Saturday 22 March 2014

बाबा ऐसो वर ढूंढो

अब जीवनसाथी के चयन में लड़कियां दिखा रही है मुखर व्यवहार। लड़कियों की पसंद में सिर्फ बड़ा पैकेज ही नहीं, मैचिंग के दूल्हे भी है..
ड़कियां हर क्षेत्र में लड़कों की बराबरी कर रही हैं। तकनीक, विज्ञान, साहित्य, खेल और सामाजिक सक्रियता उन्हे 'इक्कीसवीं सदी की लड़की' होने का प्रमाण दे रही है। यही वजह है कि अब रिश्तों के मामले में भी वह पूरी समझदारी से फैसले कर रही हैं। पहले लड़के ही लड़की की शिक्षा, पर्सनॉलिटी, और जॉब पर निगाह डालते थे, लेकिन अब लड़कियां भी अपने भावी जीवनसाथी के मानक तय करने लगी हैं। हां, एक खास बात और है कि वे मां बाप की पसंद से जीवनसाथी के चयन में अपनी जॉब से जुड़े लड़कों को वरीयता दे रही है।
टीचर को चाहिए टीचर
पांडु नगर स्थित कॉनेक्स-ऑन-एच मैरिज ब्यूरो की संचालिका ज्योति गांधी कहती है, ''कुछ वर्षो पूर्व तक लड़कियों के पसंद में बीटेक और एमबीए लड़के होते थे, लेकिन अब बहुत बदलाव आया है। अब लड़कियों की प्राथमिकता में ऐसे दूल्हे होते है जो उनके कार्यक्षेत्र से जुड़े होते है। लड़की यदि एमबीए है तो उसकी प्राथमिकता एमबीए लड़के की ही होती है। इसी तरह होमटाउन में जॉब लगने की संभावना अधिक होने के कारण टीचर लड़की टीचर लड़के को प्राथमिकता में रखती है। उनकी इस पसंद में अभिभावक भी मुहर लगा रहे है। अपनी टीचर बेटी के लिए टीचर लड़का पसंद करने वाले अभिभावक वी.बी. मिश्रा कहते है, ''मैचिंग की शादी में लड़के और लड़की का सिर्फ कार्यक्षेत्र समान नहीं होता, बल्कि पर्सनल लाइफ में भी उनका ताल-मेल बहुत फिट रहता है।''
बराबरी के रिश्ते
गीता मैरिज ब्यूरो की संचालिका गीता त्रिपाठी बताती हैं,''एम.बी.ए., एम.सी.ए., इंजीनियर लड़कों का अब भी क्रेज है, लेकिन थोड़ा अंतर जरूर आया है। अब लड़कियां जीवन साथी के चयन को लेकर मुखर हुई हैं। लड़कियां केवल पैकेज या जॉब ही नहीं, यह भी देखती हैं कि जीवनसाथी उनसे एक कदम आगे है या नहीं। इसमें विशेष तौर से जीवन साथी का खुद से अधिक क्वालीफाई होना प्राथमिकता में शामिल है। वर्तमान में लड़कियां भी एम.बी.ए., एम.सी.ए., बी.टेक. जैसी डिग्रियां ले रही हैं, इसलिए उनकी कोशिश होती है कि लड़का उनसे सुपर हो।''
सरकारी सेक्टर की खास डिमांड
अब लड़कियां ही नहीं, अभिभावक भी सरकारी संस्थानों में कार्यरत लड़कों को अधिक पसंद कर रहे हैं। इसकी प्रमुख वजह बताती है ब्राम्हण समाज के लिए स्वयंवरम संस्था के माध्यम से नि: शुल्क रिश्ते बताने वाली तिलक नगर की अंजू शुक्ला, ''सरकारी सेक्टर में तेजी से बढ़ी कर्मचारियों की सुविधाओं और वेतन ने सरकारी उपक्रमों में कार्यरत लड़कों की डिमांड एक बार फिर बढ़ाई है। प्राइवेट सेक्टर में भले ही कितना बड़ा पैकेज क्यों न हो, लेकिन वैश्विक बाजार की उथल-पुथल के चलते लोग जॉब को लेकर हमेशा चिंतित रहते है। सरकारी क्षेत्र में जॉब के सुरक्षित रहने की संभावना पूरी बनी रहती है।''
और होगा इजाफा
मैचिंग की शादी करने के बढ़े ट्रेंड पर प्रतिक्रिया देती है समाजशास्त्री डॉ. आरती बाजपेयी, ''मैचिंग की शादी में सबसे अधिक फायदा मिलता है परिवार के साथ रहने और एक कार्यक्षेत्र में काम करने से ऑफिस की कार्यप्रणाली को आसानी से समझने का। इससे वैवाहिक जीवन में सहजता बनी रहने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। कई बार ऐसे मौके भी मिल जाते है जब लड़के और लड़की का एक ही कार्यक्षेत्र होता है तो उनका ऑफिस भी एक होता है जहां दोनों साथ बैठकर काम निबटाते है। आने वाले समय में मैचिंग की शादी के ट्रेड में और इजाफा होने की उम्मीद की जा सकती है।''

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