Saturday 22 March 2014

मेरे लिए किचन मेडीटेशन सेंटर है

उनके ऑफिस में एक ओर जहां क्रेच की व्यवस्था की गई है तो वहीं दूसरी तरफ स्टाफ को स्वस्थ रखने के लिए जिम भी है। स्वभाव से बेहद विनम्र और सुदृढ़ विचारों वाली प्रसिद्ध वकील पल्लवी एस.श्राफ जमीन से जुड़ी हुई हैं। उनसे बातचीत के प्रमुख अंश
आप इस प्रोफेशन में कैसे आर्ई?
-मैं लेडीश्रीराम कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन करने के बाद एमबीए कर रही थी। पढ़ाई पूरी नहीं हुई थी कि शादी हो गई। ससुराल में सभी लोग वकील थे। एक दिन बातचीत के दरम्यान सासू मां ने मुझसे कहा कि तुम भी वकील बनो और अपने पति के काम में सहयोग दो। उसके बाद ही मैंने लॉ किया। लॉ की पढ़ाई के दौरान मैं पति के ऑफिस जाने लगी। उस दौरान मुझे सीखने का बहुत मौका मिला, क्योंकि हर केस अपने आपमें अलग होता है। अब तो काम करते हुए तीस साल से अधिक हो गए।
क्या आप मानती हैं कि आज भी स्त्री-पुरुष में समानता नहीं है। क्या वजह है कि घर से लेकर बाहर तक स्त्री अपने को असुरक्षित महसूस करती है?
-स्त्री-पुरुष में समानता होनी चाहिए, पर वह नहीं है। हमारे यहां महिला और पुरुष की जिम्मेदारी अलग-अलग होती है, जबकि विदेशों में ऐसी बात नहीं है। हमारी सामाजिक सोच ही ऐसी है। इसके कारण अनेक समस्याएं खड़ी हो रही हैं। यदि घर और बाहर का वातावरण अच्छा हो और महिलाओं के साथ बराबरी का व्यवहार किया जाए तो वह दिन दूर नहीं कि महिलाएं बहुत आगे बढ़ेंगी।
महिलाओं के प्रति आपराधिक मामलों को देखते हुए कहा जा सकता है कि लिंग अनुपात में कमी भी एक बड़ा कारण है?
-पहले भी महिलाओं के साथ आपराधिक मामले होते थे। फर्क सिर्फ इतना है कि वे सामने नहीं आते थे, जिससे लोगों को पता नहीं चलता था। इसके अलावा महिलाओं का अनुपात पहले की अपेक्षा कम हो गया है। यह भी एक बड़ा कारण है। दूसरी सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी और नौतिक शिक्षा का अभाव है।
लोग कहते हैं पुलिस व्यवस्था भी ठीक नहीं है, जिससे कोई भी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने से हिचकता है? इसके लिए कौन जिम्मेदार है सरकार, कानून या हमारी व्यवस्था?
-इसके लिए हमारी सरकार और पुलिस दोनों ही दोषी हैं। कानून तो है, फिर भी कोई थाने नहीं जाना चाहता, क्योंकि पुलिस कार्रवाई नहीं करती है। यदि व्यवस्था को ठीक करना है तो सबसे पहले पुलिस को ट्रेनिंग देनी होगी। तभी जाकर सब ठीक होगा।
दिल्ली हादसों का शहर बन गया है। इससे आप कितनी सहमत हैं?
-मैं इससे सौ प्रतिशत सहमत हूं, क्योंकि यहां आए दिन इस तरह की घटनाएं हो रही हैं कि शर्म से सिर झुक जाता है।
क्या कोर्ट की लंबी और उबाऊ प्रक्रिया में बदलाव की जरूरत महसूस करती हैं?
-कोर्ट का आधुनिकीकरण होना चाहिए, ताकि कोर्ट में लंबा वक्त न लगे। इससे लोगों को राहत मिलेगी और धन व समय दोनों की बचत भी होगी।
आतंकवाद, हिंसा और भ्रष्टाचार के प्रति आपकी प्रतिक्रिया क्या है?
-यह स्थिति दिनों दिन भयानक होती जा रही है। यह एक चिंता का विषय बन गया है, लेकिन हम लोगों को इसके आगे कभी भी हार नहीं माननी चाहिए।
घर और बाहर कैसे तालमेल बिठाती हैं?
-दोनों में तालमेल बिठाना बहुत मुश्किल काम है। फिर भी काम तो करना ही है। इसके लिए थोड़ी प्लांिनंग करनी पड़ती है। फिर सब कुछ आसानी से हो जाता है। मुझे पति और परिवार का बहुत सपोर्ट मिला वर्ना मैं कुछ नहीं कर पाती।
आपकी दिनचर्या क्या है?
-मैं सुबह सात बजे सोकर उठती हूं। फिर घरेलू स्टाफ को निर्देश देती हूं कि आज क्या-क्या करना है। इसके बाद तैयार होकर ठीक साढ़े नौ बजे ऑफिस के लिए निकल जाती हूं और साढ़े आठ बजे से पहले नहीं लौट पाती हूं। घर आने के बाद डिनर करती हूं। फिर थोड़ी देर टीवी देखती हूं। रात में दस से एक बजे तक पढ़ती हूं। यह मेरा रोज का सिलसिला है।
आप अपनी सेहत के प्रति कितनी जागरूक हैं?
-मैं सेहत के प्रति बहुत ज्यादा सजग नहीं हूं, लेकिन डाइट कंट्रोल जरूर करती हूं। समय की कमी की वजह से मैं एक्सरसाइज नहीं कर पाती हूं। हालांकि मेरे ऑफिस में जिम और ट्रेनर भी हैं। फिर भी मैं एक्सरसाइज नहीं कर पाती हूं। यह जानते हुए भी कि स्वस्थ रहने के लिए यह बहुत जरूरी है।
आपका फेवरेट परिधान क्या है?
-मुझे पारंपरिक साड़ियां बहुत पसंद हैं जैसे बंगाली, बनारसी, साउथ इंडियन आदि। यही वजह है कि मैं अधिकतर साड़ी ही पहनती हूं। जब बाहर जाती हूं, तभी वेस्टर्न कपड़े पहनती हूं।
आपके लिए अध्यात्म क्या है?
-मैं धार्मिक जरूर हूं, लेकिन रोज पूजा-पाठ नहीं करती। भगवान में मेरी गहरी आस्था है। मैं अपने घर में एक दीपक रोज जलाती हूं।
अपने व्यस्त जीवन में मनोरंजन के लिए समय निकाल पाती हैं?
-मैं गाना जरूर सुनती हूं और टीवी भी देखती हूं। जब मौका मिलता है तब फिल्में भी देख लेती हूं, मगर मुझे सीरियस फिल्में बिल्कुल पसंद नहीं हैं। इसके अलावा मैं अपने तीन साल के नाती के साथ भी खेलती हूं। दरअसल मुझे उसके साथ साथ समय बिताना बहुत अच्छा लगता है।
आपकी हॉबी क्या है?
-नए-नए एक्सपेरिमेंट करना मुझे बेहद पसंद है। मैं हर शनिवार और रविवार को खुद ही खाना बनाती हूं। मेरे लिए किचन मेडीटेशन सेंटर है। वहां मैं बिल्कुल रिलैक्स हो जाती हूं। मैं मूलत: गुजराती हूं। इसलिए गुजराती खाना बहुत पसंद है। इसके अलावा मुझे पेड़-पौधों से भी काफी लगाव है। मैं अपने गार्डेन की देखभाल पर जरूर ध्यान देती हूं। उससे भी मुझे सुकून मिलता है।
आपके रोल मॉडल कौन हैं?
-मेरे रोल मॉडल मेरे पिता (पूर्व जस्टिस पी.एन. भगवती) हैं। वह बहुत ही विनम्र और संवेदनशील इंसान हैं। जब वह सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस थे तब भी उनमें कोई अहं नहीं था। वह अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से बहुत ही प्यार से बातचीत करते थे और किसी को छोटा नहीं समझते थे। यही वजह है कि आज भी जब मैं कोर्ट जाती हूं और जो लोग मेरे पिता को जानते हैं वे मिलते ही सबसे पहले यही पूछते हैं कि मेरे साहब कैसे हैं। पापा से मैंने बहुत कुछ सीखा है।
आपके कितने बच्चे हैं और क्या करते हैं?
-दो बेटिया हैं, दोनों वकील हैं। एक बेटी की शादी हो गई है। दामाद भी वकील है।
आप महिलाओं को क्या संदेश देंगी?
-यही कि सफलता का रास्ता आसान नहीं होता। मुश्किलें आती हैं, मगर प्रयास करना कभी नहीं छोड़ना चाहिए। हमेशा अपने काम पर ही फोकस करें। यह याद रखें कि कोई भी काम छोटा नहीं होता।

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