Monday 19 August 2013

फिल्म रिव्यूः दोबारा न ही बनाते वंस अपऑन ए टाइम इन मुंबई तो हम बुरा नहीं मानते मिलन

वंस अपऑन ए टाइम इन मुंबई दोबारा
10 प्वाइंट मूवी रिव्यूः वंस अपऑन ए टाइम इन मुंबई दोबारापांच में से डेढ़ स्टार
एक्टरः अक्षय कुमार, इमरान खान, सोनाक्षी सिन्हा, अभिमन्यु सिंह, पित्तोबाश त्रिपाठी. गेस्ट अपीयरेंस- सोनाली बेंद्रे
म्यूजिकः प्रीतम, स्टोरी और डायलॉगः रजत अरोड़ा
डायरेक्टरः मिलन लूथरिया
1 फिल्म का नाम लंबा है. पर आप और हम ‘दोबारा’ से काम चला रहे हैं. इसकी ड्यूरेशन भी कुछ लंबी 2 घंटे 40 मिनट की है.इसलिए रिव्यू छोटा ही रखते हैं. फिल्म में सिर्फ अक्षय कुमार की एक्टिंग अच्छी है. वो जब आंख चमकाकर अपना घटियापन उघाड़ते हैं, तो उनकी ये हरकतें और उसे बयान करते डायलॉग मजा देते हैं.
2 अगर आप दूसरी गैंगस्टर फिल्मों या वंस अपऑन...की पहली फिल्म के फैन हैं, तो कृपया दोबारा देखने न जाएं. फिल्म के पुरखों की आत्मा को तकलीफ पहुंचेगी.इसमें न तो गैंगस्टर की शानदार खूंरेजी दुश्मनी और साजिशें हैं, न ही कद्दावर किरदार. यानी नो केमिस्ट्री, नो मिस्ट्री
3 सोनाक्षी सिन्हा के नाम इस तरह के रोल का पेटेंट जारी हो चुका है. कुछ शर्मीली, कुछ बोल्ड, भारतीय ड्रेस में, कुछ भोंदूपना दिखाती सी.मगर इस फिल्म में तो वह जस्मीन के रोल में आखिरी सेंटेंस बोलने के पहले इतनी भोली लगती हैं कि लगता है जैसे मॉर्निंग प्रेयर के बाद के प्रवचन लिखे जा रहे हों स्क्रीन पर.
4 इमरान खान वही लवर बॉय चिकन टिक्का टाइप रोल करें, तो उनके लिए भी अच्छा है और पब्लिक के लिए भी. ये सब गैंगस्टर उनसे न हो पाएगा. मटरू में भी मटियामेट किया और यहां भी. उनके चेहरे पर गम खुशी उत्साह सब में एक से एक्सप्रेशन होते हैं साधुओं से और उसे देख आपको शैतानों सा गुस्सा आ सकता है.
5 फिल्म की कहानी का पहली से कोई लेना देना नहीं.शोएब मुंबई पर छा चुका है और दुबई में है. मगर फिर सबको चौंकाता हुआ एक टुच्चे गुंडे रावल को मारने वो मुंबई आता है. यहां उसका राइड हैंड है असलम. अपना बच्चा. बच्चे को और उसके बाप, ओह सॉरी बॉस को एक ही लड़की से हुआ प्यार. दोहरी दिल्लगी के बाद छीछालेदर तो होनी ही थी.
6 मिलन लूथरिया ने इससे पहले वंस अपऑन, डर्टी पिक्चर सी शानदार फिल्में बनाई हैं. मगर यहां सब गोबर कर दिया.पात्र आपस में नॉर्मल बातचीत भी ऐसे कर रहे थे जैसे नौटंकी के डायलॉग रटकर आए हों.शोएब जो घड़ी घड़ी बोलता है कि ये बुरा मान जाएगा. वो बुरा मान जाएगा. मान गए भइया हम भयानक बुरा इन ठूंस ठूंस कर भरे गए डायलॉगों से.
7 कहानी कन्फ्यूजन की शिकार है.आप तय ही नहीं कर पाते कि इसे एक माफिया फिल्म के तौर पर देखें. प्रेम कहानी के तौर पर देखें, या इंसानी रिश्तों के सघन गुंथे जाल के तौर पर.
8 अच्छे एक्टर्स की बर्बादी ऐसी कि मन दुखी हो गया. गुलाल में रणसा का रोल करने वाले शानदार एक्टर अभिमन्यु को एसीपी का रोल दिया. मगर उस रोल को लंबाई नहीं दी. आई एम कलाम के लिपटन डेढ़ टांग के रूप में नजर आए और याद रह गए. विद्या बालन 1 सेकंड के लिए दिखीं.
9 फिल्म का म्यूजिक बस एफएम और एमटीवी पर ही अच्छा लगेगा. जब फिल्म के बीच में आएगा तो तैयब अली के अलावा बाकी सब पकाएगा, स्टोरी की रफ्तार घटाएगा और आप पॉकेट से निकालकर फोन अपडेट चेक करने लगेंगे.
10 तो मेरी सलाह ये है कि अगर अक्षय कुमार, सोनाक्षी सिन्हा वगैरह के फैन नहीं बल्कि एसी हैं आप तभी जाकर टका और टाइम खपाएं इसमें. इसके अलावा और किसी उम्मीद से गए तो आपका मूड बुरा मान जाएगा

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