Saturday 22 March 2014

अकेले नहीं, सब साथ मिलकर चलें, यही है 'साथ का दम'

गुजरात की जसवंतीबेन आत्मनिर्भर होना चाहती थीं। इसलिए मन ही मन उन्होंने एक योजना बनाई। उन्होंने अपने साथ कुल आठ महिलाओं को जोड़ा और
 उस योजना पर अमल करना शुरू किया। सबने मिलकर लिज्जत पापड़ की नींव रखी। अब तक ये लोग अपने साथ 45 हजार से अधिक महिलाओं को जोड़ चुकी हैं। लिज्जत पापड़ देश का लोकप्रिय ब्रांड बन चुका है। मात्र 80 रुपये से शुरू हुए कारोबार का अब सालाना टर्नओवर 301 करोड़ रुपये है। आर्थिक मामलों के जानकार कहते हैं कि बड़ी संख्या में हुनरमंद औरतों ने अपने हुनर को एक संगठनात्मक रूप दिया है। इसलिए इतना बड़ा और टिकाऊ व्यापार खड़ा हो पाया है। समूह में ही शक्ति है। यह कथन आज भी उतना ही प्रभावी है, जितना देश के स्वतंत्रता आंदोलनों के समय था। गांधीजी कहा करते थे कि अंग्रेजों के खिलाफ भारतीयों को बड़ी संख्या में जेल जाना चाहिए। समूह की शक्ति के सामने अंग्रेज सरकार जरूर पराजित होगी। गांधीजी का कहना न सिर्फ एक स्त्री पठान ने भी माना, बल्कि उसके साथ हजारों परिवारों की स्त्रियां और पुरुष आ गए। इतने बड़े समूह की अनुगूंज अंग्रेज सरकार को भी हिलाने में कामयाब हो गई। यह परिदृश्य भले ही प्रेमचंद की कहानी 'कर्मभूमि' का हो, लेकिन समूह हर दौर और हर अवसर पर प्रभावी है।
बढ़ता है उत्साह
हाल में दस महिला पर्वतारोहियों ने तंजानिया की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारों की चोटी फतह की। इस समूह में नेपाल की सात और अफ्रीका की तीन महिलाएं थीं। सभी पर्वतारोहियों ने स्वीकारा कि वे समूह में थीं, इसीलिए चोटी पर चढ़ पाई। अकेली होकर वे बिल्कुल भी ऐसा नहीं कर पातीं। जब भी किसी एक पर्वतारोही का हौसला कम होता, अन्य सदस्य उसका उत्साह बढ़ाने में लग जातीं। ब्यूटीशियन रिया पांडे कहती हैं कि जब कोई काम आप सिर्फ अपने दम पर कर रहे होते हैं तो इसके कुछ नुकसान भी हैं। अकेले होने पर आपकी गलतियों के बारे में बताने वाला कोई नहीं होता। आप सही दिशा में जा रहे हैं या नहीं, इस तथ्य से आप बिल्कुल अनजान रह जाते हैं। वहीं अगर आपके साथ पूरी टीम काम कर रही है तो न सिर्फ अपनी कमियों और खूबियों के बारे में जानकारी मिलती है, बल्कि किसी कारण यदि काम में आपको असफलता हाथ लगती है तो हौसला बढ़ाने के लिए भी कई लोग मौजूद होते हैं।
सकारात्मक परिणाम
अगर आप समूह में कार्य कर रहे हैं तो नेतृत्व एक नहीं अनेक हाथों में होता है, जिसका परिणाम सकारात्मक होता है। इसे ही हम टीम वर्क कहते हैं।
रति सक्सेना, मैनेजिंग डायरेक्टर, कृत्यसकारात्मक परिणाम अगर आप समूह में कार्य कर रहे हैं तो नेतृत्व एक नहीं अनेक हाथों में होता है, जिसका परिणाम सकारात्मक होता है। इसे ही हम टीम वर्क कहते हैं।
रति सक्सेना, मैनेजिंग डायरेक्टर, कृत्य
एक और एक ग्यारह
कई लोगों का साथ न सिर्फ आपकी ताकत को दोगुना करता है, बल्कि कमजोरियों को भी उभरने से रोकता है। दरअसल, आपको अलग-अलग लोगों से अलग-अलग सुझाव और दृष्टिकोण मिलते हैं, जिससे आप अपनी कमियां सुधार सकते हैं। एक और एक मिलकर ग्यारह बनते हैं।
अंजू शर्मा, कथाकार
सधते हैं बड़े कार्य
यदि प्रोफेशनल लाइफ में बहुत बड़ा लक्ष्य हासिल करना है तो अकेले नहीं, समूह में रहकर ही यह कमाल दिखाया जा सकता है। बिहार, यूपी के कई गांवों में स्वयं सहायता समूह हैं। एक स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष कांति जोर देकर कहती हैं कि अकेला चना कभी भाड़ नहीं फोड़ सकता है। समूह में महिलाओं के काम करने से न सिर्फ आर्थिक, बल्कि सामाजिक लाभ भी होता है। कांति के अनुसार, उन्होंने कई महिलाओं को अपने साथ जोड़ा। आर्थिक लाभ के लिए उन्हें अपने-अपने हुनर के प्रयोग की सलाह दी। उनकी सलाह पर गांव की महिलाएं अचार, पापड़, बड़ी, सॉस आदि तैयार करने लगीं। उनके द्वारा तैयार माल बिकने लगे और इससे उनके हाथ में पैसे भी आने लगे। आर्थिक रूप से मजबूत होने पर उनकी हिम्मत बढ़ी और वे पर्दा प्रथा, घरेलू हिंसा पर अपनी आवाज उठाने लगीं। फैशन डिजाइनर सुमन राठौर ने ठान लिया था कि मैं किसी कंपनी में जॉब नहीं करूंगी, बल्कि खुद का व्यवसाय करूंगी और अपने ऑफिस की सीईओ बनूंगी। सुमन ने फैशन डिजाइनिंग की ट्रेनिंग लेने के बाद पांच महिलाओं को अपने साथ जोड़ा। घर के एक कमरे को ऑफिस बनाकर अपने काम की शुरुआत की। हालांकि शुरुआत में वे बहुत अधिक मुनाफा नहीं कमा पाई, लेकिन तीन-चार वर्षो के बाद उनकी बुटीक नोएडा में बै्रंड नेम बन गई।
व्यक्तित्व में विविधता
अलग-अलग लोग, उनके अलग-अलग विचार। विविध आइडियाज और कार्य कौशल। टीम वर्क का सबसे बढि़या पहलू है विविध लोगों का एक साथ काम करना। आईटी कंपनी में काम करने वाली सताक्षी कहती हैं कि भिन्न-भिन्न वातावरण में पले-बढ़े लोगों की सोच भी भिन्न-भिन्न होती है। अगर कोई व्यक्ति फैशन ट्रेंड के बारे में बात कर सकता है तो दूसरा उस पर रोचक नोट्स लिख सकता है। टीम में कोई तकनीक का माहिर है तो किसी के पास विचारों का खजाना है। अगर अलग-अलग लोग टीम में अपने आइडियाज शेयर करते हैं तो सामने वाला व्यक्ति यह कहने के लिए मजबूर हो जाता है कि अरे, इस पर तो मैंने बिल्कुल भी नहीं सोचा है। टीम में अगर किसी व्यक्ति में कोई कमी है तो वही कमी दूसरे व्यक्ति की खूबी हो सकती है। परिस्थिति और मांग के अनुसार, उनकी खूबियों और कमियों का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस तरह टीम में अलग-अलग लोग एक-दूसरे को संतुलित करते हैं और एक-दूसरे के प्रतिपूरक बनते हैं।
समूह में नृत्य
क्रिकेट की इंडियन प्रीमियर लीग के मैचों के दौरान जब कोई बैट्समैन शॉट मारता है या बॉलर्स विकेट लेते हैं तो ग्राउंड के किनारे लगी स्क्रीन के पास कई चीयरग‌र्ल्स एक सुर और ताल में नृत्य करने लगती हैं। यदि वे अकेली नृत्य करें तो दर्शकों को आकर्षक नहीं लगेगा। समूह में उनका नृत्य न सिर्फ खूबसूरत होता है, बल्कि प्लेग्राउंड पर आकर्षण का केंद्र भी होता है। नृत्यांगना स्वीकृति कहती हैं कि कई भारतीय नृत्य, जैसे कि गरबा, गिद्दा, करमा, घूमर आदि समूह में किए जाते हैं और यह काफी आकर्षक दिखता है। वे आगे कहती हैं कि समूह में गरबा करती हुई स्त्रियों को अगर ध्यान से देखा जाए तो सबके हाथ एक दिशा में उठते हैं और दूसरी दिशा में गिरते हैं। नृत्य करते समय एक-दूसरे से संवाद न होने के बावजूद नृत्यांगनाओं के हाथ और शरीर में गजब का तालमेल होता है। यही तालमेल अगर हम अपनी जिंदगी में भी बिठाएं तो संयुक्त परिवारों का एक छत के नीचे रहना ज्यादा कठिन नहीं होगा।
भीड़ में सुंदर
कुछ फिल्म समीक्षक मानते हैं कि फिल्म अभिनेत्री काजोल खूबसूरत हैं, लेकिन उनकी खूबसूरती 'द अल्टीमेट' की श्रेणी में नहीं आती। उनमें अभिनय क्षमता जबर्दस्त है। आकर्षक दिखाने के लिए फिल्मकार उन्हें फिल्मी पर्दे पर कई लड़कियों की भीड़ में दिखाते हैं। शिक्षाविद पूनम सूद कहती हैं कि अगर हम सिर्फ खूबसूरती की बात करें तो एक वैवाहिक रस्म को याद किया जा सकता है। पुराने जमाने में जब ससुराल पक्ष के सामने कुंवारी कन्या की मुंह दिखाई की रस्म अदायगी होती थी तो उसके साथ सामान्य चेहरे-मोहरे वाली सहेलियों को खड़ा किया जाता था। इसकी मुख्य वजह यह होती थी कि सामान्य होने के बावजूद लड़की का चेहरा सबसे अधिक आकर्षक दिखे।

No comments:

Post a Comment