Saturday 22 March 2014

60 प्लस का बटुआ

श्रीमती ममता आज साठ साल की पूरी हो रही हैं। वह एक आम गृहिणी हैं, उन्होंने कभी नौकरी नहीं की, पर आज भी उनकी आवाज कड़क है.. मन में सुरक्षा की अहसास है.. बहू की प्यारी सासू मां और पोते-पोतियों की प्यारी दादी है, क्योंकि आज भी उनकी पर्स भारी है अर्थात बैंक की पासबुक में छह अंकों में राशि चढ़ी है। श्रीमती ममता की मां ने उनको तमाम हुनर दिये, लजीज खाना बनाने से लेकर सिलाई-कढ़ाई तक, पर उन्होंने सबसे बड़ा पाठ जो अपनी मां से सीखा वह था वित्तीय अनुशासन।
गृहिणी का
वित्तीय अनुशासन
गृहिणी के वित्तीय अनुशासन का सीधा फंडा है कि आप कमा नहीं सकते, पर बचा तो सकते हैं। ममता जी ने यही फंडा अपनाया..। उन्होंने बचत के दो तरीके ईजाद किए एक तरीका तो घर के रोजमर्रा के खर्चो में किफायत और जरूरत की चीजों को एक मुश्त थोक में खरीदकर पैसा बचाने का था और दूसरा तरीका उस बचत को सही तरीके से निवेश कर ब्याज में लाभ कमाने का था।
बचत का लेखा-जोखा
जरूरी है
श्रीमती ऊषा की डायरी बड़े काम की है, उसमें वह हर माह तीन कालम बनाती हैं। पहले कालम में महीने में खरीदी जाने वाली वस्तुओं की सूची, दूसरे में घर बैठे अगर चीजें मिलें तो उसकी खुदरा दर और तीसरे कालम में उनके द्वारा वास्तव में व्यय की जाने वाली राशि। वह अपने पति से घर बैठे चीजें सप्लाई का पैसा वसूलती हैं। इसमें पति को भी कोई आपत्ति नहीं है, क्योंकि अगर वह उन वस्तुओं को खरीदते तो ज्यादा पैसा चुकाकर ही खरीदते और ऊपर से क्वालिटी और समय की जहमत अलग से।
श्रीमती नुपुर कंप्यूटर में एक्सल के जरिये मासिक बचत का बाकायदा चार्ट बनाती हैं। इससे उनका लेखा-जोखा आसानी से हो जाता है और कंप्यूटर का भी कुछ उपयोग घर की बचत के लिए हो जाता है। नुपुर बहुत से बिलों जैसे बिजली, मोबाइल, केबल कनेक्शन इत्यादि का भुगतान अब ऑन लाइन कर देती हैं। इससे रिक्शा भाड़ा में जो बचत होती है, उसे भी वह अपनी बचत में शामिल कर लेती हैं।
बचत का निवेश
ज्यादा जरूरी है
श्रीमती दुर्गा को बचत में तो महारथ हासिल थी। वह पैसा बचाने के लिए भारी-भरकम थैला सब्जी मंडी और किराना बाजार से लाद लाती थीं, पर बचाए गए रुपयों को गद्दे के नीचे या अलमारी में साड़ी की तह में रखती थीं। पति को जरा सा भी पैसे की जरूरत महसूस होने पर पूरी बचत एक झटके में उनको अर्पित कर अपने को कृतार्थ समझती थीं।
आपका रिटायरमेंट प्लान
पति के रिटायरमेंट के
समानांतर होना चाहिए
श्रीमती दुर्गा जानती थीं कि पति की सेवानिवृत्ति के बाद एक तो उनको मिलने वाले निजी खर्च के रुपये बंद हो जायेंगे और दूसरे घर के बजट को सुनियोजित तरीके से बनाकर और कुछ व्ययों में कटौती करके 'हाथ की सफाई' के जरिये जो पैसे वह हर माह बचाती हैं, उनमें भी कटौती हो जायेगी। इसकी भरपाई के लिए पति को आर्थिक सम्बल देने के लिए उन्होंने पति के रिटायरमेन्ट प्लान के समानांतर अपना भी रिटायरमेंट प्लान तैयार कर रखा है।

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