमआई 17 वी 5
हेलीकाप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
बचाव मिशन भले ही पूरा हो गया है लेकिन अधिकारियों के समक्ष केदारनाथ इलाके
में बुरी तरह सड़ चुके शवों का अंतिम संस्कार करने की विशाल चुनौती है।
खराब मौसम के कारण चौथे दिन भी यह प्रक्रिया बाधित रही। उत्तराखंड के
डीजीपी सत्यव्रत बंसल ने कहा कि दूसरी चुनौती केदारनाथ परिसर से मलबे को
हटाना है क्योंकि जेसीबी जैसे भारी उपकरणों के परिवहन के लिए सड़क नहीं है।
बंसल ने कहा कि केदारनाथ में शवों के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया आज भी
फिर से शुरू नहीं हो सकी।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विशेषज्ञों एवं प्रशिक्षित पुलिसकर्मियों को
मंदिर के लिए रवाना कर दिया गया है लेकिन खराब मौसम के कारण प्रक्रिया शुरू
नहीं की जा सकी। बंसल ने स्वीकार किया कि खराब मौसम एवं टूटी सड़कों सहित
कई कारणों के मद्देनजर शवों का निस्तारण विकट काम है। केदारनाथ में 36 शवों
का अभी तक निस्तारण हुआ है जबकि 60-65 शव अब भी जमीन पर पड़े हैं जिनका
अंतिम संस्कार किया जाना है। बंसल ने इसके लिए समय सीमा तय किए बगैर कहा कि
यही लक्षण दिख रहे हैं कि प्रक्रिया में लंबा वक्त लगेगा। केदारनाथ एवं
रामबाडा जैसे आसपास के इलाकों में त्रासदी के 17वें दिन शव काफी तेजी से
सड़ रहे हैं।
मुरूगेशन ने कहा कि शेष बचे श्रद्धालुओं को बद्रीनाथ से जोशीमठ ले जाने के
साथ ही प्रभावित गांवों में राहत सामग्रियों की आपूर्ति करना प्रशासन के
लिए चुनौती है क्योंकि इलाके में बड़ी संख्या में सड़कें और पुल अब भी टूटे
हुए हैं। उन्होंने कहा कि अलकनंदा में लामबगड में पुल बुरी तरह
क्षतिग्रस्त हैं जिसे ठीक करने में दो से तीन महीने का वक्त लगेगा।
उन्होंने कहा कि बीआरओ काम में लगा हुआ है।
अधिकारियों ने कहा कि खराब सड़क संपर्क के कारण दूरवर्ती गांवों में राहत
सामग्री ले जाना बड़ी समस्या है। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य के लिए
हेलीकाप्टर का उपयोग किया जा रहा है जो कुछ इलाकों तक ही सीमित है।
गौरीकुंड-केदारनाथ राजमार्ग के अब भी बंद होने के साथ रूद्रप्रयाग जिले के
केदारघाटी क्षेत्र में कम से कम 170 गांवों में खाद्यान्नों की कमी है
लेकिन जिले के कालीमठ, चंद्रपुरी और सौरी इलाकों में राहत सामग्री भेजी गई
है। उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री राजमार्ग आठ जगहों पर जाम है जबकि
यमुनोत्री राजमार्ग हनुमानचट्टी से यमुनोत्री तक जाम है जिससे प्रभावित
गांवों में राहत सामग्री ले जाने में कठिनाई आ रही है।

No comments:
Post a Comment