Monday 31 March 2014

मुशर्रफ को हो सकती है सजा-ए-मौत, कोर्ट ने तय किया देशद्रोह का आरोप

मुशर्रफ को हो सकती है सजा-ए-मौत, कोर्ट ने तय किया देशद्रोह का आरोप
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ पर विशेष अदा
लत ने देशद्रोह मामले के आरोप तय किए है। सिंध हाई कोर्ट के जस्टिस फैसल अरब की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने आज पूर्व सैन्य शासक के देशद्रोह मामले से संबंधित आरोप सुनाए। अगर ये आरोप साबित हो जाते हैं, तो उन्‍हें सजा-ए-मौत हो सकती है। 
 
मुशर्रफ, पिछली कई ट्रिब्यूनल सुनवाइयों में खराब सेहत और जान के खतरे का हवाला देते हुए नदारद थे। वे आज कोर्ट की सुनवाई में पहुंचे और जज के समक्ष बयान दिया। 
 
सन् 1999 से 2008 तक पाकिस्तान पर शासन करने वाले 70 वर्षीय मुशर्रफ ने कहा, "मैं कोर्ट और अभियोजन पक्ष का सम्मान करता हूं। मैं कानून का पक्षधर हूं और घमंडी नहीं हूं। मैं कराची, इस्लामाबाद और रावलपिंडी की अदालतों में इस साल 16 बार पेश हो चुका हूं। मुझे तानाशाह कहकर पुकारा जाता है। मैं नौ साल तक आर्मी चीफ रहा और मैंने 45 साल तक इस देश की सेना की नौकरी की है। मैंने पाकिस्तान के लिए दो युद्ध लड़े और मुझपर देशद्रोही होने का आरोप लगाया गया है?"
 
पूर्व सैन्य शासक ने विशेष अदालत से खुद को दोषी ना ठहराए जाने की अपील की है। मुशर्रफ की दलील है कि उन्होंने जो किया, उसमें कुछ गलत नहीं है। 
 
क्या है मामला 
 
सिंध हाईकोर्ट की तीन जजों की बेंच मुशर्रफ के खिलाफ राजद्रोह मामले की सुनवाई कर रही है। मुशर्रफ पर 2007 में शासन के दौरान पाकिस्तान में इमरजेंसी थोपने का आरोप है। विशेष कोर्ट में केस चलाने के खिलाफ भी मुशर्रफ याचिका दायर कर चुके हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके खिलाफ सैन्य कोर्ट में मामले की सुनवाई की जानी चाहिए। हालांकि कोर्ट ने उनकी इस याचिका को खारिज कर दिया।
 
पाकिस्तानी इतिहास का पहला मामला 
 
इसे इत्तेफाक ही कहेंगे कि पाकिस्तान में कई फौजी तानाशाहों ने तख्तापलट करके के देश में मार्शल लॉ लागू किया है। लेकिन किसी फौजी तानाशाह को पहली बार अदालती कार्यवाही का सामना करना पड़ रहा है।

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