Saturday 22 March 2014

शुभ-मंगल सावधान

रात गई, बारात गई और अब जीवन में होने वाली है नई शुरुआत। क्यों न वैवाहिक जीवन का पहला कदम ही कुछ ऐसे उठाएं.. कि साजन ही नहीं, ससुराल में सभी हमेशा पलकों पर बिठाएं..
आनंद, उत्सव हिस्सा है शादी का। रिश्तेदारों की महफिल सजती है, खूब मस्ती होती है, पर जब विदाई हो जाती है तो खत्म हो जाता है इस उत्सव का दौर। यहीं से शुरू होता है एक दुल्हन का वास्तविक सफर। वैवाहिक खुशियों की तलाश का यह सफर अनजान राहों से भरा होता है। दुल्हन के सामने यह चुनौती होती है कि उसका हर कदम सही दिशा में हो। इसके बाद प्रश्न उठते हैं कि शादी की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए उसकी ओर से क्या प्रयास होने चाहिए? सास-ससुर एवं ससुराल के सदस्यों के साथ सुखमय एवं खूबसूरत घनिष्ठ रिश्ता कायम करने के लिए आपको क्या करना चाहिए?
सामंजस्य के तीन सूत्र
ये सवाल नए नहीं हैं। कई पीढि़यों से दुल्हन को उलझन में डालते आए हैं ये प्रश्न। इनके हल तलाशना आज की ऐसी दुल्हन के लिए और भी चुनौतीभरा है, जो पढ़ी-लिखी, आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने के साथ ही अपने निजी स्पेस और आजादी में विश्वास करती है। इस तथ्य के साथ एक और हकीकत जुड़ गई है। आजकल विभिन्न धर्मों, जातियों और समुदायों के लोगों के बीच विवाह पहले की तुलना में अधिक होने लगे हैं। इन बदलावों के बावजूद आज की दुल्हन अपने नए परिवार के साथ प्रेम व स्नेह का बंधन और पति के साथ खुशियों से सजा जीवनभर का नाता जोड़ना चाहती है।
प्यार से पगा हो पहला प्रभाव
इस बात का ख्याल रखें कि आपका पहला प्रभाव सबसे महत्वपूर्ण है। आपको यह समझना होगा कि आप चाहे किसी भी धर्म या समुदाय से ताल्लुक रखते हों, जब शादी की बात आती है तो सभी भारतीय परिवारों की सोच पारंपरिक रंग में ढली नजर आती है। अगर आप पति के परिवार के साथ अच्छी प्रकार घुलने-मिलने की कोशिश करेंगी तो आपका वैवाहिक जीवन दोगुना सफल होगा। पुरुषों को यह अच्छा लगता है कि उनकी मां व मित्रों के साथ पत्नी का अच्छा संबंध हो।
दूसरा कदम है दिल जीतना
अपने नए घर में जाने से काफी पहले ही यह जानने की कोशिश करें कि ससुराल में शुरुआती दिनों में पहनावे, रीति-रिवाजों और दिनचर्या को लेकर लोगों की आपसे क्या अपेक्षाएं हैं। वहां किन लोगों से आपका मिलना होगा? उनका व्यक्तित्व और तौर-तरीके कैसे हैं? इस संबंध में आपके होने वाले पति महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करा सकते हैं। उनकी मदद से आप यह जान सकती हैं कि वे कौन से तरीके हैं, जिनकी मदद से ससुराल में सदस्यों का दिल जीता जा सकता है। उनके द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी में अपनी ओर से कुछ सौहा‌र्द्रपूर्ण चीजें जोड़ते हुए ससुराल पक्ष के लोगों से खूबसूरत रिश्ता जोड़ने में आपको मदद मिलेगी।
तारीफ है तीसरा मंत्र
औपचारिकताओं से मुक्त माहौल में संभव है कि शादी से पूर्व ही आपको अपने ससुराल में जाने और वहां का माहौल जानने का मौका मिले। अब जबकि आपको ससुराल में स्थाई रूप से प्रवेश करना है तो इस जानकारी का उपयोग आप अपने नए परिवार के साथ रिश्ते जोड़ने के लिए कर सकती हैं। इस सिलसिले में पहला कदम उठाते हुए औपचारिकताएं छोड़ खुद आगे बढ़कर आपको हर प्रकार से यह जताना होगा कि नए परिवार में आकर आप खुश हैं। इस क्रम में उनकी परंपराओं, जैसे आशीर्वाद के लिए बड़ों के चरणस्पर्श करना, विशेष परिधान धारण करना या धार्मिक विधि-विधानों इत्यादि का अनुसरण करें, ताकि नए घर में आपकी शुरुआत हो सही। चेहरे पर मुस्कराहट, समझ-बूझ और परिवार के साथ जुड़ने की स्वाभाविक चाह इस संबंध में आपकी मदद करेगी। आप खाना बनाने में मदद की पेशकश कर सकती हैं या कुछ अच्छा भोजन तैयार करने की इच्छा भी जाहिर कर सकती हैं। दैनिक कार्य के बारे में पूछें और जहां कहीं संभव हो मदद की पेशकश करें, ताकि आपको प्रत्येक सदस्य के साथ समय बिताने और उसे जानने का मौका मिल सके। बड़ों से सम्मानपूर्वक बात करें। बातों ही बातों में शादी के आयोजन की प्रशंसा करते हुए उन्हें बताएं कि उनके दिए उपहार आपको किस कदर पसंद आए हैं। शादी के बाद के पहले सप्ताह में पति के परिवार से घुलने-मिलने का विशेष प्रयत्न करें। कुछ ऐसा करें, जो उन्हें असीम खुशी दे सके। आपका रवैया ऐसा होना चाहिए, जिससे नए परिवार के सदस्यों में उसे लेकर चल रहे हर प्रकार के संदेह दूर हो जाएं; कहती हैं मैरिज काउंसलर रंजन बरार।
रिश्तों के तीन रोड़े
पुराने अनुभव यही सिखाते हैं जिन राहों पर गिरने का डर हो उनसे दूरी बनाने में ही समझदारी होती है। उदाहरण के लिए यदि आप अपने ऑफिस में बॉस हैं तो वही व्यवहार आप अपने नए घर में नहीं दिखा सकतीं।
अपनी मर्जी का जीवन
खाने में भले ही आपका अपना एक टेस्ट है, पर तब तक आपको धैर्य दिखाना होगा जब तक कि नए परिवार में लोग आपको जान नहींजाते और आपकी पसंद को तरजीह नहीं देने लगते। अगर आपको देर तक सोने, टीवी के सामने बैठकर खाना खाने या देर रात तक घूमने-फिरने की आदत है, तो इन सभी पर आपको पुनर्विचार करना होगा। आपको यह देखना होगा कि एक पत्नी और बहू के रूप में क्या उचित रहेगा। यदि आप दूसरे धर्म या समुदाय से ताल्लुक रखती हैं तो पहले ही यह समझ विकसित कर लेनी चाहिए कि रीति-रिवाजों और विश्वासों के कारण आप दोनों अपने संबंधों को प्रभावित नहीं होने देंगे।
पति के परिवार का उपहास
अपनी सामाजिक स्थिति, धन, शादी से पूर्व की जीवनशैली, कॅरियर की सफलता और परंपराओं के प्रति विद्रोही दृष्टिकोण को मुद्दा न बनाएं। आखिर शादी का फैसला आपका है। अपने जीवनसाथी को आपने अपनी मर्जी से चुना है। पति को उसके परिवार से अलग करने की कोई भी कोशिश नाराजगी और आपके प्रति अस्वीकारोक्ति उत्पन्न करेगी। भारत में शादी सिर्फ स्त्री-पुरुष का बंधन नहीं, बल्कि उनका एक-दूसरे के परिवारों से भी रिश्ता जुड़ता है। ऐसे में नए परिवार के साथ घनिष्ठता बढ़ाने से वैवाहिक जीवन में भी मिठास घुलेगी। रंजन बरार कहती हैं, 'नवदंपति यदि परिवार के रूप में मिल-जुलकर साथ रहने की अपनी सांस्कृतिक विरासत को ही भुला देते हैं तो वे असफल कहलाएंगे।
सास-ससुर के प्रति पूर्वाग्रह
दुल्हन को अपने नए घर में सास-ससुर के प्रति पूर्वाग्रह के साथ प्रवेश नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे परिस्थितियां विकट होना सुनिश्चित हो जाता है। विशेषकर यदि वह भिन्न समुदाय या धर्म से ताल्लुक रखती है तो उसे खुले हृदय से आना चाहिए और निर्णायक बने बगैर भिन्न जीवनशैली को स्वीकार करना चाहिए। नए परिवार में उसे अजनबी नहीं बनना चाहिए और न ही उनके बेटे को छीनने की कोशिश करनी चाहिए।'
धीरे-धीरे आपको स्वयं यह समझ आ जाएगा कि अच्छे रिश्ते एकाएक नहीं बनते, बल्कि उनके लिए मेहनत करनी पड़ती है। प्यार, दुलार और सम्मान से उन्हें सींचना पड़ता है, तब जाकर बनता है स्नेह का अटूट रिश्ता।

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