छोटी होती जा रही दुनिया में संपर्क साधने के लिए दूसरे देशों की भाषाओं को
सीखने का चलन तेजी़ से बढ़ रहा है। विदेशी भाषा सीखने के अन्य फायदों के
सा
थ-साथ इसमें करियर की भी असीम संभावनाएं हैं। बस जरूरत है मेहनत करने की।
इस बारे में बता रही हैं प्रियंका कुमारी
हाल ही में एक कार कंपनी ने अनुवादक और इंटरप्रेटर के रूप में काम
करने के लिए विभिन्न विदेशी भाषाओं स्पेनिश, जर्मन, फ्रेंच और चाइनीज के
जानकार युवाओं की तलाश में अपना विज्ञापन निकाला था। युवाओं के लिए यहां
अच्छा पैकेज और काम करने का बेहतर अवसर मुहैया कराया जा रहा था।
आज भारत में कार कंपनियां ही नहीं, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय कंपनियां,
ट्रैवल कंपनियां, पांच सितारा होटल और आईटी इंडस्ट्री अपने यहां विदेशी
भाषा के अच्छे जानकारों की खोज में हैं। इन कंपनियों और संस्थानों को भारत
में अपना व्यवसाय बढ़ाने और देशी-विदेशी मेहमानों को एक दूसरे से जोड़ने के
लिए विदेशी भाषा के जानकारों की खासी जरूरत पड़ रही है। जिस संख्या में
बाजार को ऐसे युवाओं की खोज है, वह उपलब्ध नहीं हैं। बात सिर्फ राष्ट्रीय
और अंतरराष्ट्रीय स्तर की कंपनियों एवं संस्थानों की ही नहीं, शिक्षण
संस्थानों की भी है।
देश में निजी और मैनेजमेंट स्कूलों की बाढ़ सी आ गई है। एमबीए और बीबीए की
पढ़ाई कराने वाले संस्थान आज बड़े शहरों से लेकर छोटे शहरों तक फैल रहे
हैं। निजी स्कूलों में इन दिनों छात्रों को किसी एक विदेशी भाषा सिखाने का
प्रचलन जोरों पर है। इनमें फ्रेंच, स्पैनिश, इतालवी, जर्मन, रूसी, चाइनीज,
जापानी और कोरियाई जैसी भाषाएं प्रमुख हैं। मैनेजमेंट स्कूलों में छात्रों
को मैनेजमेंट के पेपर के साथ किसी एक लोकप्रिय विदेशी भाषा की पढ़ाई कराई
जा रही है।
इनमें शिक्षकों की अच्छी-खासी मांग है। पिछले दिनों एक खबर यह भी सामने आई
कि सीबीएसई से संबंद्ध बहुत सारे निजी और केन्द्रीय विद्यालयों में चाइनीज
भाषा इसलिए बंद करनी पड़ रही है, क्योंकि वहां इस भाषा के शिक्षक नहीं हैं।
दिल्ली के बड़े निजी स्कूलों को ही देखें तो यहां स्कूलों में बच्चों को
पढ़ने के लिए चार-पांच विदेशी भाषाएं विकल्प के रूप में दी जा रही हैं।
छात्र अपनी मर्जी के मुताबिक किसी एक विदेशी भाषा को चुन कर मजे से पढ़ रहे
हैं। देश के ऐसे करीब 70 विश्वविद्यालय हैं, जहां विदेशी भाषाओं की शिक्षा
दी जाती है। इनमें भी अध्ययन-अध्यापन के मौके सामने आ रहे हैं।
सूचना तकनीक या आईटी के केन्द्र बेंगलुरू, हैदराबाद और गुड़गांव जैसे शहरों
में विदेशी भाषा के जानकार युवाओं को काम के कई अवसर मिल रहे हैं। छात्रों
को कहीं अनुवादक तो कहीं इंटरप्रेटर के रूप में काम दिया जा रहा है। भारत
स्थित कई दूतावासों में भी ऐसे विशेषज्ञों की जरूरत पड़ रही है।
पर्यटन क्षेत्र में अवसर
देश में पर्यटन उद्योग का तेजी से विस्तार हो रहा है। यहां हर वर्ष लाखों
की संख्या में आने वाले विदेशी सैलानियों के लिए टूरिस्ट गाइड या टूर
ऑपरेटर्स की जरूरत पड़ रही है। गाइड के लिए विदेशी भाषा की जानकारी होना एक
योग्यता बन गई है। मेडिकल टूरिज्म के तहत खाड़ी देशों के निवासी हर वर्ष
यहां निजी अस्पतालों में अपना इलाज कराने आ रहे हैं। इन्हें उचित तरीके से
मार्गदर्शन के लिए खाड़ी देशों की भाषाओं के विशेषज्ञों की खोज हो रही है।
वैश्वीकरण के दौर में अनुवाद और पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी ऐसे लोगों के
लिए निजी व्यवसाय के रूप में काम करने का मौका दे रहा है। विदेशी भाषाओं के
जानकार विदेशी मीडिया में भारत से ही रिपोर्टिग का काम संभाल रहे हैं।
स्किल : इस क्षेत्र में आने वाले छात्र को संबंधित विदेशी भाषा पर कमांड
होनी चाहिए। बेहतर कम्युनिकेशन स्किल इस क्षेत्र में कामयाबी के कई रास्ते
दिखाती है। अगर अनुवादक बनना चाहते हैं तो विदेशी भाषा के साथ-साथ अंग्रेजी
या हिन्दी पर भी पकड़ होनी चाहिए। जिस विदेशी भाषा को सीख रहे हैं, उसकी
व्याकरण, वाक्य संरचना और उससे जुड़ी संस्कृति व इतिहास की भी जानकारी होनी
चाहिए। आकर्षक व्यक्तित्व भी होना चाहिए, क्योंकि कई जगहों पर इसकी
अपेक्षा भी की जाती है। आकर्षक व्यक्तित्व के साथ अगर विदेशी भाषा के
जानकार को टूरिज्म के क्षेत्र में जाने में रुचि है या विदेशी प्रतिनिधियों
के साथ भ्रमण पर जाना पसंद है तो उसे मिलनसार होना चाहिए।
योग्यता : इस क्षेत्र में आकर करियर बनाने वालों के लिए यह जरूरी है कि
उन्हें एक विदेशी भाषा बोलनी व लिखनी अच्छी तरह से आती हो। छात्र के पास
स्नातक या एमए की डिग्री हो तो बेहतर है। संबंधित विदेशी भाषा में
सर्टिफिकेट, डिप्लोमा या डिग्री जरूरी है। डिग्री के साथ स्रोत और लक्ष्य
भाषा दोनों पर पकड़ हो।
अवसर कहां : विदेशी भाषा के जानकारों की सबसे बड़ी मांग होटल उद्योग,
टूरिज्म या बहुराष्ट्रीय कंपनियों में है। आज स्कूल और कॉलेजों में अध्यापन
के लिए भी बड़े पैमाने पर विदेशी भाषा के शिक्षकों की मांग की जा रही है।
मैनेजमेंट से जुड़े स्कूल प्रबंधन के कोर्स में विदेशी भाषा से जुड़े पेपर
रखे जा रहे हैं। चाहे वह चाइनीज हो या जैपनीज, कोरियाई भाषा, स्पैनिश या
फिर फ्रैंच। बीपीओ या कॉल सेंटर में भी विदेशी भाषा के जानकार रखे जा रहे
हैं। आमतौर पर अनुवादक, इंटरप्रेटर पर्सनल सहायक, टूर ऑपरेटर या टूरिस्ट
गाइड के रूप में इन्हें नियुक्त किया जा रहा है। विदेशी पत्र-पत्रिकाओं या
चैनलों में इस भाषा के जानकार को विदेश में संवाददाता या रिपोर्टर के रूप
में रखा जा रहा है।
वेतनमान : शुरुआती वेतनमान 30-40 हजार रुपये होता है, जो आगे बढ़ता जाता
है। इंटरप्रेटर या दुभाषिये का वेतनमान 40-50 हजार रुपये प्रतिमाह है। निजी
एजेंसियों में भी नौकरी करने पर शुरुआती वेतनमान 40 से 50 हजार रुपए है।
इंटरप्रेटर का वेतनमान 50 हजार रुपए से लेकर लाख रुपए से ऊपर जाता है।
विदेशी कंपनियों में प्रतिमाह लाखों रुपए मिलते हैं। निजी व्यवसाय के रूप
में साहित्य या अन्य अध्ययन सामग्री का अनुवाद करने पर प्रतिमाह घर बैठे दो
लाख रुपए कमाए जा सकते हैं।
लोन : यहां सर्टिफिकेट या बीए और एमए जैसे कोर्स के लिए बैंक आम तौर पर लोन
मुहैया नहीं कराते, लेकिन अगर कोई इसमें पीएचडी या रिसर्च कर रहा हो तो
उसके लिए बैंक एजुकेशन लोन कुछ शर्तो पर देते हैं। कई विदेशी
विश्वविद्यालयों में छात्रवृत्ति का भी प्रावधान होता है।
कोर्स कराने वाले प्रमुख संस्थान
- जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
- दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
- जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
- पांडिचेरी विश्वविद्यालय, पांडिचेरी
- बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी
- इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
- अंग्रेजी और विदेशी भाषा विश्वविद्यालय, हैदराबाद

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