Saturday 22 March 2014

और ऊंचा करदो आसमां..

आज की यंग जेन लड़कियों की चाहतों ने अभी उड़ान भरनी शुरू ही की है। इनमें से कुछेक की छोटी-छोटी सफलताएं उनके सपनों को और बड़ा कर रही हैं। दशक भर पहले ऐसे हालात न के बराबर थे। कॉलेज में आते ही माता-पिता को हाथ पीले करने की चिंता सताने लगती थी, पर अब इस ट्रेंड में बड़ा बदलाव आया है। नए जमाने की लड़कियां अपनी फैमिली बसाने से पहले अपने सारे सपने पूरे कर लेना चाहती हैं। इन सपनों का आसमान अनंत है। इसमें भावी फैमिली भी है और वह फैमिली भी, जिनके साथ रहकर उसने बड़ा किया अपना सपना यानी माता-पिता, भाई-बहन और हां दोस्त भी..।
करना है खुद को स्टैंड
22 वर्षीया पल्लवी आईटी प्रोफेशनल हैं। जबसे जॉब लगी है, फैमिली को फाइनेंशियली सपोर्ट करती हैं। ऐसा करके उन्हें खुद पर फख्र महसूस होता है। शादी से पहले उनकी ढेरों ख्वाहिशें हैं। अपने छोटे भाई को सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनाना, पापा को फ्लैट खरीदकर देना। इन सबसे अलग उनकी सबसे बड़ी ख्वाहिश है- अपने पैसों पर जिंदगी जीना। अपने बड़े भाइयों की तरह पैरेंट्स की मदद करना। वह कहती हैं, 'मैं शादी के बाद भी पैरेंट्स को फाइनेंशियली सपोर्ट करना चाहती हूं। मुझे बहुत बुरा लगता है, जब लोग शादी के बाद लड़कियों को पराया कर देते हैं।' पर इस धारणा से पीछा छुड़ाना आसान नहीं। इस बात पर पल्लवी झट से अपनी बात रखती हैं- 'क्यों नहीं। जब आप अच्छी तरह स्टैंड होते हैं। कॅरियर में सेटल हैं, फाइनेंशियली स्ट्रांग हैं तो सारी धारणाएं हवा हो जाती हैं। आखिर हमने ही ऐसी परंपराएं बनाई हैं तो इन्हें तोड़ने का साहस भी हमें ही पैदा करना होगा।'
सुटेबल पार्टनर के लिए
इन दिनों लड़कियां देर से शादी क्यों करती हैं? इस सवाल पर ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में काम करने वाली आभा देर तक चर्चा करती हैं। वह किसी सधे हुए वक्ता की तरह अपनी बात रखती हैं, 'शादी क्यों करती हैं लड़कियां फाइनेंशियल सिक्योरिटी के लिए न? जब आप फाइनेंशियली डिपेंडेंट होती हैं तो इमोशनल भी हो जाती हैं। पहले यही तो होता था। अब तो लड़कियां फाइनेंशियली भी इनडिपेंडेंट हैं और इमोशनली भी।' आभा अपनी बात जारी रखती हैं, 'आज लड़कियां देर से शादी करती हैं तो इसका फायदा भी उन्हीं को मिलता है। खासकर वर्किंग लड़कियां जितना समय अन-मैरिड होकर बिताती हैं, उस दौरान उन्हें लाइफ का हार्ड एक्सपीरियंस मिलता है। इससे वे और परिपक्व बनती हैं। वे इस बात को अच्छी तरह समझने लगती हैं कि उनके लिए कौन सुटेबल पार्टनर हो सकता है और है कौन नहीं। मैं भी ऐसी ही लड़कियों में से हूं। कॅरियर अच्छा चल रहा है, पर अब तक सूटेबल मैच नहीं मिला है मुझे।'
अपनी सिक्योरिटी
का जिम्मा
'मेरे दोनों भाइयों की शादी हो गई है, इसलिए अब मेरी बारी है। बड़ा प्रेशर है मुझ पर, लेकिन इस परेशानी से निपटना आता है मुझे, क्योंकि मुझे पता है कि आपकी लाइफ का जिम्मा और कोई नहीं ले सकता। हसबैंड भी नहीं। इसकी सिक्योरिटी आपके हाथ में है।' कहती हैं मार्केटिंग प्रोफेशनल, प्रकृति अग्रवाल। अभी उनकी उम्र है महज 23 साल, लेकिन उनकी बातों से जाहिर होता है कि इतने कम वक्त में उन्हें लाइफ का काफी अनुभव हासिल हो गया है।
शादी की बात पर वह कहती हैं, 'शादी से पहले ही मैं खुद को इतना सक्षम बना लेना चाहती हूं कि शादी के बाद छोटी-छोटी बात पर पति पर निर्भर न रहना पड़े। मैंने अपने पैरेंट्स से साफ कह दिया है कि मुझसे कम से कम दो-तीन साल तक शादी के लिए न कहें। किसी अच्छी कंपनी में जॉब मिल जाए, फिर शादी कर सकती हूं।' पल्लवी अपनी शादी का खर्चा भी खुद उठाना चाहती हैं। प्रकृति की यह बात काफी कुछ कहती है, 'मैं उन लड़कियों को देखकर हैरान हो जाती हूं, जो सक्षम हैं, लेकिन शादी के बाद जॉब छोड़ देती हैं या जॉब से कंप्रोमाइज कर लेती हैं!'
करनी है
पूरी तैयारी
लॉ की स्टूडेंट मेघा शादी को एक गैंबल मानती हैं। वह कहती हैं, 'पूरी जिंदगी दांव पर लगती है, जब आप शादी करते हैं। किसी अनजान व्यक्ति के साथ पूरी जिंदगी बिताना, क्या ये बड़ा गैंबल नहीं है? फिर क्या हम इतना बड़ा गैंबल सहजता से खेल सकते हैं? अब वो वक्त नहीं रहा, जब लड़कियों की एक खास उम्र 19, 20, 22 हुई, उसके लिए अपनी पसंद का लड़का देखा और शुभ मुहूर्त देखकर उसकी शादी कर दी।' मेघा के अनुसार, शादी एक बड़ा फैसला है। इसके लिए जब तक लड़की पूरी तरह तैयार नहीं होगी, वह पत्नी या बहू के रोल में बेस्ट नहीं दे पाएगी और बेस्ट देने के लिए बहुत जरूरी है कि आप पहले से प्रशिक्षित हों या इसकी पूरी तैयारी कर लें। इसलिए शादी से पहले वे खुद को तैयार करना चाहती हैं। न केवल कॅरियर में पूरी तरह सेटल हो जाना चाहती हैं, बल्कि प्रैक्टिकल लाइफ में भी मैच्योर होकर लेना चाहती हैं शादी का फैसला।
पैरेंट्स साथ हैं न
'शादी के मामले में लड़कियों का डिसीजन हमेशा अच्छा होता है। वे अपने पैरेंट्स को भी समझती हैं और अपनी सीमाओं को भी। इसलिए जब वे लेट शादी की बात करती हैं तो पैरेंट्स भी उन्हें थोड़ा- बहुत समझाने के बाद उनके फैसले पर मुहर लगा देते हैं।' कहती हैं मनोवैज्ञानिक काउंसलर अनु गोयल। बेशक नए जमाने के पैरेंट्स भी अपनी लाड़लियों के फ्यूचर टेंशन को बखूबी समझ रहे हैं। इसलिए अब शादी का निर्णय करने से पहले वे सबसे पहले बेटी की इच्छा देखते हैं। उनसे बात करते हैं, उन्हें विश्वास में लेते हैं, तभी अपनी बात रखते हैं। लॉ स्टूडेंट हिना कहती हैं, 'बच्चों की खुशी में पैरेंट्स की खुशी होती है। वे अब जान गए हैं, शादी के मसले पर जितनी बेटों को छूट मिलती है, उतनी बेटियों को भी मिलनी चाहिए। बच्चे खुश रहें, वे बस यही चाहते हैं। मैं जानती हूं कि आप अपनी बातों को लेकर कॉन्फिडेंट हैं तो वे भी आपको नहीं मना करेंगे।'

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