Thursday 13 March 2014

दिल्ली गैंगरेप: चारों दोषियों की मौत की सजा बरकरार

Image Loadingदिल्ली उच्च न्यायालय ने 16 दिसंबर 2012 को दक्षिणी दिल्ली में एक चलती बस में 23 वर्षीय छात्रा के साथ नृशंस सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले के चार दोषियों को सुनायी गयी मौत की सजा को गुरुवार को बरकरार रखा।

इस घटना ने देश की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया था और इसे लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। न्यायाधीश रेवा खेत्रपाल और न्यायाधीश प्रतिभा रानी ने अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और मुकेश की सजा की पुष्टि करते हुए कहा कि उनका अपराध दुर्लभ से दुर्लभतम की श्रेणी में आता है और उनकी दोष सिद्धि को बरकरार रखा जाता है।

पीठ ने कहा कि मौत की सजा स्वीकृत है। निचली अदालत द्वारा दी गयी मौत की सजा की पुष्टि की जाती है। दोषियों की अपीलों को खारिज किया जाता है। 
फैसला सुनाए जाने के समय पीड़िता के माता पिता भी अदालत कक्ष में मौजूद थे। फैसला सुनाए जाने के बाद 23 वर्षीय पैरामैडिक छात्रा की मां ने अदालत कक्ष के बाहर मौजूद मीडिया से कहा कि हमारा न्यायपालिका में पूर्ण विश्वास है। हम इस फैसले को स्वीकार करते हैं। लेकिन अंतिम शांति तभी होगी, जब दोषियों को उनके किए की सजा मिलेगी।

उन्होंने कहा कि हमें पूरा न्याय तभी मिलेगा जब सब फांसी पर लटकाए जाएंगे। निचली अदालत ने पिछले वर्ष 13 सितंबर को चार दोषियों को मौत की सजा सुनाते हुए कहा था कि जिस तरीके से युवती के साथ अपराध को अंजाम दिया गया वह दुर्लभ से दुर्लभतम की श्रेणी में आता है और यह कृत्य रौंगटे खड़े कर देने वाला और पाश्विक है, इसलिए दोषियों को मरने तक फांसी पर लटकाया जाए।

उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा चारों दोषियों की अपीलों और उन्हें सुनायी गयी मौत की सजा का संदर्भ भेजे जाने के बाद साढ़े तीन महीने तक चली मैराथन सुनवाई के बाद 3 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

गौरतलब है कि 16 दिसंबर 2012 की रात राम सिंह, विनय , अक्षय , पवन , मुकेश और एक किशोर अपराधी ने छात्रा और उसके 28 वर्षीय पुरुष मित्र को बहला-फुसलाकर बस में बिठाया था और उसके बाद छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। छात्रा के पुरुष मित्र पर भी हमला किया गया । इस बस को बाद में दिल्ली की सड़कों पर गैरकानूनी तरीके से चलते हुए पाया गया था। छात्रा ने 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के अस्पताल में दम तोड़ दिया था।

मामले का मुख्य आरोपी राम सिंह पिछले वर्ष मार्च को तिहाड़ जेल में अपनी कोठरी में मृत पाया गया था और उसके खिलाफ कार्यवाही बंद कर दी गयी थी। छठे किशोर अपराधी को अधिकतम तीन साल की सजा सुनायी गयी है।

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