Thursday 20 March 2014

ग्लैमर और दलबदलुओं के सहारे भाजपा खेल रही दांव

लखनऊ [अवनीश त्यागी]। लोकसभा प्रत्याशियों की तीसरी सूची में भाजपा ने ग्लैमर और दलबदलुओं के सहारे जीतने का दांव चला है। कल देर रात जारी उत्तर प्रदेश के 15 प्रत्याशियों में एक तिहाई नाम बाहरी नेताओं के है। भाजपा में शामिल होने के दस घंटे के अंदर ही कांग्रेस से आए जगदंबिका पाल को टिकट थमा दिया गया वहीं कैसरगंज से ब्रजभूषण शरण सिंह को उम्मीदवार घोषित कर नेतृत्व ने साबित किया कि जीतने की खातिर मानक बदले जा सकते है।
प्रदेश से सांसदों की संख्या बढ़ाने की बेताबी भाजपा की ताजा सूची में साफ झलकती है। जातिगत संतुलन दुरुस्त करने के साथ ही बड़े नामों के भरोसे चुनावी वैतरणी पार करने की तैयारी है। अवध क्षेत्र में भाजपा की कमजोरी को देखते हुए गोंडा सीट से सपा से आए कीर्तिवर्धन को प्रत्याशी बना कर स्थिति मजबूत करने के साथ केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के सामने मुश्किलें खड़ी कर दी है।
इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र में नंद गोपाल गुप्ता [नंदी] को लेकर मचे घमासान में बीच का रास्ता निकाला। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष केशरीनाथ त्रिपाठी को दरकिनार कर श्यामाचरण गुप्ता को उम्मीदवार बनाया गया। फतेहपुर सीकरी से रालोद से आए पूर्व मंत्री बाबूलाल चौधरी को टिकट पकड़ा देना चौंकाने वाला जरूर है लेकिन इसे बृज क्षेत्र में रालोद के अमर सिंह व जयंत चौधरी जैसे नामों का जवाब बताया जा रहा है। साथ ही गत लोकसभा चुनाव में भाजपा के सहयोग से जीते रालोद के महासचिव जयंत चौधरी की मुकम्मल घेराबंदी कर दी गई है। मथुरा संसदीय क्षेत्र में अभिनेत्री हेमा मालिनी को उतारकर ग्लैमर के तीर से कई निशाने साधने की कोशिश है। प्रदेश उपाध्यक्ष हरद्वार दुबे का कहना है, बृज क्षेत्र में भाजपा और मजबूत होगी।
इसके अलावा नेतृत्व ने कार्यकर्ताओं को उत्साहित रखने को अंबेडकरनगर से हरिओम पांडेय, कुशीनगर से राजेश पांडेय, अकबरपुर से देवेंद्र सिंह भोले, शाहजहांपुर से कृष्णाराज, धौरहरा से रेखा वर्मा व हमीरपुर से पुष्पेंद्र चंदेल को मैदान में उतारकर संदेश देने का प्रयास किया गया। गाजीपुर में मनोज सिन्हा की उम्मीदवारी सुनिश्चित कर देवरिया में सूर्यप्रताप शाही को टिकट न देने से भूमिहारों में उपजे आक्रोश पर पानी डालने का काम किया। वहीं संभल से सत्यपाल सैनी को प्रत्याशी बनाने से पश्चिमी उप्र में सैनी समाज को प्रतिनिधित्व देने की मांग पूरी की।
अपना दल गठबंधन अटका
भाजपा का अपना दल से गठबंधन का फैसला कल नहीं हो सका। सूत्रों के मुताबिक सीटों के बंटवारे पर अंतिम राय न बन सकी। अपना दल चार सीटें पर अड़ा है तो भाजपा दो से अधिक देने का राजी नहीं। भाजपाइयों का एक खेमा अभी अपना दल से गठबंधन करने के बजाए विलय कराने को दबाव बनाए है परन्तु बनारस सीट से नरेंद्र मोदी के चुनाव लड़ने को ध्यान में रखते हुए भाजपा के रूख में नरमी आयी है।
संत कबीरनगर सीट पर टकराव
संत कबीरनगर संसदीय क्षेत्र पर टिकट को लेकर टकराव के हालात बने है। सूत्रों का कहना है कि संसदीय बोर्ड के अधिकतर सदस्य इस बार पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. रमापतिराम त्रिपाठी के पुत्र शरद त्रिपाठी को टिकट देने के पक्ष में नहीं हैं।

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