Saturday 17 August 2013

लश्कर का खूंखार आतंकवादी अब्दुल करीम टुंडा गिरफ्तार

Image Loading
आतंकवादी संग्ठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के आतंकी और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के करीबी अब्दुल करीम टुंडा को दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार किया है।
भारत के सर्वाधिक वांछित आतंकवादि यों में से एक, सैयद अब्दुल करीम उर्फ टुंडा को दिल्ली पुलिस ने भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार कर लिया। टुंडा की गिरफ्तारी उस समय हुई, जब एक खाड़ी देश ने उसे अपने यहां से वापस भेज दिया।
   
टुंडा पर देश में हुए 40 से अधिक बम विस्फोट मामलों की साजिश रचने का आरोप है। 70 वर्षीय टुंडा आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का कुशल बम निर्माता था। वर्ष 1996 में उसके खिलाफ इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था।
  
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दिल्ली पुलिस आज उसे अदालत में पेश करेगी। टुंडा की गिरफ्तारी को एक बड़ी सफलता बताते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने कहा कि उससे पूछताछ में देश में लश्कर-ए-तैयबा की गतिविधियों के बारे में पता चल सकेगा।
   
फिलहाल टुंडा की गिरफ्तारी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाई है। लेकिन समझा जाता है कि उसे किसी खाड़ी देश से वापस भेजे जाने के बाद उसकी गिरफ्तारी भारत नेपाल सीमा से हुई। वर्ष 2001 में संसद भवन पर हुए हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से जिन 20 आतंकवादियों के प्रत्यर्पण की मांग की थी, टुंडा उनमें से एक था। इस सूची लश्कर प्रमुख हाफिज मोहम्मद सईद और जैश-ए-मोहम्मद के अगुआ मौलाना अजहर मसूद अल्वी के नाम भी हैं।
   
सीबीआई ने करीम पर जम्मू कश्मीर के बाहर लश्कर-ए-तैयबा के बड़े हमले करने का आरोप लगाया है। इनमें मुंबई, हैदराबाद, दिल्ली, रोहतक और जालंधर में हुए 43 विस्फोट शामिल हैं, जिनमें 20 से अधिक लोगों की मौत हुई और 400 से ज्यादा घायल हो गए।
   
उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद जिले के पिखुआ के रहने वाले टुंडा ने 6 दिसंबर 1993 को इंटरसिटी ट्रेनों में भी विस्फोट किए, जिसमें दो लोग मारे गए थे। बम बनाने में निपुण होने के अलावा टुंडा की जम्मू कश्मीर के बाहर लश्कर-ए-तैयबा के नेटवर्क का प्रचार प्रसार करने में अहम भूमिका रही।
   
इस आतंकी संगठन से जुड़ने से पहले वह 1980 के दशक के शुरू में होमियोपैथी की एक दुकान चलाता था। सूत्रों ने बताया कि 1998 के बाद वह सीधे बम हमले करने से नहीं जुड़ा था, लेकिन उसने लश्कर से जुड़े युवाओं के लिए मार्गदर्शक की तथा पूरे भारत में अभियान चलाने और वित्त व्यवस्था करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
   
एक बार बम बनाते समय हुए हादसे में उसने बायां हाथ गंवा दिया था, जिसकी वजह से उसे टुंडा कहा जाता था। उसके ठिकाने को लेकर कई तरह की चर्चाएं चलती थीं और फिर यह भी कहा गया कि बांग्लादेश में हुए एक विस्फोट में वह मारा गया। टुंडा, दाऊद और हाफिज सईद का करीबी है। वह 1996 से 1998 के बीच भारत में अलग-अलग जगहों पर हुए बम धमाकों का मास्टरमाइंड रह चुका है। इतना ही नहीं 2000 से 2005 तक माना जाता था कि टुंडा मर चुका है, लेकिन 2005 में लश्कर के चीफ कॉर्डिनेटर अब्दुल रजाक मसूद ने गिरफ्तारी के बाद खुलासा किया था कि टुंडा अभी भी जिंदा है। उसने खुलासा किया था कि टुंडा जिंदा है और उसकी पत्नी और दो बच्चे भी हैं।

No comments:

Post a Comment