Friday 30 August 2013

मनमोहन सिंह बोले, रुपये में गिरावट चिंताजनक

Image Loading प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक् रवार को कहा कि अप्रत्याशित बाहरी घटनाक्रमों के कारण रुपये में हाल में दर्ज की गई लगातार गिरावट चिंता का विषय है, लेकिन पूंजी पर नियंत्रण जैसी कोई बात नहीं होगी और भारत एक खुली अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
प्रधानमंत्री ने लोकसभा में कहा कि मई के अंत से रुपये के मूल्य में लगातार गिरावट चिंता की बात है। जिस कारण से रुपये में तेज गिरावट दर्ज की गई, वह है अप्रत्याशित बाहरी घटनाक्रमों के प्रति बाजार की प्रतिक्रिया। उन्होंने कहा कि स्पष्ट है कि सोने के प्रति अतिशय मोह को दूर करने की जरूरत है, पेट्रोलियम उत्पादों के किफायती इस्तेमाल को बढ़ावा देने की जरूरत है और अपना निर्यात बढ़ाने के लिए कदम उठाने की जरूरत है। मनमोहन ने कहा कि वैसे रुपये में गिरावट से कुछ हद तक लाभ भी होता है, क्योंकि इससे निर्यात प्रतिस्पर्धी हो जाता है। प्रधानमंत्री ने साथ ही कहा कि विकास में जल्दी ही तेजी आएगी और वित्तीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.8 फीसदी तक सीमित करने की हर संभव कोशिश की जाएगी। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा आर्थिक तेजी का संकेत मिलने के बाद वित्तीय राहत को धीमे-धीमे समाप्त करने की बात कहे जाने के बाद विदेशी फंडों ने भारतीय बाजार से पूंजी निकालनी शुरू कर दी और इसके कारण मौजूदा कारोबारी साल में रुपये में करीब 20 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है। बुधवार को रुपये में करीब चार फीसदी गिरावट दर्ज की गई और यह डॉलर के मुकाबले 68.85 पर बंद हुआ था। यह अक्टूबर 1995 के बाद किसी भी एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट थी। अगले ही दिन हालांकि यह वापस 3.5 फीसदी संभल कर 66.55 पर बंद हुआ। प्रधानमंत्री ने अपने वक्तव्य के दौरान सुधार प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का भरोसा देकर बाजार की भावना को ऊंचा उठाने की भी कोशिश की। उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों में भारत एक खुली अर्थव्यवस्था बना रहा है और इसका उसे लाभ भी मिला है। इन नीतियों को बदलने का सवाल ही नहीं उठता। मैं इस सदन को और पूरी दुनिया को आश्वस्त करता हूं कि सरकार पूंजी नियंत्रण के कदम पर विचार नहीं कर रही है। सिंह ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है और भारतीय रिजर्व बैंक तथा सरकार दोनों ही महंगाई दूर करने के उपाय कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चालू खाता घाटा कम करने की भी कोशिश की जा रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि घाटा कम करने का विकास अनुकूल तरीका यह है कि सोच-विचार कर खर्च कीजिए, खासकर उन सब्सिडियों पर जो गरीबों तक नहीं पहुंच पाती हैं। उन्होंने राजनीतिक पार्टियों से भी बेहतर नीति पर चलने में मदद करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि अब तक आसान सुधार किए जा चुके हैं। अधिक कठिन सुधार के लिए हमें राजनीतिक आम सहमति की जरूरत है। मैं सभी राजनीतिक पार्टियों से अनुरोध करता हूं कि देश को स्थिर विकास के पथ पर बनाए रखने के लिए काम करें और इसमें सरकार का साथ दें।

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