Saturday 29 March 2014

पिछले कुछ समय से इन्टरनेट पर हिंदू धर्म के सम्बन्ध में जेहादी बमबारी जारी है. कभी वेद और पुराणों में मुहम्मद का नाम तो कभी महाभारत और मनुस्मृति में माँस का विधान, ज़ाकिर नाइक और उनके समर्पित मुजाहिदीन इस काम को बखूबी निभा रहे हैं. परन्तु अभी एक आश्चर्यजनक बात सामने आई है. जिन वेदों और पुराणों में ज़ाकिर नाइक को मुहम्मद दीख पड़ा था उन्हीं में अब उन्हें गलतियाँ दिखने लगी हैं! जी हाँ! कुन फयकुन कह कर झटपट दुनिया बनाने वाले, पत्थर में से ऊँटनी निकालने वाले, बिना पिता के मरियम को पुत्र देने वाले, चाँद के दो टुकड़े कर देने वाले, आसमान को अदृश्य खम्बों की छत मानने वाले, आसमान की खाल उतारने वाले, दर्याओं को चीरने वाले, सातवें आसमान पर सिंहासन पर विराजमान अल्लाह के बन्दों अर्थात मुसलमान बंधुओं का अब यह विश्वास है कि धर्म को विज्ञान की कसौटी पर भी खरा होना चाहिए! इस हेतु से कि ऊपर लिखित कुरआन के विज्ञान के सामने वेदों की क्या हैसियत है, “वेदों में वैज्ञानिक गलतियाँ” शीर्षक से बहुत से लेख लिखे जा रहे हैं. वैसे इन लेखों की सत्यता उतनी ही प्रामाणिक है जितने प्रामाणिक कुरआन में “विज्ञान” के दावे! यदि कुन फयकुन कह कर मक्खी की टांग भी बन सके, बिना पुरुष के ही मुस्लिम माताएं बच्चे जना करें, पत्थर में से ऊँटनी तो क्या मच्छर भी निकल पड़े तो यह माना जा सकता है कि वेद विज्ञान विरुद्ध हैं कि जिनमें इतने ऊंचे स्तर की विद्या ही नहीं! परन्तु आज तक कुरआन में वर्णित इस विज्ञान के दीदार (दर्शन) असल जिंदगी में मुस्लिम भाइयों को छोड़ कर किसी को न हो सके.
खैर, अब एक एक करके उन दावों की पोल खोलते हैं जो जेहादी अक्सर वेदों के विरुद्ध किया करते हैं. हम पहले “जेहादी दावा” नाम से वेद मन्त्र के वो अर्थ देंगे जो जेहादी विद्वान करते हैं और फिर उसके नीचे मन्त्र के वास्तविक अर्थ अग्निवीर शीर्षक से देंगे. (जिहादियों द्वारा लिखे मूल लेख की प्रति यहाँ देखें:

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