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पी़ड़ित युवक ने नेता जी पर लगाए गए अप्राकृतिक सेक्स के आरोप को लेकर एक सीडी भी पुलिस को सौंपी है। पीड़त के अनुसार ये सीडी मंत्री के बंगले पर ही काम करने वाले उसके दोस्त ने बनाई थी। मंत्रीजी ने पीड़ित नौकर को परमानेंट नौकरी का झांसा देकर उसका लंबे समय से यौन शोषण किया था, ऐसा आरोप पीड़ित ने लगाया है।
उधर, विवाद के बाद वित्तमंत्री ने मीडिया से कहा कि सीएम के फोन के बाद उन्होंने फैक्स से अपना इस्तीफा भेज दिया है। राघवजी ने कहा है कि उन पर लगाए गए सारे आरोप निराधार हैं। इस बीच कांग्रेस ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा है कि राघवजी प्रकरण भाजपा का बेशर्म चेहरा है। लेकिन भाजपा ने सफाई दी है कि उम्र अधिक होने के कारण राघवजी ने अपने पद से इस्तीफा दिया है।
राघवजी पहले भी एक सेक्स सीडी में एक युवती के साथ नजर आए थे और देश भर की राजनीति और मीडिया में इसकी चर्चा चर्चा हुई थी। हालांकि, वह मामला इतना तूल नहीं पकड़ सका था।
कांग्रेस की आंखों में खटक रहा था राघवजी का 40 हजारी चश्मा
मध्यप्रदेश के वित्तमंत्री राघवजी ने राज्य के विधानसभा में वित्तवर्ष 2012-13 का वार्षिक बजट 28 फरवरी, 2012 को प्रस्तुत किया था। यह उनके द्वारा पेश किया जाने वाला नौवां वार्षिक बजट था। इसी के साथ मध्यप्रदेश लगातार आठवें वर्ष राजस्व अधिशेष बजट प्रस्तुत करने वाला राज्य बना था।
कुछ वक्त पहले तक वित्तमंत्री राघवजी का बेशकीमती चश्मा कांग्रेस की आंख में खटक रहा था। वित्तमंत्री ने करीब चालीस हजार रुपये का चश्मा खरीदा था। इस पर उनके समर्थकों का कहना था कि यह चश्मा विशेष रूप से मेडिकल जांच के बाद तैयार किया गया था। लेकिन कांग्रेस को यह चश्मा रास नहीं आ रहा है। कांग्रेस ने इस चश्में पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष मानक अग्रवाल ने कहा था कि प्रदेश की भाजपा सरकार के वित्त मंत्री राघवजी भाई को कई वर्षों से भाजपा सरकार में वित्त मंत्री का पद संभालते-संभालते यह गुमान हो गया है कि वे प्रदेश के खजाने के मालिक हैं और उसका जैसा चाहे वैसा मनमाना उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि राघवजी भाई ने सरकारी पैसों से अपने उपयोग के लिए 40 हजार रुपये का महंगा चश्मा खरीदा है। सरकारी पैसों के इस दुरुपयोग से सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि वित्त मंत्री एवं सरकार के अन्य मंत्रीगण खजाने को किस बेरहमी से चूना लगा रहे हैं। दरअसल, वित्त मंत्री को तो अहसास होना चाहिए कि वे वित्त मंत्री के रूप में सरकारी कोष के ट्रस्टी हैं और उन्हें एक निष्ठावान मुनीम की तरह अपने दायित्व को निभाना है।
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