Tuesday 27 August 2013

फूड सिक्‍योरिटी बिल: हर रोज 3 रुपये का फायदा देकर 156 रुपये वसूल रही सरकार!

फूड सिक्‍योरिटी बिल: हर रोज 3 रुपये का फायदा देकर 156 रुपये वसूल रही सरकार!नई दिल्ली. देश की 67 फीसदी आबादी (करीब 81 करोड़ लोग) के लिए भोजन की गारंटी का बिल लोकसभा में पास हो गया है। अब चाहे आप इसे 'अच्छी राजनीति और खराब अर्थशास्त्र' कहें या कुछ और लेकिन कांग्रेस अधिकारों पर आधारित राजनीति के एजेंडे पर एक और मजबूत कदम बढ़ा चुकी है। खाद्य सुरक्षा कानून से पहले मनरेगा, शिक्षा का अधिकार, वन अधिकार और सूचना के अधिकार को जमीन पर उतार चुकी कांग्रेस आम लोगों की भलाई के नाम पर हक की राजनीति में महारथ हासिल कर चुकी है। कई लोग इन अधिकारों को वोटों की राजनीति के साथ जोड़कर देखते हैं। इसे कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मुन सिंघवी गलत नहीं मानते। वे स्वीकार करते हैं कि खाद्य सुरक्षा कानून से उनकी पार्टी को वोट मिलेगा। 
 
 
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन योजनाओं को जमीन पर उतारने में सरकार कितनी रकम खर्च कर रही है और उसके चलते आम लोगों पर कितना बोझ पड़ रहा है? खाद्य सुरक्षा कानून, मनरेगा, शिक्षा का अधिकार, वन अधिकार और सूचना के अधिकार में से सिर्फ तीन अधिकारों-खाद्य सुरक्षा कानून, मनरेगा, शिक्षा के अधिकार पर ही सरकार सालाना 5.70 लाख करोड़ खर्च कर रही है। अगर देश की 100 करोड़ (1.21 अरब की कुल आबादी में से करीब 21 करोड़ की आबादी घटाकर क्योंकि इनमें कुछ बच्चे, महिलाएं और ऐसे पुरुष हैं जो ज्यादातर योजनाओं के दायरे में नहीं आ पाए हैं) के लिहाज से सिर्फ इन तीन योजनाओं के चलते देश के प्रति व्यक्ति पर पड़ रहे बोझ का आकलन करें तो आंकड़े चौंकाने वाले हैं। इस तरह से हर शख्स पर सालाना 57 हजार रुपये या हर रोज के हिसाब से 156 रुपये का बोझ पड़ रहा है। 
 
अब अगर खाद्य सुरक्षा कानून के तहत मिल रहे अनाज के रूप में आम लोगों को मिल रहे फायदे और उसकी तुलना में हर शख्स पर पड़ रहे बोझ का आंकड़ा देखें तो यह और ज्यादा चौंकाने वाला है। खाद्य सुरक्षा कानून के तहत हर शख्स को हर महीने 5 किलो अनाज मिल रहा है। इस कानून के तहत 3 रुपये किलो चावल, 2 रुपये किलो गेहूं और 1 रुपये किलो मोटा अनाज मिल रहा है। अगर यह मान लिया जाए कि वह शख्स चावल ही खरीदता है तो पांच किलो के रूप में वह 15 रुपये खर्च करेगा। इस बात की पूरी संभावना है कि जो चावल इस योजना के तहत मिलेगा उसकी कीमत खुले बाजार में करीब 20 रुपये प्रति किलो के आसपास मानी जा सकती है। इस तरह से सरकार लाभ पाने वाले शख्स को 100 रुपये (हर महीने पांच किलो के हिसाब से) का चावल 15 रुपये में उपलब्ध करा रही है। यानी हर रोज के हिसाब से हर शख्स को करीब 3 रुपये का फायदा। 
 
अब हर शख्स को मिलने वाले फायदे और उस पर पड़ रहे बोझ का फर्क देखिए। सिर्फ तीन सरकारी योजनाओं (खाद्य सुरक्षा कानून, मनरेगा और शिक्षा के अधिकार) के चलते हर शख्स पर सरकार रोज 156 रुपये का बोझ डाल रही है। इसके बरक्स सरकार हर शख्स को खाद्य सुरक्षा कानून के तहत हर रोज 3 रुपये का फायदा दे रही है। यानी हर शख्स पर फायदे के बावजूद 153 रुपये का बोझ।

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