Thursday 22 August 2013

आसमान में बन गया स्टेशन

Image Loadingक्या तुम जानते हो कि एक स्टेशन आसमान में भी है। इस स्टेशन का नाम है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन। यहां से ट्रेन नहीं निकलती, बल्कि कई देशों ने मिल कर अंतरिक्ष के बारे में शोध करने के लिए इस स्टेशन को तैयार किया है। आओ जानें सत्य सिंधु से कि कैसा है यह स्पेस स्टेशन और किस तरह के काम होते हैं यहां पर
तुम स्टेशन का मतलब क्या समझते हो, शायद रेलवे स्टेशन या रेडियो स्टेशन ही ना। रेलवे स्टेशन पर रेलगाड़ी आती-जाती हैं तो रेडियो स्टेशन पर तुम अलग-अलग तरह के प्रोग्राम सुनते हो। लेकिन क्या तुम जानते हो कि एक स्टेशन ऐसा भी है, जो अपनी धरती पर नहीं है और न ही तुम वहां जा सकते हो। तुम सोच रहे होगे कि धरती के अलावा भला और कहां हो सकता है कोई स्टेशन। यह स्टेशन है अंतरिक्ष में। हां, अंतरिक्ष में है यह स्टेशन, जिसका नाम है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन। इसे इसके छोटे नाम आईएसएस से भी जाना जाता है। यह वैज्ञानिकों द्वारा अंतरिक्ष में बनाया गया सबसे जटिल और विशाल मशीन है। धरती के सबसे नजदीकी कक्षा में स्थित इस स्टेशन को तुम वैज्ञानिकों द्वारा बनाया गया उपग्रह कह सकते हो। अंतरिक्ष के बारे में शोध करने वाली पांच संस्थाएं मिलकर इसका निर्माण कर रही हैं। इनमें नासा तो शामिल है ही, रशियन फेडरेशन स्पेस एजेंसी, जेएएक्सए, ईएसए और सीएसए भी शामिल हैं। इस स्टेशन को कई देशों ने मिलकर बनाया है। इस कारण कई देशों के वैज्ञानिक भी इस स्टेशन पर रहते हैं और इसका संचालन करते हैं। तुम्हें जानकर आश्चर्य होगा कि इस स्टेशन पर अंतरिक्ष के बारे में शोध करने के लिए 6 वैज्ञानिक हमेशा रह सकते हैं। ये सभी वैज्ञानिक अलग-अलग 6 देशों के होते हैं। यह स्टेशन धरती से लगभग 350 किलोमीटर ऊपर बना हुआ है। इसका वजन लगभग 3,70,131 किलोग्राम है। इतने वजन का होने के बावजूद यह हवा में लटका हुआ है।
यह ठीक से काम करता रहे, इसके लिए इसमें 52 कंप्यूटर लगे हुए हैं। यह धरती के चारों ओर उसी तरह घूम रहा है, जैसे उपग्रह किसी ग्रह की परिक्रमा करते रहते हैं। यह लगभग 27 सौ किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी का चक्कर लगा रहा है। इसे धरती का एक चक्र पूरा करने में 92 मिनट और 50 सेकेंड का समय लगता है। इसका निर्माण कार्य 1998 में शुरू हुआ था, जो अब लगभग पूरा हो चुका है। इसकी लंबाई लगभग 240 फीट है और चौडमई लगभग 356 फीट है। इसकी मोटाई लगभग 66 फीट है। इसके निर्माण पर 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च का बजट है। क्या खाते हैं यहां
यहां प्लास्टिक के बैग में बंद करके खाना ले जाया जाता है, जिस बैग में हवा नहीं होती है। यहां केन्स नहीं ले जा सकते। यहां एक फ्रिज और एक वॉटर सिस्टम भी रखा गया है, जो ठंडा और गर्म पानी उपलब्ध कराता है। पाउडर वाले दूध की व्यवस्था रहती है, जिससे जरूरत के अनुसार ड्रिंक्स तैयार किया जाता है। गंदे पानी और कचरे को फिर से रीसाइकिल करके पीने योग्य बनाने के लिए मशीनें लगी हुई हैं। इसे देख भी सकते हो
तुम इसे अपनी आंखों से भी देख सकते हो, लेकिन इसके लिए तुम्हें सुबह में सूर्योदय से पहले जगना होगा। वैसे तुम इसे सूर्यास्त के बाद भी देख सकते हो। यह काफी चमकीला है, इस कारण आकाश में एक चमकीले बिंदु की तरह दिखता है। इसे नासा की साइट पर बने एक लिंक से भी देख सकते हो।

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