Saturday 22 March 2014

खुद को भी दें शाबाशी

चौंकिए मत ! जब आत्मविश्वास कमजोर पड़ने लगे तो ख़्ाुद को शाबाशी देना भी अच्छा रहता है। कैसे बढ़ाएं अपना सेल्फ एस्टीम, बता रही है कंसल्टेट साइकोलॉजिस्ट डॉ. गीतिका कपूर।
बात लो सेल्फ एस्टीम की हो तो बासु चटर्जी की पुरानी फिल्म 'छोटी सी बात' का जिक्र प्रासंगिक हो उठता है। इस फिल्म में अमोल पालेकर ने एक ऐसे सीधे-सादे शर्मीले लड़के की भूमिका निभाई थी, जो अपनी कलीग से प्रेम करता है, पर आत्मविश्वास की कमी के कारण उससे अपने दिल की बात कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। ऐसे में उसे एक अवकाश प्राप्त आर्मी ऑफिसर (अशोक कुमार) के बारे में मालूम होता है, जो मुंबई शहर से दूर खंडाला में अकेले रहते हैं और लोगों को आत्मविश्वास बढ़ाने की ट्रेनिंग देते हैं। फिल्म का नायक बहुत मुश्किल से ढूंढते हुए उनके घर पहुंचता है तो मेन गेट पर ताला लगा होता है। फिर वह पीछे के ऊबड़-खाबड़ रास्ते से उनके घर के भीतर दाखिल होता है। उसके अंदर पहुंचते ही अशोक कुमार उसका स्वागत करते हुए कहते हैं, 'आ जाओ, मैंने यहां तक पहुंचने का रास्ता जानबूझ कर इतना मुश्किल बनाया है, ताकि जिस व्यक्ति में सचमुच अपने भीतर बदलाव लाने की इच्छा हो, वही पहुंच पाए। अब तुम यहां तक आ ही गए हो तो तुम्हें कामयाबी जरूर मिलेगी।'
जरूरी है समस्या की पहचान
इस प्रसंग के जिक्र से यह बात सामने आती है कि अगर किसी व्यक्ति का आत्मविश्वास कमजोर हो तो उसे सबसे पहले अपनी समस्या पहचान कर हल करने की दिशा में कोशिश करनी चाहिए। यहां फिल्म का नायक अपनी समस्या पहचान कर उसका हल ढूंढने की कोशिश करता है। कोई भी व्यक्ति परफेक्ट नहीं होता। कुछ न कुछ कमी हम सब में होती है, कुछ लोग अपनी इन कमियों को दूर कर लेते है तो कुछ इनमें बिना बदलाव लाए भी अपना काम चला लेते हैं। ऐसे लोगों को जिंदगी के साथ एडजस्टमेंट में कोई खास परेशानी नहीं होती। दिक्कत तब आती है, जब कोई व्यक्ति अपनी कमियों में सुधार लाने की कोशिश नहीं करता और सिर्फ उनके बारे में सोचता रहता है। ऐसे लोगों के आत्मविश्वास में तेजी से कमी आती है। अगर आपके साथ भी ऐसी समस्या है तो आपको आज से ही मिशन कॉन्फिडेंस में जुट जाना चाहिए। मिशन कॉन्फिडेंस
इस मिशन के तहत हम लोगों को एक बहुत ही आसान एक्सरसाइज बताते हैं, जिसे 'सेल्फ टॉक' कहा जाता है। इसमें लोगों से कहा जाता है कि वे मन ही मन अपने आप से बातें करते हुए खुद अपना आत्मविश्वास जगाएं। ध्यान रहे कि इस दौरान आप अपनी बहुत ज्यादा गलतियां न निकालें। सिर्फ अपनी किसी एक कमजोरी पर फोकस करते हुए उसे दूर करने लिए खुद से कहें कि 'यह काम ज्यादा मुश्किल नहीं है, मैं इसे खुद करके देखता/देखती हूं या मुझे पक्का यकीन है कि मैं इसे अच्छी तरह पूरा कर पाऊंगा/पाऊंगी।' जिन लोगों का दृष्टिकोण नकारात्मक होता है, वे पहली बार में पूरे विश्वास के साथ खुद से काम पूरा करने का वादा नहीं कर पाते। ऐसे लोगों को शुरू से ख़्ाुद से यह कहना चाहिए, 'यह काम मैं करके देखता/देखती हूं..हो सकता है कि सफलता मिल जाए।' इसके बाद व्यावहारिक जीवन में इसे सचेत तरी़के से लागू करें।
कदम-दर-कदम आगे बढ़ें
हर इंसान में आत्मविश्वास की कमी के कारण अलग-अलग होते हैं और सभी में इसका स्तर भी समान नहीं होता। इसलिए ऐसे लोगों को उनकी समस्या के स्वरूप और उसकी गंभीरता को ध्यान में रखते हुए सेल्फ एस्टीम बढ़ाने के लिए एक्सरसाइज बताई जाती है। अपने इस मिशन पर काम करते हुए धैर्य का साथ न छोड़ें। अपने प्रयासों को कई छोटे चरणों में बांटते हुए आगे बढ़ें। मिसाल के तौर पर अगर आपको दूसरों से नजरें मिला कर बातें करने में घबराहट होती है तो सबसे पहले शीशे के सामने खड़े होकर खुद से नजरें मिलाकर बातें करने की कोशिश करनी चाहिए। ऐसी प्रैक्टिस करने के बाद जब आप ख़्ाुद को सहज महसूस करने लगें तो दूसरों से नजरें मिलकर उनका अभिवादन करें। फिर इसी तरह लगातार एक-दो मिनट तक सामने देखते हुए बातचीत की प्रैक्टिस करें। ध्यान रहे कि जब तक एक स्टेप में ख़्ाुद को पूरी तरह सहज महसूस न करें, दूसरा कदम आगे न बढ़ाएं। अगर किसी को अपने रंग-रूप को लेकर हीन भावना हो तो उसे आईने में खुद को निहारते हुए अपने व्यक्तित्व के अच्छे पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करके दिल से यह महसूस करना चाहिए कि 'मैं सुंदर हूं' और बोलते हुए यह वाक्य कई बार दोहराना चाहिए।
चेक लिस्ट बनाएं
लो सेल्फ एस्टीम वाले लोगों में एक खास तरह की सोच होती है, जिसे 'ऑल ऑर, नन थिंकिंग' कहा जाता है। ऐसे लोग किसी भी विषय के चरमबिंदु पर जाकर कर सोचते हैं। ये खुद को या तो बहुत अच्छा या बहुत खराब मानते हैं।
केवल अपने बारे में ही नहीं, बल्कि दुनिया को देखते समय भी इनका यही नजरिया होता है। यह प्रवृलि इंसान को आगे बढ़ाने के बजाय पीछे की ओर धकेलती है। ख़्ाुद को इससे बचाने के लिए एक चेक लिस्ट बनाएं। जिसमें एक ओर ईमानदारी से अपनी अच्छाइयों और दूसरी ओर अपनी खामियों को प्वाइंट्स बनाकर लिखें। फिर क्रमबद्ध ढंग से अपनी कमियां दूर करने और अच्छाइयों को आगे बढ़ाने की कोशिश करें।
सोशल स्किल डेवलपमेंट
सामाजिक व्यवहार में संकोच महसूस करना आत्मविश्वास की कमी का बड़ा कारण है। आज के जमाने में सफलता हासिल करने के लिए सामाजिक व्यवहार में निपुण होना बहुत जरूरी है। अगर भीड़ वाली जगहों या सार्वजनिक स्थलों पर आपको अलग-अलग तरह के लोगों से बातचीत करने में दिक्कत महसूस होती है तो इसके लिए सबसे पहले अकेले में जोर से बोलने की प्रैक्टिस करें। सचेत तरी़के से रोजाना यह तय करें कि भले ही कोई जरूरत न हो फिर भी आप चार नए लोगों से बातचीत करेंगे। 'मेरे इस व्यवहार पर दूसरे क्या सोचेंगे?' ऐसी सोच आत्मविश्वास में कमी की बहुत बड़ी वजह बन जाती है। ऐसी झिझक दूर करने के लिए आप पांच सौ रुपये का नोट लेकर सुबह के समय आसपास की दुकानों में जाएं और बेझिझक दुकानदारों से छुट्टे पैसे मांगें। हो सकता है कि चार लोग बेरुख़्ाी से मना कर दें, पर पांचवीं बार आपको कामयाबी मिल सकती है। अगर आप नोट भुनाने में सफल नहीं हुए तो भी इंकार के अंदेशे से अपनी बात न कह पाने का भय आपके मन से दूर हो जाएगा।
अगर आप ऊपर बताए गए सभी सुझावों पर अमल करेंगे तो इससे आपको निश्चित रूप से सकारात्मक बदलाव महसूस होगा।

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