पुलिसकर्मियों द्वारा अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने पर चिंता जताते हुए
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यह बंद होना चाहिए और आपराधिक पृष्ठभूमि वाले
लोगों को पुलिस बल में शामि
ल होने से रोकने की दिशा में कदम उठाया जाना
चाहिए।न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की पीठ ने कहा कि पुलिस बल एक अनुशासित बल होता है। इसके कंधों पर समाज में कानून व्यवस्था और लोक व्यवस्था बनाये रखने की जिम्मेदारी होती है। लोग इसमें बहुत भरोसा और विश्वास करते हैं। यह इस भरोसे के लायक होना चाहिए। पुलिस बल में शामिल होने की इच्छा रखने वाला अभ्यर्थी अत्यंत ईमानदार होना चाहिए। पीठ ने कहा कि पुलिस विभाग को किसी व्यक्ति को बल में शामिल करने से पहले उसके बारे में पूरी जानकारी कर लेनी चाहिए भले ही वह किसी आपराधिक मामले में बरी या आरोपमुक्त हो चुका हो। पीठ ने कहा कि पुलिस बल में शामिल होने के लिए व्यक्ति का चरित्र साफ और ईमानदार होना चाहिए। इस श्रेणी में आपराधिक पृष्ठभूमि वाला कोई व्यक्ति योग्य नहीं होगा। अगर वह किसी आपराधिक मामले में बरी या आरोपमुक्त हो चुका हो तब भी उसके बारे में पूरी जांच होनी चाहिए ताकि पुलिस बल के अनुशासन को खतरा पैदा नहीं हो। शीर्ष अदालत ने दिल्ली पुलिस के उस फैसले को बरकरार रखते हुए यह आदेश पारित किया जिसके तहत दिल्ली पुलिस ने एक आपराधिक मामले में बरी हो चुके एक व्यक्ति को परीक्षा उत्तीर्ण करने के बावजूद बल में शामिल नहीं किया था। पीठ ने कहा कि हाल के समय में, पुलिस बल की छवि धूमिल हुई है। सार्वजनिक स्थल पर पुलिसकर्मियों द्वारा अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हुए गलत तरीके से व्यवहार करने की घटनाएं चिंता की बात हैं। पुलिस बल की प्रतिष्ठा को धक्का लगा है। पीठ ने कहा कि ऐसी स्थिति में, हम दिल्ली पुलिस द्वारा गठित स्क्रीनिंग कमेटी जैसे तंत्रों के महत्व को कम नहीं कर सकते।
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