Friday 16 August 2013

भारतीय नौसेना की ताकत का अहम हिस्सा है सिंधुरक्षक

Image Loadingहाल ही में दुर्घटनाग्रस्त हुई भारतीय नौसेना की पनडुब्बी आईएनएस सिंधुरक्षक से तीन नौसैनिकों के शव बरामद किए गए हैं। विस्फोट होने के बाद डूबी इस प नडुब्बी से गोताखोरों ने शुक्रवार को यह शव बरामद किए।
सूत्रों ने बताया कि हमारे गोताखोरों ने पनडुब्बी से तीन शव बरामद किए हैं, लेकिन अभी उनकी शिनाख्त नहीं की जा सकी है। नौसेना ने कल इस पनडुब्बी में फंसे नाविकों में से तीन अधिकारियों के नाम बताए थे। पनडुब्बी के भीतर फंसे सभी नाविकों के मारे जाने की आशंका है। नौसेना ने पनडुब्बी के भीतर फंसे तीन अधिकारियों लेफ्टिनेंट कमांडर निखिल पाल, आलोक कुमार और आर वेंकिटराज के नाम बताए थे। इनके अलावा पनडुब्बी के भीतर फंसे शेष नाविकों के नाम संजीव कुमार, केसी उपाध्याय, तिमाथी सिन्हा, केवल सिंह, सुनील कुमार, दसारी प्रसाद, लीजू लारेंस, राजेश टूटिका, अमित के सिंह, अतुल शर्मा, विकास ई नरोत्तम देउरी, मलय हलदार, विष्णु वी और सीताराम बदापल्ली बताए गए हैं। गौरतलब है कि गत बुधवार रात को पनडुब्बी आईएनएस सिंधुरक्षक में भीषण विस्फोट हुआ था और वह डूब गई थी। इससे नौसेना को एक बड़ा आघात पहुंचा था। नौसेना के गोताखोर हालांकि बुधवार देर रात ही पनडुब्बी के भीतर पहुंच गए थे, लेकिन वहां फंसे 18 लोगों को तलाशने में उन्हें काफी कठिनाई आई। पनडुब्बी के भीतर कम रोशनी की वजह से कुछ दिखाई नहीं दे रहा था और वह पानी से भर गई थी। उसके भीतर के सभी उपकरण अपनी जगह से हट गए थे और उसमें पहुंच बना पाना बहुत कठिन था। नौसेना इस पनडुब्बी को निकालने के काम में एक डच कंपनी की मदद लेने के बारे में भी सोच रही है। नौसेना ने अपनी पनडुब्बी आईएनएस सिंधुरक्षक में विस्फोट होने और इसके बाद उसमें आग लगने की घटना की जांच के लिए बोर्ड ऑफ इनक्वायरी के आदेश दिए हैं। यह पनडुब्बी डूब गई है। इसमें 18 लोगों के सवार में होने की खबर है। यह डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी है। इसे भारत ने रूस के सहयोग से तैयार किया है। यह तीन महीने पहले ही रूस के वेजदोज्का शिपयार्ड से अपग्रेड होकर मुंबई लौटी थी। इसका निर्माण सेंट पीटर्सबर्ग में 1997 में किया गया था। 2300 टन वजन वाली पनडुब्बी की कीमत करीब 490 करोड़ रुपये थी। इस पनडुब्बी में 2010 में भी आग लग गई थी। इसमें एक नाविक की मौत हो गई थी। उस वक्त यह विशाखापट्टनम में तैनात थी। पिछले साल भी सिंधुरक्षक का आधुनीकरण किया गया था। इसके आधुनिकरण के तहत इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम, कंट्रोल सिस्टम और अन्य तकनीकी सिस्टम पर काम किया गया है। साथ ही सिंधुरक्षक में रूसी मिसाइल सिस्टम, सोनार सिस्टम और अन्य कम्यूनिकेशन प्रणाली को भी जोड़ा गया है। 7.2 मीटर लंबी सिंधुरक्षक पनडुब्बी भारतीय नौसेना की ताकत का एक अहम हिस्सा है। यह समुद्र के अंदर 640 किलोमीटर तक जा सकती है। यह एक बार में 45 दिन तक समुद्र में रह सकती है। इसमें 15 क्रू मेंबर रह सकते हैं। सिंधुरक्षक की सर्विस हिस्ट्री : खास बातें - INS सिंधुरक्षक (S 63) सिंधुघोष वर्ग की डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी। - इसका निर्माण रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में एडमिरल्टी शिपयार्ड के द्वारा। - फरवरी 2010 में भी विशाखापत्तनम में तैनाती के दौरान लगी थी। आग में एक नौसैनिक की मौत हुई थी और दो घायल हुए थे। - 2010 में आग पनडुब्बी के बैटरी कंपार्टमेंट में विस्फोट के कारण लगी थी। - इस आग से हुई क्षति की मरम्मत तथा इसे और बेहतर बनाने के लिए भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने रूस के जेजडोचका शिपयार्ड के साथ 80 मिलियन अमेरिकी डॉलर (करीब 500 करोड़ रुपए) का करार किया। - करीब ढाई वर्षों तक चले मरम्मत और आधुनिकीकरण के बाद अक्टूबर 2012 में इसका पुन: ट्रायल शुरू हुआ। - मरम्मत और आधुनिकीकरण के बाद 27 जनवरी, 2013 को इसे भारत को सौंपा गया और इसकी सेवा अवधि 10 वर्ष आंकी गई थी।

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