Monday 19 August 2013

एक सुपर स्टार का सत्याग्रह

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पार का यह अभिनेता अब सामने और दूर से पूरी तरह उपलब्धियों से लदा हुआ नजर आता है। जाहिर है, ऐसे में उनकी चाटुकारिता में बहुत कुछ लिखा जा सकता है। पर वह एक निर्थक कोशिश होगी। अब इस तरह की कोशिश उनके कुछ खास लोगों के लिए छोड़ देना ही ठीक होगा। सीधी-सी बात है, आज वह किसी भी तरह की तारीफ से बहुत ऊपर उठ चुके हैं, क्योंकि अब उन के कुछेक निंदक भी मानते हैं कि बच्चन हैं तो कुछ खास होगा ही।
कोई कुछ कहता रहे, स्टाइल में हैं नंबर वन
आने वाले केबीसी के नए सीजन में उनका स्टाइल देखिए। इस उम्र में भी उन्होंने किस खूबी से अपने आपको मेन्टेन कर रखा है। फिर यह बात सुनने को मिलती है कि प्रकाश झा की फिल्म सत्याग्रह में उन्होंने अन्ना हजारे को फॉलो किया है। बिग बी ऐसी बातें सुन कर हंस पड़ते हैं और कहते हैं, ‘अब क्या जवाब दूं। सारे जवाब रूटीन टाइप के ही होंगे।’ उनसे बातचीत के दौरान हमेशा कुछ प्रासंगिक और नये सवाल तलाश करने पड़ते हैं। याद आता है बचपन
ताजा हुई एक संक्षिप्त मुलाकात के दौरान वह एक छोटे बच्चे से बहुत चाव से बातें करते हुए नजर आते हैं। वह कहते हैं, ‘फुर्सत हो तो बच्चों के साथ समय बिताना मुझे बहुत अच्छा लगता है। इसी बहाने मैं बचपन के दिनों को याद कर लेता हूं। उनकी शरारतों से मैं बहुत कुछ सीखता हूं।’ उनके परिवार के बच्चों में कौन ज्यादा शरारती था। इस पर वह हंस पड़ते हैं और कहते हैं, ‘मैंने अपने बच्चों अभिषेक, श्वेता और नातियों की शैतानी देखी है। इनमें अभिषेक सबसे ज्यादा शरारती था। श्वेता हमेशा से ही शांत मिजाज की रही है। अगस्त्य की कई शरारतों में मैं अभिषेक को ही ढूंढ़ता हूं। फिर भी अगस्त्य उतना शरारती नहीं है, जितना अभिषेक था। आराध्या बहुत गुप-चुप ढंग से शैतानी करती है।’  उनकी बढ़ती सक्रियता
शाहरुख, रितिक से लेकर तेलुगू फिल्मों के सुपर स्टार रामचरन तेजा तक उनकी फिल्मों के रीमेक में काम करके बहुत खुश हैं। शायद बहुत कम लोगों को पता हो कि कभी शाहरुख उनकी फिल्म दीवार के रीमेक में काम करने के लिए पूरी तरह से तैयार थे, मगर फिल्म के निर्माता राजीव राय से राइट्स आदि की बातें फाइनल न होने की वजह से यह प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो पाया। जल्द रिलीज हो रही उनकी पहली सुपरहिट फिल्म जंजीर के रीमेक का जिक्र चलने पर वह बताते हैं, ‘बच्चे इस तरह से मेरी किसी फिल्म के रीमेक में काम कर रहे हैं, सुन कर बहुत अच्छा लगता है। मैं भला इन फिल्मों को कैसे भूल सकता हूं!’ इस माह के अंत में रिलीज होने वाली फिल्म सत्याग्रह के ठीक बाद वह केबीसी को लेकर व्यस्त हो जाएंगे। इसी के साथ कई नयी फिल्मों के प्रोजेक्ट उन्हें लेकर बन रहे हैं। ऐसे में संन्यास लेने की बात कभी जेहन में नहीं आती? वह कहते हैं, ‘जल्द ही 72 में पांव रखूंगा। शरीर कमजोर होगा, मगर चुनिंदा काम करता रहूंगा। वैसे यदि दर्शक उससे पहले ही मुझे घर बिठा देना चाहते हैं तो उनका आदेश सिर माथे पर।’ प्रोफेशनल व्यवहार
वर्षों हो गये ऐसा करते, पर लोग आज भी उन्हें देख कर अपनी घड़ी ठीक कर लेते हैं। वक्त की उनकी पाबंदी अब एक मिसाल बन चुकी है। वह कहते हैं, ‘अब तो जैसे आदत-सी हो गयी है, वरना शुरू से ही मैंने एक एक्टर के तौर पर यह प्रयास किया है कि सुबह जल्दी और समय से सेट पर पहुंच जाऊं, ताकि रात को नौ बजे तक उस दिन का मेरा काम उसी दिन पूरा हो जाये। इससे मुझे आत्म-संतुष्टि मिलती है।’ शायद उनकी इस नियमित जीवनचर्या के चलते ही उन्होंने उम्र को बहुत पीछे छोड़ दिया है। अब भी रोल लिखे जा रहे हैं
वह कितने अहम चरित्र-अभिनेता के तौर पर सामने आये हैं, सत्याग्रह इसकी ताजा मिसाल है। मगर इस सवाल का जवाब वह टाल देते हैं और कहते हैं, ‘ऐसी कोई बात नहीं है, मैं तो सिर्फ करेक्टर रोल कर रहा हूं। अब फिल्मों में मेरा बीस-पच्चीस दिनों का काम होता है, इसलिए लगातार फिल्में कर पा रहा हूं।’ सुजॉय घोष की फिल्म बदला में वह नसीरुद्दीन शाह और विद्या बालन के साथ काम करेंगे। असल में पिछले कई सालों से नये दौर के निर्देशकों के साथ वह पूरी तरह से रच-बस गये हैं। वह कहते हैं, ‘इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि इनमें से ज्यादातर बहुत अनुशासित ढंग से काफी अच्छा काम कर रहे हैं। मेरे समय के ज्यादातर निर्देशक शांत हैं या नहीं रहे। यश जी के साथ एक और फिल्म करना चाहता था, वो इच्छा भी अधूरी रह गयी।’ उनकी यह इच्छा-शक्ति आज भी युवाओं में एक उत्साह का संचार कर देती है। महानायक की पसंदीदा फिल्में 
आवारा, देवदास, मदर इंडिया, मुगल-ए-आजम आदि उनकी पसंदीदा फिल्में हैं। अपनी इन पसंदीदा फिल्मों में वह गुरुदत्त की एक सर्वकालिक चर्चित फिल्म ‘कागज के फूल’ का जिक्र बार-बार करते हैं। इस फिल्म का नाम लेते ही वो पुलकित हो जाते हैं और कहते हैं, ‘यह मेरे लिए एक फिल्म नहीं, बल्कि कविता है। इसमें प्रतीक के रूप में फिल्माया गया प्रत्येक फ्रेम एक कविता की तरह है। इसमें गुरुदत्त के किरदार की ट्रेजेडी मेरे मन को एकदम छू जाती है। इसके एक गीत ‘वक्त ने किया, क्या हंसी सितम..’ की बात ही कुछ और है। इस गीत के बोल, सुर रचना और फिल्मांकन, सब कुछ कैमरे के जरिये खुल कर सामने आ जाता है। इसलिए मैंने हमेशा इसे एक पोयटिक फिल्म माना है।’ उनकी पसंदीदा फिल्मों की फेहरिस्त लंबी है। इसमें नायक शम्मी कपूर की एक अति लोकप्रिय फिल्म ‘जंगली’ का नाम  लेते हुए वह कहते हैं, ‘मेरा टीनएज का दौर चल रहा था। उस समय शम्मी साहब का याहू याहू चिल्लाना हमारे अंदर उत्साह का संचार कर देता था।’ आने वाली फिल्में  
सत्याग्रह: 30 अगस्त को रिलीज होगी
मेहरून्निसा: सुधीर मिश्रा की इस फिल्म की काफी शूटिंग लखनऊ में की गयी है।
बदला: सुजॉय घोष की यह फिल्म जल्द ही फ्लोर पर जायेगी।
बुद्घम शरणं गच्छामी, जॉनी वॉकर, जॉनी मस्ताना, लीजेंड ऑफ कुणाल आदि कुछ फिल्में ऐसी हैं, जिनकी सिर्फ घोषणा हुई है।

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